रविवार, 12 अप्रैल 2020

समय की एजेंसी-28

कार्य प्रबंधन किस प्रकार एक सामान्य जन को एक सफल व्यक्तित्व में परिणत कर देता है या महापुरूष बना देता है? आओ इस पर विचार करें। प्रबंधन संसार का सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण व उपयोगी संसाधन है। प्रबंधन एकमात्र ऐसा तत्व है जो सभी संसाधनों का श्रेष्ठतम उपयोग सुनिश्चित करता है। समय का उपयोग कार्य प्रबंधन के साथ करने से समय का गुणवत्तापूर्ण उपयोग संभव होता है। कार्य प्रबंधन के द्वारा   जीवन का सदुपयोग करते हुए जीवन का आनन्द लिया जा सकता है। आइए विचार करें! कार्य प्रबंधन किस प्रकार किया जा सकता है? और कार्य प्रबंधन क्यों आवश्यक है-
1. समय की प्रत्येक इकाई का प्रयोगः व्यक्ति के पास सबसे महत्त्वपूर्ण संसाधन समय है। समय ही एक ऐसा संसाधन है जिसका उत्पादन संभव नहीं है। समय का संरक्षण भी संभव नहीं है। समय ही जीवन है। समय के बर्बाद होने का मतलब जीवन का बर्बाद होना होता है। अतः समय बर्बाद करना किसी भी विचारवान व्यक्ति के लिए उचित नहीं रहेगा। जीवन का संपूर्णता के साथ सदुपयोग करने का मतलब अपने पास उपलब्ध समय की प्रत्येक इकाई का सदुपयोग करना है। यह कार्य समय के सन्दर्भ में अपने कार्यों का प्रबंधन करके ही किया जा सकता है। सामान्य अर्थ में इसी कार्य प्रबंधन को सामान्यतः कार्य प्रबंधन कहा जाता रहा है। अतः जीवन को संपूर्णता के साथ जीने के लिए कार्य प्रबंधन की आवश्यकता है। 
2. समय की उत्पादकता में वृद्धिः सभी के पास समय की सभी इकाइयों में बराबर समय होता है। एक वर्ष का आशय 365 आपवादिक रूप से 366 दिन से होता है। एक वर्ष में सभी के लिए 12 माह ही होते हैं। सभी के माह में 30 या 31 दिन ही होते हैं। आपवादिक रूप से फरवरी माह में 28 या 29 दिन भी हो जाते हैं किंतु होते सभी के लिए समान हैं। एक दिन में सभी के पास 24 घण्टे ही उपलब्ध रहते हैं। विश्व का धनी से धनी व्यक्ति भी अपने पास उपलब्ध समय में वृद्धि नहीं कर सकता। कोई भी व्यक्ति कितना भी धन व्यय करके अपने समय में इजाफ़ा नहीं कर सकता। संसार में किसी भी व्यक्ति के पास समय की एजेंसी नहीं है, जो दूसरे व्यक्तियों को समय की बिक्री करके उनके समय अर्थात् जीवन में वृद्धि कर सके। प्रत्येक व्यक्ति के पास केवल अपने लिए समय की एजेंसी है। वह केवल अपने समय का गुणवत्ता पूर्ण उपयोग कर अपने जीवन को महत्त्वपूर्ण बना सकता है।
               कार्य की गुणवत्ता में वृद्धि की बात तो अक्सर की ही जाती है। हमने समय की गुणवत्ता में वृद्धि की बात की है। समय की गुणवत्ता और कार्य की गुणवत्ता में बहुत ही महीन अंतर है। कई बार तो यह समान ही प्रतीत होते हैं। किए जाने वाले कार्य को उच्च गुणवत्ता के साथ संपन्न करके हम अपनी प्रभावशीलता में वृद्धि कर सकते हैं। हमारे द्वारा किए जाने वाले कार्यों की गुणवत्ता हमारे जीवन को भी प्रभावशाली बनाकर गुणवत्तापूर्ण बनाती है। हम ऐसे अनेक महापुरूषों को जानते हैं, जिन्होंने अपने गुणवत्तापूर्ण व प्रभावी कार्यों के द्वारा अपने लघु जीवन में ही बहुत बड़े-बड़े और प्रभावशाली कार्य किये। स्वामी विवेकानन्द अपने 39 वर्षों के जीवन काल में ही सैकड़ों वर्षाें का मार्गदर्शन प्रदान कर गये। हमारे आविष्कारक, वैज्ञानिक, तत्त्ववेत्ता जिन्होंने समाज के स्तर व चिंतन को ही बदलने में सफलता हासिल की, ने अपने लघु जीवन को गुणवत्तापूर्ण कार्यों में लगाया और अमर हो गये। ये सभी अपने समय का प्रयोग प्रबंधन के साथ करके ही उन उपलब्धियों को हासिल कर पाये।

कोई टिप्पणी नहीं: