नारी नर की प्रेरणा, नारी नर्क का द्वार।
धोखे दे हर लेत है, धोखे से दे मार॥
जो सोचा ना कर सके, ना सोचा वो होय।
झंझट सारे छोड़कर, कर्म बीज तू बोय॥
झूठ बोलते लोग जो, ना कोई है खास।
धन लूटन की चाह में, आना चाहें पास॥
कोई किसी का मित्र ना, सब स्वारथ के दास।
स्वारथ हित सम्बन्ध है, धोखा देते खास॥
सोचे से कुछ होत ना, करने से ही होय।
धोखे से इस जगत में, मित्र बने ना कोय॥
धोखे दे हर लेत है, धोखे से दे मार॥
जो सोचा ना कर सके, ना सोचा वो होय।
झंझट सारे छोड़कर, कर्म बीज तू बोय॥
झूठ बोलते लोग जो, ना कोई है खास।
धन लूटन की चाह में, आना चाहें पास॥
कोई किसी का मित्र ना, सब स्वारथ के दास।
स्वारथ हित सम्बन्ध है, धोखा देते खास॥
सोचे से कुछ होत ना, करने से ही होय।
धोखे से इस जगत में, मित्र बने ना कोय॥