शनिवार, 4 सितंबर 2010

कार्य श्रेणीकरण, प्रमापीकरण व कार्य मूल्यांकन

                                            कार्य श्रेणीकरण (Job Grading)



कार्य वर्गीकरण के उपरान्त प्रत्येक कार्य का स्तर निर्धारित करना ही कार्य श्रेणीकरण है। कार्य श्रेणीकरण का आधार योग्यता, तकनीकी जानकारी, कार्य संबन्धी जोखिम, व्यवसाय में महत्व, जागरूकता एवं फुर्ती आदि बातें होती हैं। इन्हीं के आधार पर उच्चस्तरीय कार्य के लिए अधिक वेतन तथा निम्नस्तरीय कार्य के लिए कम वेतन का निर्धारण किया जाता है।

संक्षेप में कार्य श्रेणीकरण से ही स्तर निर्धारण, आदेश श्रृंखला का निर्धारण, आदेश पालन तथा संप्रेषण को नियमित करना सम्भव होता है। श्रेणीकरण के कुछ उदाहरण इस प्रकार हैं- कुशल एवं अकुशल कार्य, लिपिकीय एवं प्रबंधकीय कार्य, कनिष्ट लिपिक, वरिष्ट लिपिक, लेखा लिपिक, कार्यालय अधीक्षक, स्टैनोग्राफर आदि।



कार्य प्रमापीकरण Job Standardisation

कार्य प्रमापीकरण का आशय कार्य को नियन्त्रित ढंग से संचालित करना है। कार्य संबन्धी आवश्यकताओं के आधार पर योग्यता प्रमाप, उपकरण प्रमाप, कार्य गति प्रमाप, कार्यदशाओं सम्बन्धी प्रमाप, कर्मचारी सुविधाओं का प्रमाप, प्रिशक्षण स्तर का प्रमाप आदि कई प्रमाप निर्धारित किए जाते हैं। विभिन्न प्रमापों के संयोग से ही वस्तु का निमार्ण तथा प्रमापित कार्य सम्भव होता है।



कार्य मूल्यांकन Job Evaluation



कृत्य मूल्यांकन से आशय एक व्यवस्थित विधि या प्रक्रिया से है जिसके द्वारा अन्य सम्बन्धित कृत्यों (Jobs) की तुलना में किसी कृत्य का मूल्यांकन किया जाता है। मुद्रा के सन्दर्भ में किसी कार्य का अन्य कार्य की तुलना में क्या क्षतिपूरण होना चाहिए, इसके निर्धारण की विधि या प्रक्रिया ही कृत्य-मूल्यांकन कहलाती है।

इस प्रकार कृत्य मूल्यांकन किसी संगठन में प्रत्येक कृत्य की अन्य कृत्यों के सम्बन्ध में उपयोगिता का मूल्यांकन करने की एक व्यवस्थित विधि है। इस प्रकार कृत्य मूल्यांकन कृत्यों के अंकन की विधि है, न कि कर्मचारी अंकन की। निष्पादन मूल्यांकन में कर्मचारी की कुशलता, योग्यता व निष्पादन पर ध्यान दिया जाता है, जबकि कार्य मूल्यांकन में कृत्य के सापेक्षिक मूल्यांकन पर।

अन्तर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के द्वारा किए गए एक अध्ययन के अनुसार कृत्य मूल्यांकन के दो प्रमुख उद्देश्य हैं-

1. विवेकपूर्ण तथ्यों के आधार पर कार्य का सापेक्षिक मूल्य निर्धारित करना।

2. समान स्तर पर समान कृत्यों के लिए समान मजदूरी का निर्धारण।

इस प्रकार यह कहा जा सकता है कि कार्य-मूल्यांकन कर्मचारियों को प्रदान किये जाने वाले क्षतिपूरण के निर्धारण का एक अच्छा मापदण्ड या आधार है।