प्रबंधन व्यवस्था संपूर्ण जीवन के लिए अपनानी है। संपूर्ण जीवन के हित के लिए अपनानी है। सभी व्यक्तियों को सुखद व आनंनपूर्ण जीवन प्रदान करने के लिए अपनानी है। भारतीय वैदिक साहित्य की निम्नलिखित प्रार्थना जीवन की सर्वोच्चता को महत्व देते हुए सभी के सुखी जीवन की कामना करती है।
सर्वे भवन्तु सुखिनः, सर्वे संतु निरामया।
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु, मा कश्चित् दुःखभाग् भवेत्।।
अर्थात सभी सुखी होवें, सभी रोगमुक्त रहें; सभी मंगलमय घटनाओं के साक्षी बनें, और किसी को भी दुःख का भागी न बनना पड़े। इस प्रकार की सोच ही सुप्रबंधन के द्वारा समग्र जीवन में अपनाकर हम संपूर्ण समाज को शांतिपूर्ण बना सकते हैं। वर्तमान प्रबंधन व्यवस्था में इस भावना की कमी दिखाई देती है। इसी कारण उद्योग श्रमिकों के हितों पर कुठाराघात करते हैं तो कर चोरी के माध्यम से काले धन की व्यवस्था का पोषण करते हैं। अतः प्रबंधन को सभी के हित के लिए प्रयोग किये जाने की आवश्यकता है। सभी को प्रबंधन में कुशल बनाये जाने की आवश्यकता है। प्रबंधन में सर्वजन हिताय, बहुजन सुखाय की भावना को अपनाने की आवश्यकता है।
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