मंगलवार, 28 मई 2019

समय की एजेंसी-14

समय की बचत

बचत करने की आदत, मितव्ययिता की आदत, निवेश करने की आदत हमें बचपन से ही सिखाई जाती हैं या यूं कह सकते हैं कि सिखाई जानी चाहिए। हम बचपन से ही देखते आये हैं कि जब घर में घर के मुखिया, सामान्यतः हमारे पिता के पास धन नहीं रहता और वह असहाय अनुभव करता है, तब घर की लक्ष्मी अर्थात हमारी माँ का छिपा हुआ खजाना सामने आता और घर के सभी सदस्यों के चेहरे मुस्कान से खिल उठते। हमारी माँ अलग से कोई व्यवसाय या रोजगार नहीं कर रही होती थी, उसके बावजूद उनके पास एक साथ इतने रुपये देखकर हम आश्चर्यचकित रह जाते थे, वास्तव में यही तो उनकी बचत करने की आदत थी, जो मुसीबत के समय काम आती थी।

व्यक्ति प्रकृति की अनुपम रचनाः

जब हम समय की बात करते हैं तो उपरोक्त अनुच्छेद में दिये गये उदाहरण के अर्थ में समय की बचत संभव नहीं है कि एक-एक पल को बचाते जाएँ और जब किसी व्यक्ति का अन्तिम क्षण हो अर्थात् मृत्यु का गंतव्य उसकी प्रतीक्षा कर रहा हो, तब हम अपनी माँ की तरह उस छिपे हुए खजाने को खोलकर उसे दो-चार दिन देकर जीवन दान दे सकें। ऐसा संभव नहीं है। धन की बचत, संचय और निवेश संभव है किंतु समय की बचत और निवेश ही किया जा सकता है, संचय नहीं। धन और समय समान नहीं हैं। दुनिया में कोई भी दो वस्तु समान नहीं हैं। जब निर्जीव वस्तु समान नहीं हैं, तो सजीव व्यक्ति के समान होने का तो प्रश्न ही नहीं उठता। प्रकृति ने संसार में किन्हीं दो व्यक्तियों को समान नहीं बनाया। प्रकृति ने प्रत्येक वस्तु और व्यक्ति को अनुपम बनाया है। 
                प्रत्येक व्यक्ति प्रकृति की अनुपम रचना है। जब हम समानता की बात करते हैं, तब दुनिया का सबसे बड़ा झूठ बोल रहे होते हैं। हाँ! हम समान नहीं होते किंतु प्रकृति हमारे स्वभाव  व प्रयासों के अनुरूप विकास के समान अवसर प्रदान करती है। हम समान नहीं होते किंतु हमें प्रकृति में जीने के समान अवसर मिलते हैं। हम अपनी प्रकृति, प्रयास और समयनिष्ठता से जो पाने का प्रयास करते हैं पा सकते हैं, प्रकृति बाधाएँ केवल हमारी गति को बढ़ाने के लिए खड़ी करती है; हमें रोकने के लिए नहीं। हाँ! जो व्यक्ति बाधाओं को देखकर डरकर एक स्थान पर रूक जाते हैं, वे विकास यात्रा को प्रारंभ करने के अवसर को ही गवाँ देते हैं। जब हम विकास की यात्रा के लिए प्रस्थान ही नहीं करेंगे तो सफलता रूपी गंतव्य पर पहुँचने का तो प्रश्न ही नहीं उठता। जब हम यात्रा के कष्टों से ही डर जायेंगे तो पथ में बिखरे आनंद रूपी रत्नों को कहाँ से पायेंगे। हर पल पथ की सुंदरता को निहारने से तो वंचित रह ही जायेंगे ना? हमें जीने के लिए जितना समय मिला है उस समय के प्रयोग पर हमारा अधिकार है। किंतु हम अपने उस समय को दूसरे को नहीं सौंप सकते, हाँ! दूसरे के अनुसार प्रयोग कर सकते हैं। इसी को समर्पण, नौकरी या पेशा कहते हैं; अवसर के अनुरूप जैसी स्थिति हो। हम धन का संचय कर किसी को सौंप सकते हैं, समय का संचय कर किसी को सौंपना संभव नहीं है। 

समय को बचाना संभव नहीं

जी हाँ! इस बात को स्पष्ट रूप से समझने, स्मरण रखने की आवश्यकता है कि समय एक ऐसा संसाधन है कि उसको बचाकर नहीं रखा जा सकता। समय बचाने की धारणा निराधार व भ्रामक है। हम समय को बचा सकते हैं, इस धारणा से बाहर निकलने की आवश्यकता है। इस धारणा से बाहर निकले बिना हम अपने आप और अपनी योजनाओं के साथ न्याय नहीं कर पाएँगे। समय बचाना संभव ही नहीं है। हम समय बचा सकते हैं, इस तरह की गलतफहमी हमारी योजनाओं को असफल कर सकती है। अतः हमें इस गलतफहमी से बाहर निकलना होगा कि हम समय बचा सकते हैं। चार्ल्स ब्रक्सटन के अनुसार, ‘आप किसी चीज के लिए कभी समय नहीं खोज पाएँगे। अगर आप समय चाहते हैं, तो आपको निकालना पड़ेगा।’ अर्थात् समय होता नहीं है, अन्य अनावश्यक गतिविधियों या कम महत्त्वपूर्ण गतिविधियों से निकालकर महत्त्वपूर्ण गतिविधि में लगाना होता है।
             हम समय नहीं बचा सकते किंतु समय का उपयोग एक गतिविधि से हटाकर दूसरी गतिविधि में कर सकते हैं। इस प्रकार समय की उपयोगिता में वृद्धि या कमी कर सकते हैं। अर्थशास्त्र की भाषा में उपयोगिता में वृद्धि को ही उत्पादन कहते हैं। हम समय को बचा नहीं सकते। कम महत्त्वपूर्ण गतिविधि से अधिक महत्त्वपूर्ण गतिविधि में लगाकर समय की उपयोगिता में वृद्धि कर सकते हैं।
               हाँ! समय की बर्बादी को रोककर समय का विस्तार कर सकते हैं। हम समय का उपयोग कर सकते हैं या बर्बाद कर सकते हैं, किंतु बचा नहीं सकते। समय का उपयोग करने के लिए योजना बनाकर, सोच-विचार कर कार्य करने की आवश्यकता होती है, जबकि आप समय का कुछ भी उपयोग न करके समय को बर्बाद कर सकते हैं। समय की बर्बादी ही जीवन की बर्बादी है। अतः जीवन को बर्बाद करने के लिए आपको कुछ भी करने की आवश्यकता नहीं है। सही भी है शिखर पर चढ़ने के लिए आपको परिश्रम करना पड़ता है, किंतु नीचे गिरने के लिए परिश्रम की आवश्यकता नहीं पड़ती। एक बार पैर फिसला और आप नीचे। उन्नति के लिए अविरल प्रयासों की आवश्यकता होती है; अवनति तो स्वयं ही आपकी गोदी में आने के लिए तैयार खड़ी रहती है।

कैसे निकालें समय?


यह सच है कि समय को बचाना संभव नहीं है, इसे निकाल कर महत्त्वपूर्ण गतिविधियों में निवेश करना होगा। अब प्रश्न यह है कि हम समय कैसे निकालें? समय निकालने का सबसे आधारभूत उपकरण योजना है। योजना बनाकर कार्य करना अत्यंत आवश्यक है। योजना के बिना आपके कार्य छूट जायेंगे और आपका समय बर्बाद हो चुका होगा। समय के संपूर्ण दोहन के लिए अपने पल-पल का हिसाब रखें। समय की छोटी से छोटी इकाई का उपयोग करने के लिए कार्यक्रम बनाने और उसे आदत में बदलने का सुविचारित निर्णय लें और उसके प्रति समर्पित होकर कार्य करें। आखिर समय ही जीवन है और जीवन से महत्त्वपूर्ण आपके लिए क्या हो सकता है? निश्चित रूप से समय को बचाकर नहीं रखा जा सकता किंतु आप एक गतिविधि से समय निकालकर उससे आवश्यक गतिविधि में उसको लगा सकते हैं। समय को कम मूल्य की गतिविधि से अधिक मूल्य की गतिविधि में लगाया जा सकता है और आपको यही करना है। इस तरीके से आप अपने समय को अधिक मूल्यवान बना सकेंगे।
             हम अपने समय का उपयोग एक गतिविधि से हटाकर दूसरी में कर सकते हैं। इस प्रकार समय निकालने की प्रक्रिया से हम अपने समय की उपयोगिता में वृद्धि या कमी कर सकते हैं, किंतु समय को बचाकर नहीं रख सकते। हाँ! किसी गतिविधि में हो रही समय की बर्बादी को रोककर हम अपने समय का विस्तार कर सकते हैं। हम समय का उपयोग कर सकते हैं, दुरूपयोग कर सकते हैं, समय को बर्बाद कर सकते हैं किंतु बचा नहीं सकते। यदि हम अपने उपलब्ध समय में कुछ भी न करें तो समय अपने आप ही नष्ट हो जायेगा।

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