मंगलवार, 2 अप्रैल 2024

आओ कुछ पग साथ चलें

 जीवन का कोई नहीं ठिकाना, कैसे जीवन साथ चले?

जीवन साथी नहीं है कोई, आओ कुछ पग साथ चलें॥


चन्द पलों को मिलते जग में, फ़िर आगे बढ़ जाते है।

स्वार्थ सबको साथ जोड़ते, झूठे रिश्ते-नाते हैं।

समय के साथ रोते सब यहां, समय मिले तब गाते हैं।

प्राणों से प्रिय कभी बोलते, कभी उन्हें मरवाते हैं।

अविश्वास भी साथ चलेगा, कुछ करते विश्वास चलें।

जीवन साथी नहीं है कोई, आओ कुछ पग साथ चलें॥


कठिनाई कितनी हों? पथ में, राही को चलना होगा।

जीवन में खुशियां हो कितनी? अन्त समय मरना होगा।

कपट जाल है, पग-पग यहां पर, राही फ़िर भी चलना होगा।

प्रेम नाम पर सौदा करते, लुटेरों से लुटना होगा।

एकल भी तो नहीं रह सकते, पकड़ हाथ में हाथ चलें।

जीवन साथी नहीं है कोई, आओ कुछ पग साथ चलें॥


शादी भी धन्धा बन जातीं, मातृत्व बिक जाता है।

शिकार वही जो फ़से जाल में, शिकारी सदैव फ़साता है।

विश्वास बिन जीवन ना चलता, विश्वास ही धोखा खाता है।

मित्र स्वार्थ हित मृत्यु देता, दुश्मन मित्र बन जाता है।

कुछ ही पल का साथ भले हो, डाल गले में हाथ चलें।

जीवन साथी नहीं है कोई, आओ कुछ पग साथ चलें॥

शुक्रवार, 29 मार्च 2024

सहयोग की भावना पर हावी होता भय

  आज जसपुर उत्तराखंड से ठाकुरद्वारा बस से आ रहा था। बस में मेरी सीट से आगे की सीट पर बैठी महिला ने एक कागज का टुकड़ा दिखाते हुए मोबाइल नम्बर डायल करने के लिए कहा। मेरा अन्तर्मन सदैव महिलाओं की शिक्षा, स्वास्थ्य व सुरक्षा के लिए सहयोगी रहा है। लगभग २० वर्ष पूर्व तक आगे बढ़कर सहयोग करने वाला व्यक्ति महिलाओं से इतना भयभीत रहने लगा है कि अपरिचित महिला से तो बात करने में ही भय लगता है। 

व्यक्तिगत अनुभव व चन्द स्वार्थी, शातिर महिलाओं के कपट, षड्यन्त्रों व ब्लेक-मेलिंग की दिन-प्रतिदिन प्रकाशित व प्रसारित होने वाली अपराध कथाओं के कारण वास्तव में जरूरतमन्द महिलाओं की सहायता करना भी जोखिमपूर्ण लगता है। अब अपने आप को जोखिम में डालकर कौन सहायता करेगा?

प्रतिदिन ऐसी घटनाओं के समाचार आम हो गये हैं कि महिलाएं बातों में फ़सातीं हैं। झूठे मुकदमे लगाने की धमकी देती हैं या झूठे मुकदमे लगाकर बड़ी-बड़ी रकम वसूल कर बिना परिश्रम किए लग्जरी लाइफ़ जीने का भ्रम पालती हैं। इस तरह की आदत विकसित हो जाने के बाद ह्त्याएं भी करने लगती हैं। यही नहीं अन्ततः स्वयं भी किसी भयानक संकट में फ़ंसती हैं, यही नहीं मारी भी जाती हैं।

 वर्तमान में प्रेम के नाम पर लड़के को फ़ंसाना, उसके साथ शारीरिक सम्बन्ध बनाना और फ़िर उसके ऊपर जबरदस्ती शादी का दबाव बनाना आम बात हो रही है। कई बार ऐसा भी होता है कि छिपकर मस्ती लेती रहती हैं और जब किसी को पता चल जाता है तो बलात्कार का अरोप लगा देती हैं। दहेज के झूठे मुकदमें तो बहुतायत में हो रहे हैं।अपनी कमियों को छिपाने और लड़कों कों लूटने के लिए दहेज कानून का दुरुपयोग बड़े पैमाने पर किया जा रहा है। स्थिति ऐसी बन रही हैं कि समझदार व सज्जन लड़के तो लड़्कियों से बात करने में भी डरते हैं। कई बार तो शादी करने से ही डर लगता है। ऐसी ब्लेक मेलिंग में फ़ंसने से तो अच्छा है कि शादी ही न की जाय।

    इस तरह की शातिराना आपराधिक षड्यन्त्र केवल लड़कियां ही नहीं करतीं, उम्र दराज महिलाएं भी करती हैं। कार्यालयों में काम के लिए कहने पर या अवकाश के लिए मना करने पर सेक्सुअल ह्रासमेन्ट की झूठी शिकायतें करते हुए भी देखी जाती हैं। अपने आपको महिला होने के कारण काम से बचने का प्रयास करती हैं। सभी महिलाएं ऐसी नहीं होतीं। कुछ कर्मठ व अपने काम के बल पर आगे बढ़ने वाली भी होती हैं। किन्तु शातिर व कामचोर महिलाओं के कारण उन्हें भी सहयोग करना मुश्किल हो जाता है। 

 कई बार तो पैसे के लालच में उनका परिवार भी ब्लेक मेलिंग के धन्धे में सम्मिलित हो जाता है। शादी के नाम पर किसी को फ़ंसाने और वसूली के लिए झूठे केस करने में परिवार भी सम्मिलित हो जाता है।  लुटेरी दुल्हन बनकर लूट करने का धन्धा अच्छे से फ़लफ़ूल रहा है। लगता है कि यही स्थितियां रहीं तो अगली शताब्दी में लड़के शादियां करना ही बन्द कर देंगे।