सफलता का पैमाना दूसरे नहीं,
आपके अपने प्रयास हैं!
प्रकृति ने प्रत्येक प्राणी को अनुपम(Unique) बनाया है। कोई भी दो व्यक्ति समान नहीं मिल सकते। यहाँ तक कि जुड़वा भाई या जुड़वा बहनों में भी अन्तर मिलता है। ऐसी स्थिति में जबकि प्रत्येक व्यक्ति भिन्न है, निश्चित रूप से उसकी इच्छाएँ, अभिरुचियाँ, आवश्यकताएँ, ध्येय, उद्देश्य, लक्ष्य आदि भिन्न-भिन्न होंगे। अतः भिन्न व्यक्तियों की क्षमताएँ, योग्यताएँ, संकल्पशक्ति, अभिप्रेरणा का स्तर भी भिन्न-भिन्न होगा। अब भिन्न-भिन्न व्यक्तियों के प्रयास व उनके परिणाम भी भिन्न-भिन्न ही होंगे। ऐसी स्थिति में एक व्यक्ति की सफलता के मापन के लिए दूसरे व्यक्ति से तुलना करना अनुचित है। व्यक्ति को अपनी तुलना किसी अन्य व्यक्ति से करने की अपेक्षा अपनी तुलना अपने आप से ही करनी चाहिए कि एक वर्ष पहले मैं कहाँ था और एक वर्ष बाद मैंने कौन-कौन सी सफलताएँ उपलब्धियाँ हासिल की हैं। मैं क्या लक्ष्य लेकर प्रयास कर रहा था, वह लक्ष्य प्राप्त हुआ या नहीं?
सफलता सबको ही अच्छी लगती है किन्तु सफलता के पैमाने अलग-अलग हैं। सभी समय-समय पर सफलता प्राप्त करते भी हैं, किन्तु हम सफलता का अर्थ न जानने के कारण सफलता की अनुभूति नहीं कर पाते। हमें पता ही नहीं होता कि हम सफल हुए हैं। इसका कारण है, हम अपने प्रयासों पर ध्यान नहीं देते। हमने जो प्रयास किए हैं उनकी तुलना में परिणाम प्राप्त हो रहे हैं यह ही तो सफलता है।
हम सफलता तो चाहते हैं, किंतु सफलता क्या है? कब कितनी सफलता मिली? इस पर विचार नहीं कर पाते। हमें कब कौन सी सफलता मिली? इसकी अनुभूति नहीं कर पाते। हम अपनी सफलता की तुलना दूसरों की उपलब्धियों से करने के कारण अपनी सफलता को असफलता समझ बैठते हैं ओर स्वयं हीन भावना के शिकार होते चले जाते हैं। सफलता के प्रक्रम में हमें अपनी उपलब्धियों की तुलना दूसरों की उपलब्ध्यिों से करके सफलता के मूल्य को कमतर नहीं करना चाहिए। हमारी सफलता का संबन्ध दूसरों की उपलब्धियों से न होकर हमारे प्रयासों से होता है। कोई भी उपलब्धि हमारे द्वारा किए गये प्रयासों का परिणाम होती है। कम्प्यूटर की भाषा में बात करें तो इनपुट पर प्रक्रिया होने के बाद आउटपुट मिलता है।
संसाधन प्रक्रिया उपलब्धियाँ
(सफलता)
संसाधन प्रक्रिया उपलब्धियाँ
(सफलता)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें