कैरियर शब्द मूलतः आंग्ल भाषा का शब्द है। हिन्दी में कुछ लोग इसका उच्चारण करियर के रूप में भी करते हैं। संज्ञा के रूप में कैरियर या करियर के अनेक अर्थ लिए जाते हैं, चलन, दौड़ का मार्ग, दौड़, गति, चाल, व जीविका। क्रिया के रूप में इसका अर्थ सरपट जाना व तेज जाना मिलता है। सन्दर्भ को देखते हुए कैरियर का अर्थ आजीविका या जीविकोपार्जन के विकास के मार्ग से लिया जा सकता है, जिस पर सम्बन्धित व्यक्ति अपने कार्यकाल के दौरान अविरल रूप से आगे बढ़ता है या आगे बढ़ने की संभावना होती है।
कैरियर या आजीविका शब्द से आशय किसी ऐसे व्यवसाय से है जिसके माध्यम से व्यक्ति जीवन में आगे बढ़ने और प्रगति के अवसरों का लाभ उठाने में सक्षम होता है। दूसरे अर्थो में कैरियर का अर्थ उस पद श्रृंखला से है, जिस पर व्यक्ति अपनी योग्यता व कर्मठता के बल पर आगे बढ़ सकता है। उदाहरणार्थ, एक व्यक्ति अध्यापक के रूप में कार्य प्रारंभ करता है, आगे संभावना है कि वह अनुभव व योग्यता में वृद्धि करते हुए उप-प्रधानाचार्य, प्रधानाचार्य, शिक्षा अधिकारी, सहायक आयुक्त के पद तक पहुँच सके। यही पद-सौपान श्रृंखला उसका कैरियर है।
कोई व्यक्ति जीवन की विविध कालावधियों में जिस क्षेत्र में जो काम करता है, उसी को उसकी वृत्ति, जीविका या आजीविका कहा जाता है। आजीविका में निरंतरता की प्रवृत्ति ही कैरियर के नाम से जानी जाती है। आजीविका या वृत्ति पर आगे बढ़ने की संभावना का मार्ग जिस पर कार्य करते हुए आगे बढ़ना संभव है, कैरियर कहा जा सकता है।
आजीविका या वृत्ति किसी भी कार्य को नहीं कहा जा सकता। रोजगार अर्थात जीविका निर्वाह के लिए किए गये कार्य ही वृत्ति कहे जा सकते हैं। आत्मसंतुष्टि के उद्देश्य से किए गये सेवा कार्य आजीविका नहीं कहे जा सकते। अध्यापक, अधिवक्ता, अभियंता, प्रबंधक, चिकित्सक, से लेकर श्रमिक तक करने वाले कृत्य ही नहीं, कला और राजनीति भी आजीविका के रूप में हो सकते हैं वशर्ते वे जीविका निर्वहन के लिए किए जाते हों। इस प्रकार किसी कार्य को कैरियर कहना या न कहना इस बात पर निर्भर है कि वह किस उद्देश्य से किया जा रहा है।
कोई भी कार्य कैरियर हो भी सकता है और नहीं भी हो सकता; यह व्यक्ति की कार्य करने की प्रवृत्ति पर निर्भर करता है। यदि कोई व्यक्ति शौक पूरा करने के लिए गरीब बच्चों को मुफ्त में पढ़ाता है तो उस व्यक्ति का आजीविका का साधन वह नहीं है। इसी प्रकार शौकीन लिखने वाले लेखकों की आजीविका भी लेखन नहीं होती, भले ही यदा-कदा उन्हें कुछ धनराशि भी मिल जाती हो।
दूसरी ओर यदि कोई महिला अपने जीवन निर्वाह के लिए अपने रसोईघर से ही खाना बनाकर लोगों को खिलाने और लोगों के निवास स्थान या कार्यालयों में टिफिन पहुँचाने का कार्य नियमित करती है, तो खाना बनाने का कार्य भी वृत्ति या आजीविका कहा जायेगा। मतलब यह है कि कोई कार्य किसी एक व्यक्ति के लिए आजीविका या कैरियर हो सकता है, जबकि दूसरे के लिए केवल शौक! यह व्यक्ति पर निर्भर है कि वह उस कार्य को किस प्रकार लेता है। सामान्यतः व्यक्ति के शौक और आजीविका भिन्न-भिन्न पाये जाते हैं।
कैरियर के रूप में व्यक्ति किसी भी व्यवसाय को चुन सकता है। व्यवसाय किसी व्यक्ति द्वारा लम्बे समय तक किया जाने वाला एक कार्य है, जिसको करते हुए वह अपनी आजीविका का अर्जन करता है। कई बार देखने में आता है कि किसी परिवार में पीढ़ियों तक वही कार्य करते रहते हैं और परिवार उत्तरोत्तर प्रगति की सीढ़िया चढ़ते रहते हैं।
वर्तमान में स्थायित्व में कमी देखने में आ रही है। आज शीघ्रता से व्यवसाय बदलने का प्रचलन हैं। कई बार व्यक्ति एक ही साथ कई व्यवसाय भी करता है। इसका कारण है कि आज व्यक्ति केवल आजीविका अर्जन से सन्तुष्ट नहीं होता वह भौतिक विकास व समृद्धि चाहता है। अधिक से अधिक प्राप्त व संग्रहीत करने की इच्छा व्यक्ति को अधिक कार्य करने के लिए प्रेरित करती है और यह किसी हद तक विकास का आधार भी बनती है।
देखने में आता है कि एक ही व्यक्ति एक से अधिक कार्यो का संचालन एक साथ करता है और वह दूसरों को नौकरी पर रखकर अपने प्रबंध कौशल का उपयोग करते हुए भौतिक समृद्धि के मार्ग पर चलता है। ऐसे प्रयास व्यक्तिगत ही नहीं राष्ट्रीय आर्थिक विकास में भी सहयोगी बनते हैं। एक वकील अपने व्यक्तिगत पेशे के साथ विभिन्न फर्म बनाकर विभिन्न स्थानों पर कानूनी सहायता प्रदान करने के साथ-साथ किसी कालेज में प्रवक्ता के पद पर भी कार्य कर रहा होता है। साथ ही वह राजनीतिक कार्यो में रूचि लेकर राजनीतिक पद भी प्राप्त कर लेता है। एक अध्यापक केवल अपने विद्यालय में नौकरी करके ही संतुष्ट नहीं होता वह निजी स्तर पर कौचिंग भी प्रदान करता है। यही नहीं शोध कार्यो व पुस्तक लेखन के द्वारा अतिरिक्त आय प्राप्त करता है। यही नहीं मकान बनवाकर किराये पर देकर भी उसकी अतिरिक्त आय होती हैैै।
इस प्रकार भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में आप विभिन्न मार्गो पर चलते हुए आप जिस मार्ग पर आगे बढ़ते हैं; उसे आपके व्यवसाय का रास्ता या कैरियर कह सकते हैं। कैरियर किसी रोजगार को प्राप्त करने तक सीमित नहीं रहता यह तो संभावित राजमार्ग है, जिसको चुन लेने के बाद हम भविष्य में कहाँ तक पहुँच सकते हैं इसकी संभावना भी पूर्व अनुमानित हो जाती है। इनसे आपकी व्यक्तिगत दिनचर्या पर भी प्रभाव पड़ता है। यही नहीं इसके लिए व्यक्तिगत स्तर पर निरन्तर अपनी क्षमता और योग्यता में वृद्धि करते हुए संसाधन संपन्न बनने के प्रयत्न करने होते हैं। निष्कर्षतः हम कह सकते हैं कि कैरियर किसी व्यक्ति के आजीविका का वह मार्ग है जिस पर अपनी सक्षमता, योग्यता और अध्यवसाय के द्वारा वह निरन्तर प्रगति की सीढ़िया चढ़ सकता है।