मंगलवार, 14 अप्रैल 2020

समय की एजेंसी-30

7. अपने आप पर विजयः योजना बनाकर कार्य करने से हम कार्य करने में होने वाले भटकाव से बच जाते हैं। कार्य प्रबंधन के द्वारा योजनाबद्ध कार्य करने से हमारा कार्य के ऊपर नियंत्रण रहता है। अपने समय पर अर्थात् अपने आप पर नियंत्रण रहता है। अपने उपलब्ध समय के पल-पल का उपयोग करते हुए हम अपने आप का पूरा उपयोग करते हैं। एक प्रकार से हम अपने आपको जीत लेते हैं। महात्मा बुद्ध के अनुसार, ’‘जिसने खुद को जीत लिया, उसने जग को जीत लिया।’’ इस प्रकार कार्य प्रबंधन तकनीकों की सहायता से हम अपने आप पर विजय प्राप्त करते हुए आगे बढ़ते हैं।
8. योजना का सफल क्रियान्वयनः कार्य प्रबंधन केवल समय के संदर्भ में कार्यों की योजना बनाना ही नहीं सिखाता, वरन् उपलब्ध समय की प्रत्येक इकाई का सदुपयोग करके योजना का सफल क्रियान्वयन भी प्रबंधन की तकनीकों के आधार पर ही संभव होता है। नियोजन में कोरी कल्पनाएँ नहीं होतीं, उनके क्रियान्वयन का पूरा खाका होता है। नियोजन के अन्तर्गत ही आवश्यक संगठन, कर्मचारीकरण या सहयोगीकरण, निर्देशन व नियंत्रण की योजना भी बनाई जाती है। इस रोडमैप पर कार्य करके सफलता व्यक्ति की प्रतीक्षा ही कर रही होती है। इस प्रकार व्यक्ति कार्य प्रबंधन के साथ न केवल योजना बनाता है वरन् उसका सफल क्रियान्वयन भी करता है।
9. आवश्यकतानुसार तुरंत फैसलेः समय के सन्दर्भ में अपने कार्यों का प्रबंधन करते समय हम स्पष्टता के साथ फैसले करते हैं। स्वामी विवेकानन्द के अनुसार, ‘आपके फैसले आपके भविष्य के परिचायक हैं।’ प्रबंधन की नियोजन तकनीक के अन्तर्गत हम अपने कार्यों के बारे में पूर्व से ही निर्धारित कर लेते हैं। क्रियान्वयन के समय देरी होने की संभावना समाप्त हो जाती है। हमारी गतिविधियों के योजनाबद्ध हो जाने पर हम तत्काल निर्णय करने में सक्षम होते हैं। अपने समय का प्रभावी प्रयोग सुनिश्चित करने के लिए तुरंत फैसले आवश्यक होते हैं। फैसले लेने में देरी कार्यों को अटकाती है और समय की बर्बादी का कारण बनती है। कहावत भी है, ’‘दाता से सूम भलो जो तुरत ही देत जबाब।’’ समय के संदर्भ में कार्य प्रबंधन नियोजन की सहायता से तुरंत फैसले लेने में सहायता करता है।
10. हड़बड़ी और उतावलेपन से बचाव: कहावत है, ‘जल्दी का काम शैतान का’ अर्थात् जल्दबाजी या उतावलेपन या हड़बड़ी में किए गये निर्णयों के गलत होने की संभावना बढ़ जाती है। कार्यों में गुणवत्ता का स्तर सही नहीं रह पाता। हड़बड़ी में किए गए कार्यों में अक्सर गलतियाँ होने की संभावनाएं अधिक होती हैं। जब हम समय के सन्दर्भ में अपने कार्यों या गतिविधियों का नियोजन कर रहे होते हैं, तब नियोजन के कारण समय की कोई समस्या ही नहीं रहती। नियोजन प्रक्रिया के अन्तर्गत भली प्रकार से कार्य और उसके अंगो पर विचार कर समय का निर्धारण किया जाता है। इसके लिए समय अध्ययन व गति अध्ययन जैसी तकनीकों का प्रयोग भी आवश्यकतानुसार किया जाता है। अतः कार्य प्रबंधन को अपनाने के बाद हड़बड़ी, उतावलेपन या जल्दबाजी का प्रश्न ही नहीं उठता और कार्य की गुणवत्ता भी श्रेष्ठ रहती है।

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