रविवार, 24 अप्रैल 2022

अपने लिए जिएं-१

 समाज सेवा और परोपकार के नाम पर घपलों की भरमार करने वाले महापुरूष परोपकारी होने और दूसरों के लिए जीने का दंभ भरते हैं। अपनी आत्मा की मोक्ष के लिए पूरी दुनिया को उपेक्षित करके तपस्या करने में तल्लीनता का दंभ भरने वाले स्वार्थी व्यक्ति अपने आपको महर्षि कहकर गौरवान्वित होने का प्रयत्न करते हैं। रंगे हुए कपड़े पहनकर बिना परिश्रम के संसार के सुख भोगने वाले मुफ्तखोर अपने आपको साधु कहलाने का दंभ भरते हैं। करोड़ों रूपयों में खेलने वाले अपने को त्यागी का नाम देते हैं। 

धार्मिक आस्था का सहारा लेकर भोली भाली युवतियों को फंसाकर उनके साथ रासलीला रचाने वाले अंतर्राष्ट्रीय स्तर के संत कहलाते हैं। पकड़ने जाने पर भी जेलों में रहकर भी नहीं शर्माते हैं। उनके लाखों अंधभक्त उसके बावजूद उनके अनुयायी बने रहते हैं। अपने पेशे के साथ धोखाधड़ी करके धन कमाने के लिए मानवता को कलंकित करने वाले महापुरूष भी अपने को जनसेवक घोषित करते हैं। गरीब जनता से टेक्स के नाम पर धन इकट्ठा करके उसका दुरुपयोग करने वाले तथाकथित नेता अपने आपको जन सेवक ही नहीं, जननायक के रूप में प्रस्तुत करते हैं। 

अपने शरीर का प्रदर्शन ही नहीं शरीर को सीढ़ियों की तरह प्रयोग करके किसी मुकाम पर पहुँचने वाली महिलाएं विदुषी कहलाती हैं और हमारी नई पीढ़ी की लड़कियों के लिए नायिका बन जाती हैं। पर्दे के पीछे पुरुषों को फसाकर मस्ती करने वाली तथाकथित भद्र महिलाएं सती सावित्री की कहानी सुनाकर भोली भाली युवतियों को मूर्ख बनाती हैं। प्रेमी संग मिलकर अपने ही पति की हत्या का षड्यंत्र रचने वाली स्त्रियाँ करवा चौथ का व्रत रखकर व्रत को कलंकित करती हैं। पैसे के लिए पारिवारिक संबन्धों को दाव पर लगाया जाता है और प्रेम के नाम पर ब्लेकमेल करते हुए धन ऐंठकर अपने आपको महान सिद्ध करने के प्रयत्न भी किए जाते हैं। आश्रमों और अनाथालयों के नाम पर देह व्यापार चलाने वाली महिलाएं और पुरुष समाज सेवा के नाम पर सरकारों व समाज को लूटते हैं। 

उपरोक्त कुछ उदाहरण मात्र हैं, जो समाज सेवा, जनसेवा, परोपकार या फिर ईश्वर के नाम पर किए जाते हैं। मंदिरों, मस्जिदों, चर्चो व अन्य पूजा स्थलों में दिनों दिन भीड़ बढ़ते हुए भी भ्रष्टाचार और बेईमानी क्यों बढ़ रही हैं। इन पूजा स्थलों में जाने वाले तथाकथित आस्तिक लोग अगर ईमानदारी से अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर सदाचार को अपना लें तो कोई कारण नहीं कि भ्रष्टाचार, बेईमानी और सामूहिक दुष्कर्म जैसे कृत्य इस प्रकार बढ़ें। अतः आवश्यकता इस बात की है कि जनसेवा, समाजसेवा और धार्मिक भ्रष्टाचार पर नियंत्रण लगाते हुए अपने आपको महानता के चोगे से मुक्त कर अपने लिए जीना प्रारंभ करें।

हमें जनसेवा करने की आवश्यकता नहीं है। आवश्यकता इस बात की है कि अपने कर्तव्यों का ईमानदारी पूर्वक निर्वहन करते हुए अपनी आजीविका कमाए और अपनी कमाई से ही अपने खर्चों का निर्वहन करें। हमें जनसेवा के नाम पर होने वाले चंदों की लूट से आश्रम ऐयाशी करने के स्थान पर अपने परिश्रम से कमाई रोटी खाकर अपने लिए काम करने और अपने लिए जीने की आवश्यकता है। हमें निपट स्वार्थी बनकर केवल अपने लिए, अपने परिवार के लिए काम करके आजीविका कमाने की आवश्यकता है। हमें जनसेवा, समाजसेवा और धर्म सेवा को तिलांजलि देकर अपने लिए जीकर स्वार्थी बनने की आवश्यकता है। हमें समाजसेवा के नाम पर, धर्म के नाम पर और राजनीति के नाम पर मुफ्तखोरी को रोककर सभी स्वार्थी बनकर स्वयं के लिए जीने की आवश्यकता है। हमें आवश्यकता है कि हम मुफ्तखोरी की बुराई से बचकर अपने लिए जिएं किसी को दान न करें किंतु ईमानदारी से अपने लिए स्वयं कमाएं। दूसरों के लिए नहीं, समाज के लिए नहीं, ईश्वर के लिए नहीं अपने लिए जिएं। ईमानदारी पूर्वक अपने लिए कमाएं और स्वयं कमाकर खाएं और संपत्ति का सृजन करें। आओ हम संकल्प करें कि हम अपने लिए जिएंगे अपने परिश्रम के द्वारा अपने स्वार्थो को पूरा करेंगे। 


शुक्रवार, 15 अप्रैल 2022

संसाधनों के कुशलतम प्रयोग और प्रभावशाली तंत्र की आशा

नवोदय विद्यालयों के संदर्भ में राष्ट्रीय शिक्षा नीति की

विद्यालय समेकन परिकल्पना
                        
अर्थशास्त्र में चयन के सि़द्धांत का आधार होता है कि संसाधन सीमित होते हैं और उनका वैकल्पिक प्रयोग किया जा सकता है। सीमित संसाधनों का कुशलतम प्रयोग करके अधिकतम और प्रभावी परिणामों की प्राप्ति प्रबंधन के द्वारा ही संभव है। उसी प्रबंधन का नियोजन राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुच्छेद 7 के स्कूल कॉम्प्लेक्स/कलस्टर के विचार में दिखाई देता है।
शिक्षा के क्षेत्र में ससाधनों की सदैव ही कमी देखी गई हैं। संसाधनों की कमी के साथ ही संसाधनों का अनुपयोगी पड़े रहना भी एक बड़ी समस्या के रूप में उभरकर आया है। यह मानवीय व भौतिक दोनों प्रकार के संसाधनों में देखा जा रहा है। एक तरफ वि़द्यालयों में बड़ी मात्रा में अनुपयोगी भूमि व भवन देखे जा सकते हैं तो दूसरी और विद्यार्थियों के पास एक छत भी उपलब्ध नहीं होती। एक तरफ अध्यापक नियुक्त हैं किंतु विद्यार्थी नहीं हैं, तो दूसरी तरफ विद्यार्थियों हैं किंतु अध्यापक नहीं हैं। इस समस्या का समाधान विद्यालय समेकन करते हुए विद्यालय परिसर की स्थापना या शिक्षा संकुल बनाने की परिकल्पना में है।
जब आंगनवाड़ी, प्राथमिक विद्यालय, उच्च प्राथमिक विद्यालय, उच्च विद्यालय, उच्च माध्यमिक विद्यालय व व्यावसायिक विद्यालय एक ही परिसर में होंगे तो संसाधनों की सहभागिता के साथ ही संसाधनों का कुशलतम प्रयोग हो सकेगा। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में विद्यार्थियों के लिए विषयों की विविधता उपलब्ध करवाने के विचार को लिया गया है। विद्यार्थियों की रूचि के अनुसार विषय ही नहीं शैक्षणिक विषयों के साथ कौशल को बढ़ाने के लिए स्किल सब्जेक्टस देने पर जोर दिया गया है। इस विचार का क्रियान्वयन विद्यालय परिसरों के माध्यम से ही हो सकता है। एक ही परिसर में विद्यालयों का समूह होने पर वे न केवल अपने भौतिक संसाधनों में सहभागिता कर सकेंगे, वरन मानवीय संसाधनों का भी कुशलतम प्रयोग हो सकेगा।
विद्यालयों के समेकन या शिक्षा परिसरों का विचार जितना सुंदर प्रतीत होता है। उतना ही कठिन भी है। शिक्षा के सार्वभौमीकरण के विचार को लेकर चलने के कारण हम प्रत्येक बच्चे के निकट विद्यालय उपलब्ध करवाने की कोशिश कर रहे हैं। ऐसी स्थिति में विद्यालयों का समूहीकरण बड़े पैमाने पर नहीं किया जा सकता। हम आंगनवाड़ी और प्राथमिक विद्यालय को उच्च माध्यमिक विद्यालय के परिसर में ले जायेंगे तो वह बच्चों से दूर हो जायेंगे।इसी समस्या का आभास होने के कारण राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में ‘जहाँ तक संभव हो’ भाव का प्रयोग किया है।
जवाहर नवोदय विद्यालय इस विचार को मूर्त रूप देने में अग्रणी भूमिका निभा सकते हैं। नवोदय विद्यालयों की स्थापना मॉडल स्कूलों के रूप में हुई थी। ये संपूर्ण जिले में गतिनिर्धारक संस्था के रूप में कार्य करने के लिए एक प्रयास है। नवोदय विद्यालय प्रत्येक जिले खोलने के प्रयास रहते हैं। नवोदय विद्यालयों के पास सामान्यतः आधुनिकतम भौतिक संसाधन उपलब्ध हैं। जवाहर नवोदय विद्यालयों के आसपास स्थित विद्यालयों को नवोदय विद्यालय परिसर में स्थापित करके एक आदर्श विद्यालय परिसर की परिकल्पना को प्रस्तुत किया जा सकता है। नवोदय विद्यालय में उपलब्ध भौतिक संसाधनों का कुशलतम प्रयोग भी हो सकेगा। 

जवाहर नवोदय विद्यालयों के पास बड़े-बड़े क्रीड़ास्थल हैं। आधुनिकतम व स्मार्ट प्रयोगशालाएं हैं, समृद्ध पुस्तकालय हैं, कम्प्यूटर और स्मार्ट प्रयोगशालाओं की उपलब्धता है। इंटरनेट व वाई-फाई की सुविधा उपलब्ध है। विद्यालय परिसर की स्थापन से इन सुविधाओं का प्रयोग इन सुविधाओं से वंचित विद्यालय भी कर सकेंगे। यही नहीं अन्य विद्यालयों की नवोदय परिसर में स्थापना होने से विद्यालय प्रशासन की क्षमताओं का भी कुशलतम प्रयोग हो सकेगा। जवाहर नवोदय विद्यालय स्वायत्तशासी संस्थाएं हैं। अतः इन परिसरों में स्थापित संस्थाओं को सम्मिलित करते हुए सहयोगी और सहभागी स्वायत्त संस्थाओं का समूह विकसित होगा, जो संपूर्ण देश की शिक्षा प्रणाली के सामने एक आदर्श स्थापित करके देश की शिक्षा प्रणाली के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है।


गुरुवार, 25 मार्च 2021

अपने लिए जियें

 आओ स्वार्थी बनें


हम सब लोग अक्सर धर्म, कर्म और पर्मार्थ की बातें करते हैं। अपने साथियों को अक्सर टोकते हैं कि बड़े स्वार्थी हो आप तो? मन्दिर, मस्जिद, गिरिजाघर और अन्य धार्मिक स्थलों पर भीड़ बड़ती ही जा रही है। लोग दान व चन्दा देने में भी कंजूसी नहीं करते। भारत के कई मन्दिरों की आय कई उद्योगों से भी अधिक मिलेगी।
    इतने धार्मिक व्यक्ति होते हुए भी भ्रष्टाचार में, अनाचार में, व्यभिचार में अनैतिकता में, सामूहिक बलात्कार व अप्राकृतिक कुकर्म जैसे नराधम अपराध भी हमारे यहां क्यों बढ़ रहे हैं? कई बार यह भी देखने में आता है कि इस प्रकार के पशुता वाले कृत्यों में समाज में इज्जत का लबादा ओढ़े व्यक्ति सम्मिलित होते हैं या उनको बचाने के प्रयत्न करते हैं। यही नहीं अपने सम्बन्धी अपराधी को बचाने के लिये कई बार कुतर्क दिया जाता है कि किसी को बचाने के लिये बोला गया झूठ झूठ नहीं माना जाता। इस तरह के समाज के ठेकेदारों से अच्छा है कि हम अपने लिए जीने की घोषणा कर दें। दूसरों को सुधारने की अपेक्षा अपने आप को सुधारने के प्रयत्न करें। दूसरों को सीख देने के स्थान पर स्वयं सीख लें और अपने जीवन में सुधार करें।
    अतः आइये हम दूसरों के लिए नहीं, अपने लिए जीना सीखें। दूसरों के लिए जीने का दंभ त्यागकर वास्तविकता को स्वीकार करें कि हम केवल अपने आप के लिए जी रहे हैं। हम अपने स्वार्थों को पूरा करने के लिये सेवा का दिखावा न करें। मैंने कहीं किसी अज्ञात विचारक का विचार पढ़ा था कि जब बुरा व्यक्ति अच्छा दिखने का ढो़ंग करता है तो वह और भी बुरा हो जाता है। अतः आइये हम और भी बुरा बनने से बचें और स्वीकार करें कि हम अपने लिये जी रहें हैं, हम नितान्त स्वार्थी हैं। मुझे यह कहने में कोई संकोच नहीं है को मैं नितांत स्वार्थी हूं।
    सभी से आग्रह है कि वे विचार करें और इस तथ्य को स्वीकार करें कि वे अपने लिये जी रहे हैं और स्वार्थी हैं। स्वीकारोक्ति से ही सुधार का मार्ग निकलता है।www.rashtrapremi.com

बुधवार, 10 मार्च 2021

कठिन काम है- खुद को संवारना

 आज अपने ही ब्लाग के नामकरण पर ध्यान गया। खुद को संवारे-प्रबन्धन करें। यह वाक्य लिखने में जितना सरल है, व्यवहार में उतना ही कठिन। वास्तविकता यह है कि हम खुद को संवारने का प्रयत्न ही कहां करते हैं? हमें अपने कपड़ों की चिन्ता रहती है, क्योंकि हमें दूसरों की नजरों में अच्छा दिखना है। हम सोच-समझ कर बोलते हैं, नियन्त्रित होकर बोलते हैं, भय रहता है, सच बात मुंह से निकल गयी तो लोग क्या कहेंगे? आप होटल में बैठे है तो आपको अपने आपको वहां के वातावरण के अनुसार ही दिखाना है, वरना लोग क्या कहेंगे?

    हम अपने कपड़ों पर ध्यान देते हैं, अपने रहन-सहन पर ध्यान देते हैं, हम अपने आस-पास रहने वाले सभी निकट और दूर के जो भी हों ध्यान देते हैं, सभी के साथ रिश्तों का प्रबन्धन करने के प्रयत्न करते हैं। अपने और अपने लोगों की वस्तुओं को सवांरते है, अपने काम-काज को सवांरते है, अपने घर और कार्यालय का प्रबन्धन करते है। हम अपने पड़ोसियों के बारे में सोचते हैं, अपने बच्चों के बारे में सोचते हैं, अपनी पत्नी के बारे में सोचते हैं। सबका मूल्यांकन करते हैं। सबकी चिन्ता करते हैं। किन्तु ईमानदारी से विचार करें, अपने लिये केवल अपने प्रबन्धन के लिये, केवल अपने विकास के लिये कितना समय लगाते हैं? अपने आप को सवांरने और अपना प्रबन्धन करने के बारे में हम विचार भी नहीं करते। आओ! अपने बारे में विचार करना प्रारंभ करें। अपने आपको संवारने का प्रयत्न करें। अपने आपका प्रबन्धन करने का प्रयत्न करें।

मंगलवार, 26 जनवरी 2021

गणतंत्र दिवस 2021 की हार्दिक शुभकामनाएं।

 आइए आज के दिन भारत माता की आजादी के लिए लड़ने वाले उन सभी देशभक्तों के बलिदानों को याद करते हुए शपथ लें कि हम एक साथ मिलकर अपने कर्त्तव्यों का ईमानदारी से निर्वहन करते हुए देश में शांति, समृद्धि और एकता को बनाए रखने के लिए अपने जीवन को अर्पित करें।


    आज हम बिहेत्तरवां गणतन्त्र दिवस मना रहे हैं। देश ने कितना विकास किया है, यह राजधानी में आयोजित हो रहे कार्यक्रम की झांकियों से समझा जा सकता है। इस बार देश के कुछ किसान भी अपनी ताकत का अहसास कराते हुए ट्रेक्टर रैली का आयोजन भी कर रहा है। बैल की एक जोड़ी या एक गाय का सपना देखते हुए इस संसार से विदा होने वाला किसान कितना विकसित हुआ है, इसका अनुमान यह ट्रेक्टर रैली में आयोजित ट्रेकटरों, किसानों के द्वारा प्रयोग किये जा रहे लग्जरी वाहनों को देख कर सहजता से लगा सकता है।

किसान कितना सशक्त हुआ है, यह इसी बात से स्पष्ट है कि प्रचंड बहुमत से चुनी हुई सरकार को देश की राजधानी में चुनौती दे रहा है।

आज आवश्यकता इस बात की है कि किसान इस शक्ति का प्रयोग देश को और सशक्त करने में कर सके। हम इस विकास, समृद्धि और शक्ति को देश के शेष नागरिकों तक भी पहुंचा सकें, इसकी आवश्यकता है। आओ हम सब जहां भी हैं, जिस भी भूमिका में हैं, पूरी शक्ति के साथ अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते हुए देश को विकास के चरम तक ले जाने के लिए प्रयत्न करें।

भारत माता की जय।

शनिवार, 23 जनवरी 2021

अध्यापक बनें-जग गढ़ें-२१

 

कैरियर के क्षेत्र में प्रतियोगिता की चुनौती

कैरियर के क्षेत्र में वर्तमान समय में प्रतियोगिता की चुनौती का सामना करना पड़ता है। अतः आवश्यक है कि हम चुनाव से पूर्व ही हम यह जान लें कि हम क्या हैं? क्या-क्या कर सकते हैं? क्या करना चाहते हैं और हमें क्या करना है ? चुनाव के बाद बार-बार जल्दी-जल्दी अपनी वृत्ति या कैरियर लाइन को उद्देश्यहीन तरीके से बदलना न व्यक्ति के हित में है और न ही समाज के विकास की दृष्टि से उचित कहा जा सकता है। कैरियर में एक निश्चित सीमा तक स्थिरता व्यक्ति और समाज दोनों के लिए ही हितकर होती है। यह स्थिरता तभी हो सकती है जब व्यक्ति अपने बारे में सही विश्लेषण व आकलन करके कैरियर का चुनाव करे।

      सामान्यतः कैरियर के चयन का आधार हाईस्कूल के पश्चात् कक्षा 11 में विषय चयन से ही हो जाता है। मानविकी, विज्ञान, वाणिज्य या वोकेशनल के चयन के साथ ही भावी चयन का आधार बनने लगता है। वरिष्ठ माध्यमिक शिक्षा के बाद स्नातक के विषय भावी कैरियर में मील का पत्थर साबित हो सकते हैं। माध्यमिक, उच्चतर माध्यमिक व स्नातक का व्यवस्थित व योजनाबद्ध अध्ययन सुव्यवस्थित कैरियर के चुनाव के लिए सुविधाजनक रहता है। उदाहरणार्थ, कला या संगीत के क्षेत्र में कैरियर का चुनाव करने वाले विद्यार्थी को माध्यमिक व उच्च माध्यमिक स्तर पर ही कला या संगीत जैसे विषयों का चुनाव करना होगा। यही नहीं उन विषयों में विशेषज्ञता हासिल करते हुए स्नातक स्तर पर विशेष अध्ययन करके आगे बढ़ना होगा।

      वृत्ति, जीविका या कैरियर का चयन एक ऐसा महत्वपूर्ण कृत्य है जो हमें आजीवन सीखते हुए आगे बढ़ने का राजमार्ग प्रदान करता है, जिस पर हम स्व-प्रेरित व स्वानुशासित रहते हुए उन्नति के चरमशिखर की ओर बढ़ते हैं। हम जैसा करते हैं, हमारी अभिरूचि और वृत्ति की आवश्यकताएं हमें भावी बदलाव की ओर अग्रसर करती रहती हैं।

 

 

 “कैरियर का चयन करने से पूर्व संभावित विकल्पों की तलाश करना, उपलब्ध संसाधनों और परिस्थितियों का विश्लेषण करते हुए संभावित विकल्पों का मूल्यांकन कर सर्वश्रेष्ठ विकल्प का चुनाव करना, किसी भी व्यक्ति के लिए जीवन का महत्वपूर्ण कार्य होता है। कैरियर का वैज्ञानिक विश्लेषण और उचित नियोजन के साथ चयन करने से कैरियर के शिखर तक जाने की संभावनाएं अधिक बलवती हो जाती हैं।“

समय की एजेंसी-35

सफलता की ओर पहला कदमः

सामान्यतः कहा जा सकता है कि समय के संदर्भ में प्रबंधन सफलता की यात्रा प्रारंभ करने का पहला कदम है। यह केवल कहावत मात्र ही नहीं है, एक वास्तविकता है। समय ही जीवन है। जीवन से अधिक मूल्यवान व महत्वपूर्ण व्यक्ति के पास कुछ भी नहीं है। जो व्यक्ति अपने जीवन का व्यवस्थित प्रयोग नहीं करता अर्थात् अपने समय का योजनाबद्ध ढंग से प्रयोग सुनिश्चित नहीं करता उसे सफलता के सपने नहीं देखने चाहिए। यदि कोई व्यक्ति अपने पास उपलब्ध समय का ही प्रबंधन की सहायता से सदुपयोग सुनिश्चित नहीं कर सकता, तो वह अन्य संसाधनों का भी सही प्रकार से प्रबंधन नहीं कर पायेगा। समय के पल-पल का कार्य के साथ प्रबंधन अन्य संसाधनों के प्रबंधन का आधार है। मानवीय संसाधनों के अतिरिक्त अन्य संसाधनों का भी एक जीवनकाल या कार्यकारी जीवनकाल होता है। अतः उनके सन्दर्भ में भी समय के अनुसार उपयोग करने की योजना बनाना आवश्यक होता है।

Rounded Rectangle: यदि कोई व्यक्ति अपने पास उपलब्ध समय का ही प्रबंधन की सहायता से सदुपयोग सुनिश्चित नहीं कर सकता, तो वह अन्य संसाधनों का भी सही प्रकार से प्रबंधन नहीं कर पायेगा।
 

 

 

 


     

 

यदि व्यक्ति अपने पास उपलब्ध समय के पल-पल का  उपयोग करने के लिए अपने कार्यों का प्रबंधन करने में महारथ हासिल कर लेता है, तो वह अपने जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में सभी कार्यों को संभालने में सक्षम होता है। उसे समय के संदर्भ में प्रत्येक कार्य का प्रबंधन करने की आदत बन जाती है। एक बार समय की प्रत्येक इकाई के योजनाबद्ध प्रयेाग की आदत बन गयी तो व्यक्ति स्वयं के प्रबंधन में ही नहीं देश के प्रबंधन में भी सफलता हासिल कर सकता है। जो अपना प्रबंधन कर सकता है, वह किसी का भी प्रबंधन कर सकता है। जो स्वयं पर नियंत्रण पा लेता है, वह सभी पर नियंत्रण प्राप्त कर सकता है। जिसने अपने आपको जीत लिया, दुनिया में कोई उसे पराजित नहीं कर सकता।

      समय के संदर्भ में प्रबंधन की आदत हो जाने पर वह जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में सफलता सुनिश्चित करती है। समय की प्रत्येक इकाई का प्रयोग केवल अपने ही समय के प्रयोग में कुशलता प्रदान नहीं करता वरन अन्य संसाधनों के समयबद्ध प्रबंधन में भी कुशल बनाता है। समय के संदर्भ में कार्य प्रबंधन व्यक्ति को सफलता की ओर ले जाता है, क्योंकि-

1. समय के संदर्भ में कार्य प्रबंधन समय की प्रत्येक इकाई का सदुपयोग करने की आदत डालकर मितव्ययिता लाता है। समय की प्रत्येक इकाई के प्रयोग के कारण मानवीय व अमानवीय सभी संसाधनों के कुशलतम प्रयोग के कारण लागत में कमी आती है। यही नहीं कुशलतम व प्रभावी प्रयोग गुणवत्ता के स्तर को भी सुनिश्चित करता है।

2. समय के संदर्भ में कार्य प्रबंधन का आधार नियोजन होता है। नियोजन हमें श्रेष्ठतम निर्णय लेने में सक्षम बनाता है। नियोजन के अन्तर्गत हम ध्येय, उद्देश्य और लक्ष्यों पर भी चिंतन-मनन करते हैं। इस प्रकार हमारे सामने हमारे उद्देश्य स्पष्ट हो जाते हैं। आप क्या चाहते हैं? इसे याद रखना, अपनी गतिविधियों के प्रबंधन का महत्वपूर्ण कदम ही नहीं है; सफलता का भी प्रथम कदम है। जब आपको पता ही नहीं होगा कि आप चाहते क्या हैं? आप क्या करेंगे? और क्या सफलता पायेंगे?

Rounded Rectangle: आप क्या चाहते हैं? इसे याद रखना, अपनी गतिविधियों के प्रबंधन का महत्वपूर्ण कदम ही नहीं है; सफलता का भी प्रथम कदम है। 

 

 

 


3. समय के संदर्भ यदि कोई व्यक्ति अपने पास उपलब्ध समय का ही प्रबंधन की सहायता से सदुपयोग सुनिश्चित नहीं कर सकता, तो वह अन्य संसाधनों का भी सही प्रकार से प्रबंधन नहीं कर पायेगा।   में कार्य प्रबंधन केवल मानवीय समय को ही अधिक उत्पादक नहीं बनाता वरन अन्य संसाधनों के समय का भी मितव्ययितापूर्वक प्रयोग होने के कारण अधिक उत्पादकता प्राप्त करने में सहायता प्रदान करता है। कार्य प्रबंधन या समय के सन्दर्भ में कार्य प्रबंधन मानवीय व अमानवीय साधनों का अधिकतम प्रयोग सुनिश्चित करके वस्तु या सेवा की लागत को कम करता है। यही नहीं समय की प्रति इकाई का सदुपयोग होने व सभी संसाधनों का कुशलतम व प्रभावपूर्ण उपयोग होने के कारण कार्य की गुणवत्ता में भी सुधार होता है।

4. समय के संदर्भ में कार्य प्रबंधन करने से प्रबंधन की तकनीकों का प्रयोग किया जाता है। नियोजन, निर्णयन व नियंत्रण जैसी प्रबंधन तकनीकों के प्रयोग से कुशलता व कार्य की गति में वृद्धि होती है। कुशलता में वृद्धि के कारण क्रियान्वयन का स्तर भी सुधरता है, जिसके कारण आशा के अनुरूप परिणामों की प्राप्ति होती है और प्रेरणा का स्तर बढ़ता है। परिमाण और गुणवत्ता दोनों में वृद्धि होती है।

5. समय के संदर्भ में कार्य प्रबंधन से व्यक्ति के तनाव का स्तर कम होकर समाप्तप्राय हो जाता है। कार्य और समय का सही आवंटन हो जाने व योजनाबद्ध ढंग से कार्य होने के कारण किसी प्रकार की हड़बड़ी नहीं रहती। कार्य सुचारू ढंग से चलता रहता है। स्वास्थ्य अच्छा रहता है, जो जीवन के आनन्द को बढ़ाकर और अधिक कार्य करने को प्रेरित करता है। कार्य प्रबंधन अपनाकर व्यक्ति व्यस्त रहता है, मस्त रहता है और स्वस्थ रहता है।

6. समय के संदर्भ में कार्य प्रबंधन करने से सभी गतिविधियों का अध्ययन किया जाता है। प्रत्येक गतिविधि में लगने वाले समय का मानकीकरण हो जाता है। उस मानकीकरण के आधार पर कार्य करने वाले कार्यकर्ता के परिश्रम का मूल्यांकन आसानी से किया जा सकता है। यही नहीं वस्तुओं या सेवाओं का मूल्यांकन भी अधिक सटीकता के साथ करना संभव होता है। व्यक्ति के समय का सही से उपयोग होने के कारण उसका आर्थिक व सामाजिक विकास होता है। उसके परिवार व समाज पर भी उसका सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।