शनिवार, 29 नवंबर 2014

कुशल प्रबन्धक के गुण-४

9. प्रशासकीय कौशल: प्रबंधक केवल कार्य करता ही नहीं वरन् उससे आगे वह दूसरों से कार्य निष्पादन प्राप्त भी करता है। निर्धारित नीतियों या निर्णयों का दूसरों के द्वारा क्रियान्वयन कराना ही तो प्रशासन है। प्रबंधक केवल प्रबंधन ही नहीं करता एक सीमा तक वह प्रशासन का काम भी करता है। वास्तव में प्रबंधन व प्रशासन के मध्य विभाजन करने वाली रेखा बहुत ही महीन है; कई बार तो दोनों को एक ही होने का भ्रम भी हो जाता है। व्यक्तिगत व पारिवारिक स्तर पर तो प्रबंधन व प्रशासन में भेद संभव ही नहीं है। अतः कुशल जीवन प्रबंधक के लिए प्रबंधन के साथ-साथ प्रशासकीय कौशल में निपुण होना भी आवश्यक है। 
10. बुद्धिमत्ता: प्रबंधक अपने सहयोगियों को नेतृत्व प्रदान करता है। वह सहयोगियों को मार्गदर्शन व अभिप्रेरण भी प्रदान करता है। प्रबंधन का कार्य मानसिक व चिन्तन-मनन का कार्य है। प्रबंधक की बुद्धिमत्ता न केवल उसे तुरन्त सामयिक निर्णय करने में सक्षम बनाती है वरन् सहयागियों के विश्वास को भी बढ़ाती है। अतः प्रत्युत्पन्न मति कुशल प्रबंधक की वास्तविक ताकत होती है। अतः प्रत्येक व्यक्ति को अपनी बुद्धिमत्ता को निखारने के प्रयत्न आजीवन करते रहने चाहिए।
11. शिक्षण व प्रशिक्षण: प्रारंभ में प्रबंधक को एक कला माना जाता था, इसी कारण कहा जाता था, ‘प्रबंधक पैदा होते हैं, बनाये नहीं जा सकते।’ वर्तमान में प्रबंधन कला का विकास विज्ञान के रूप में भी हो चुका है अर्थात प्रबंधन कौशल का शिक्षा व प्रशिक्षण के माध्यम से विकास भी किया जा सकता है। अतः कुशल प्रबंधक के लिए आवश्यक है कि वह प्रबंधन का शिक्षण न केवल प्राप्त करता रहे वरन् निरंतर शिक्षा की अवधारणा के अनुसार निरंतर अपने ज्ञान को अद्यतन भी करता रहे।
12. अभिप्रेरण में कुशल: प्रबंधक का काम दूसरों के साथ मिलकर दूसरों से कार्य कराना है। दूसरों से कार्य कराना सरल कार्य नहीं है। वर्तमान लोकतांत्रिक युग में दूसरों से कार्य केवल आदेश के बल पर कराना संभव नहीं होता। प्रबंधन के क्षेत्र में संपन्न शोधों से सिद्ध हो चुका है कि व्यक्ति स्वेच्छया ही श्रेष्ठतम् कार्य करते हैं। स्वेच्छया कार्य अभिप्रेरित करके ही कराया जा सकता है। अभिप्रेरणा ही वह शक्ति है जो व्यक्ति को उत्साहित करती है। इमर्सन के अनुसार, ‘बिना उत्साह के किसी उच्च लक्ष्य की प्राप्ति नहीं होती।’ अतः जीवन प्रबंधन के लिए आवश्यक है कि व्यक्ति अभिप्रेरकों को समझने व अभिप्रेरित करने में सक्षम बनें।

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