प्रसिद्ध प्रबंधशास्त्री हेनरी फेयोल के अनुसार, ‘ उपक्रम में उपलब्ध समस्त संसाधनों का उसके उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए यथासंभव सर्वोत्तम उपयोग के लिए प्रयास करना ही प्रबंधन का कार्य है।’ वास्तव में प्रबंधन के बिना अन्य सभी संसाधन संसाधन मात्र ही रह जायेंगे कभी उत्पादन व सेवाओं में परिवर्तित नहीं हो सकेंगे।
उपरोक्त चर्चा से स्पष्ट होता है कि प्रबंधन मुख्यतः मानवीय प्रयासों से ही संबन्ध रखता है। प्रबंधन भी अन्य संसाधनों की तरह एक संसाधन है, किंतु प्रबंधन वह संसाधन है जो अन्य संसाधनों का प्रयोग करके उनकी उपयोगिता में वृद्धि करता है। किसी वस्तु या सेवा की उपयोगिता की वृद्धि ही तो उत्पादन गतिविधियों का आधार है।
जब हम समय प्रबंधन की बात करते हैं तो स्पष्ट रूप से समझने की आवश्यकता है कि समय का संरक्षण व प्रबंधन करना संभव नहीं है। समय प्रबंधन का आशय समय के सन्दर्भ में अपने कार्यो व गतिविधियों का प्रबंधन करना है, ताकि उपलब्ध भौतिक व मानवीय संसाधनों के समय का संपूर्णता के साथ उपयोग सुनिश्चित करके उनसे पूर्ण मितव्ययिता के साथ अधिकतम उपयोगिता प्राप्त की जा सके। इसके अन्तर्गत प्रबंधन की उपयोगिता भी सुनिश्चित की जाती है। प्रबंधन दल के प्रत्येक सदस्य के समय का भी पूर्ण उपयाग किया जाय, इसकी व्यवस्था देखना भी समय प्रबंधन के अन्तर्गत ही आयेगा। वास्तविकता यह है कि समय प्रबंधन का प्रयोग न करके हम इसे कार्य प्रबंधन शब्द से संबोधित करें तो अधिक उपयुक्त रहेगा।