मंगलवार, 29 जुलाई 2014

कल के सपने आज का यथार्थ है



आज हम जहाँ भी खड़े हैं, हमने विकास की जो भी सीढ़ियाँ चढ़ी हैं। कल देखे गये सपनों के कारण ही तो हैं। यदि हमारे पूर्वजों ने विकास के सपने नहीं देखे होते तो शायद आज भी हम पत्थर रगड़ कर ही आग पैदा कर रहे होते। यदि हम अपनी गति को तेज करने के सपने न देखते तो पहिए का आविष्कार न हुआ होता। यदि हमारे पूर्वजों ने आकाश में उड़ने के सपने नहीं देखे होते तो आज हमारे पास हवाई जहाज नहीं होते। आज हम जो भी हैं कल देखे गये सपनों पर आधारित योजनाओं में निर्धारित किए गये उद्देश्यों के कारण हैं। हमारे सपने, हमारी कल्पनाएँ ही अध्ययन, विश्लेषण, संश्लेषण व शोध से आधार ग्रहण कर नियोजन प्रक्रिया के द्वारा आधारभूत योजनाओं में परिवर्तित होते हैं। योजनाएँ ही हमारी सफलता की गाथाएँ लिखती हैं। अतः हमारी आज की उपलब्धियाँ पूर्व में किए गये सुप्रबंधित प्रयासों के कारण हैं। वास्तव में कल के सपने ही आज का यथार्थ है।

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