*प्रसन्न कैसे रहें?*
अर्चना पाठक
प्रसन्नता मन का भाव है, हम खुशियां अपनी प्राप्त सुविधाओं में खोजते हैं। इसीलिए भौतिक सूख - सुविधाओं की ओर भागते रहते हैं। अपने भीतर झाकें। दिन में जब भी जितना भी समय
मिले अपने दिमाग को विचार शून्य रखें। मुश्किल होगी परन्तु कोशिश जारी रखें।
हम क्या चाहते हैं ये जानें । अक्सर हम "लोग क्या कहेंगे?", "कोई क्या सोचेगा?" जैसे सवालों से परेशान रहते हैं। हमें तो यह समझना जरूरी है कि हम जो कर रहे हैं वह सही है हमारे, हमारे अपनों व समाज के लिए नुकसानदाक तो नहीं है। कहीं हामारे कार्य किसी के लिए समस्या तो नहीं खड़ी करेंगे। यदि नहीं तो फिर कोई क्या सोचता है क्या समझता है का तनाव क्यों ?
सही और ग़लत की परिभाषा एकदम सरल है हर वह कार्य जिसे करके हम सबको बता सकें वह सही है तथा हर वह कार्य जिसे करके हम दूसरों से छुपाएं ग़लत है।
अपने विचार सकारात्मक रखने से खुशियां पास आती हैं। किसी ने यदि आपकी बात नहीं सुनी तो उसकी वजह सम्याभाव हो सकता है, उसकी अपनी कोई मुश्किल हो सकती है, यह भी तो हो सकता है कि उसे आपकी बात समझ ही ना आई हो। सकारात्मक सोच आपको तनावमुक्त रखती है।
अर्चना पाठक
प्रसन्नता मन का भाव है, हम खुशियां अपनी प्राप्त सुविधाओं में खोजते हैं। इसीलिए भौतिक सूख - सुविधाओं की ओर भागते रहते हैं। अपने भीतर झाकें। दिन में जब भी जितना भी समय
मिले अपने दिमाग को विचार शून्य रखें। मुश्किल होगी परन्तु कोशिश जारी रखें।
हम क्या चाहते हैं ये जानें । अक्सर हम "लोग क्या कहेंगे?", "कोई क्या सोचेगा?" जैसे सवालों से परेशान रहते हैं। हमें तो यह समझना जरूरी है कि हम जो कर रहे हैं वह सही है हमारे, हमारे अपनों व समाज के लिए नुकसानदाक तो नहीं है। कहीं हामारे कार्य किसी के लिए समस्या तो नहीं खड़ी करेंगे। यदि नहीं तो फिर कोई क्या सोचता है क्या समझता है का तनाव क्यों ?
सही और ग़लत की परिभाषा एकदम सरल है हर वह कार्य जिसे करके हम सबको बता सकें वह सही है तथा हर वह कार्य जिसे करके हम दूसरों से छुपाएं ग़लत है।
अपने विचार सकारात्मक रखने से खुशियां पास आती हैं। किसी ने यदि आपकी बात नहीं सुनी तो उसकी वजह सम्याभाव हो सकता है, उसकी अपनी कोई मुश्किल हो सकती है, यह भी तो हो सकता है कि उसे आपकी बात समझ ही ना आई हो। सकारात्मक सोच आपको तनावमुक्त रखती है।