गुरुवार, 6 नवंबर 2014

सफ़लता के राज का छठा अध्याय

जीवन में प्रबंधन


प्रबंधन सर्वव्यापक अवधारणा है। प्रबंधन के बिना कोई भी कार्य सर्वश्रेष्ठ तरीके से करना संभव नहीं हो सकता। प्रबंधन कार्य को गुणवत्तापरक व प्रभावशाली ढंग से संपन्न करने में अपना योगदान सुनिश्चित करता है। प्रबंधन का ध्येय ही न्यूनतम संसाधनों से अधिकतम व श्रेष्ठतम परिणामों की प्राप्ति है। प्रबंधन के इस योगदान को जीवन के एक अंश व्यवसाय में ही क्यों अपनाया जाय? व्यक्ति का समग्र जीवन ही महत्वपूर्ण है, उसको गुणतवत्तापरक बनाने के लिए प्रबंधन को संपूर्ण जीवन में अपनाना आवश्यक है। हमारा संपूर्ण जीवन ही सुप्रबंधित, योजनाबद्ध व उद्देश्यपरक हो। वैदिक युग में ऐसा ही था। संपूर्ण जीवन को चार आश्रमों में विभाजन जीवन के प्रबंधन की ओर ही संकेत करता है।

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