शनिवार, 4 मई 2019

समय की एजेंसी-३

समय का नहीं, गतिविधियों का प्रबंधन


प्रबंधन व्यक्ति की एक कुशलता या तकनीक है जिसके प्रयोग से वह न्यूनतम संसाधनों के प्रयोग से गुणवत्तापूर्ण अधिकतम परिणाम प्राप्त करने के प्रयत्न करता है। प्रबंधन मानवीय कुशलता और अन्य साधनों का प्रयोग करते हुए लक्ष्यों का निर्धारण करने तथा उन लक्ष्यों को प्राप्त करना है। संकुचित अर्थ में प्रबंधन दूसरे व्यक्तियों से काम कराने की युक्ति है, जो व्यक्ति दूसरे व्यक्तियों से कार्य करा लेता है; वह प्रबंधक कहा जाता है। 
                 व्यापक अर्थ में प्रबंधन एक कला और विज्ञान है जो निर्धारित लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए विभिन्न मानवीय प्रयासों से सम्बन्ध रखता है। जब भी हम दूसरे व्यक्तियों या वस्तुओं से काम लेने की बात करते हैं, जैसा कि प्रबंधन का काम है; हम उन व्यक्तियों या उन वस्तुओं का निर्धारित समय तक नियोजन करके प्रयोग कर रहे होते हैं। पीटर एफ ड्रकर के अनुसार, ‘प्रबंधन प्रत्येक क्रिया का गतिशील एवं जीवनदायक तत्व है, उसके नेतृत्व के अभाव में उत्पादन के साधन केवल साधन मात्र रह जाते हैं, कभी उत्पादन नहीं बन पाते।’
प्रसिद्ध प्रबंधशास्त्री हेनरी फेयोल के अनुसार, ‘उपक्रम में उपलब्ध समस्त संसाधनों का उसके उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए यथासंभव सर्वोत्तम उपयोग के लिए प्रयास करना ही प्रबंधन का कार्य है।’ वास्तव में प्रबंधन के बिना अन्य सभी संसाधन, संसाधन मात्र ही रह जायेंगे कभी उत्पादन व सेवाओं में परिवर्तित नहीं हो सकेंगे। उत्पादन और सेवाएं ही तो उपलब्धियाँ हैं। उपलब्धि ही सफलता कहलाती है। इसका आशय यह है कि प्रबंधन के बिना उपलब्धियाँ नहीं हो सकतीं और उपलब्धियाँ नहीं हैं तो सफलता का तो शब्द ही प्रयोग नहीं किया जा सकता। प्रबंधन ही सफलता का आधार तय करता है। 
                  उपरोक्त चर्चा से स्पष्ट होता है कि प्रबंधन मुख्यतः  मानवीय प्रयासों से ही संबन्ध रखता है। प्रबंधन भी अन्य संसाधनों की तरह एक संसाधन है, किंतु प्रबंधन वह संसाधन है जो अन्य संसाधनों का प्रयोग करके वस्तुओं और सेवाओं की उपयोगिता में वृद्धि करता है। किसी वस्तु या सेवा की उपयोगिता में वृद्धि ही तो उत्पादन गतिविधियों का आधार है। इस प्रकार व्यापक अर्थ में व्यक्तियों व वस्तुओं के निर्धारित समय को पूर्व निर्धारित उद्देश्यों की पूर्ति के लिए नियोजित करके प्रयोग करने के लिए की जाने वाली प्रत्येक गतिविधि प्रबंधन है अर्थात्् व्यक्तियों व वस्तुओं के निर्धारित समय का नियोजित प्रयोग कर निर्धारित लक्ष्यों की प्राप्ति करने के लिए जो गतिविधि की जाती हैं, प्रबंधन है। 
                  प्रबंधन की आवश्यकता केवल निर्जीव संसाधनों को ही नहीं पड़ती, सजीव संसाधनों अर्थात श्रम और प्रबंधन को भी प्रबंधन की आवश्यकता पड़ती है। प्रबंध नही लक्ष्य निर्धारित करता है, लक्ष्यों को प्राप्त करने की योजना बनाता है और लक्ष्यों को प्राप्त कर हमें सफलता की अनुभूति कराता है। प्रबंधन के अभाव में सफलता का अस्तित्व ही नहीं रहता। सफलता शब्द से हमारा परिचय प्रबंध नही कराता है।  सरलता से कहें तो मानवीय व अमानवीय संसाधनों के समय का निर्धारित लक्ष्यों के लिए प्रयोग कर सफलता प्राप्त करना ही प्रबंधन है।
                   जब हम कार्य प्रबंधन की बात करते हैं तो स्पष्ट रूप से समझने की आवश्यकता है कि समय का संरक्षण व प्रबंधन करना संभव नहीं है। कार्य प्रबंधन का आशय समय के सन्दर्भ में अपने कार्यो व गतिविधियों का प्रबंधन करना है, ताकि उपलब्ध भौतिक व मानवीय संसाधनों के समय का संपूर्णता के साथ उपयोग सुनिश्चित करके उनसे पूर्ण मितव्ययिता के साथ अधिकतम उपयोगिता प्राप्त की जा सके। इसके अन्तर्गत प्रबंधन की उपयोगिता भी सुनिश्चित की जाती है। प्रबंधन दल के प्रत्येक सदस्य के समय का भी पूर्ण उपयोग किया जाए, इसकी व्यवस्था देखना भी कार्य प्रबंधन के अन्तर्गत ही आएगा। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि कार्य प्रबंधन का अर्थ अपने कार्यो का अपने पास उपलब्ध समय के संदर्भ में प्रबंधन करना है। कार्य प्रबंधन के अंतर्गत प्रबंधन मानवीय व अमानवीय संसाधनों के उपलब्ध समय का ही कार्य प्रबंधन नहीं करता, वरन अपने समय का भी प्रभावी उपयोग सुनिश्चित करने के लिए अपने कार्यो का प्रभावी प्रबंधन करता है।

उपलब्ध समय में अधिकतम व प्रभावपूर्ण कार्य


                निश्चित रूप से समय का प्रबंधन नहीं किया जा सकता, किंतु समय के संदर्भ में अपनी गतिविधियों का प्रबंधन किया जा सकता है। न्यूनतम प्रयासों से अधिकतम् परिणाम प्राप्त करने के लिए अपनी सभी गतिविधियों का प्रबंधन करना समय की प्रत्येक इकाई का सही व प्रभावी प्रयोग करने के लिए एक अनिवार्य आवश्यकता है। प्रबंधन के द्वारा हम उपलब्ध समय में ही उसका अधिकतम व प्रभावपूर्ण कार्य करते हैं, जो हम बिना प्रबंधन के नहीं कर पाते। यही नहीं किसी भी क्षेत्र में सफलता के लिए भी समय के सन्दर्भ में गतिविधियों का प्रभावपूर्ण प्रबंधन एक आवश्यक शर्त है। वास्तविकता यह है कि कार्य प्रबंधन का प्रयोग न करके हम इसे कार्य प्रबंधन शब्द से संबोधित करें तो अधिक उपयुक्त रहेगा। वैसे नाम में क्या रखा है? कार्य प्रबंधन कहें या समय प्रबंधन? अपनी गतिविधियों का प्रबंधन तो समय के संदर्भ में करना ही होगा। प्रबंधन के बिना सफलता के शिखर की यात्रा नहीं की जा सकती। कार्य प्रबंधन शब्द का प्रयोग केवल मानव समय के लिए ही नहीं, वस्तुओं के लिए भी किया जा सकता है। वस्तुओं का भी उपयोगी जीवन काल होता है। उनको भी उपलब्ध समय में उपयोग करना होता है अन्यथा वे भी बर्बाद हो जाती है। वस्तुओं का भी पूर्ण उपयोग करना कार्य प्रबंधन के अन्तर्गत ही आएगा। वास्तव में प्रबंधक पूँजी के समय का प्रबंधन करता है, वस्तुओं के समय का प्रबंधन करता है, श्रम के समय का प्रबंधन करता है; यही नहीं वह प्रबंधकों के समय का भी प्रबंधन करता है। 
                 निष्कर्षतः कहा जा सकता है कि कार्य प्रबंधन या कार्य प्रबंधन, प्रबंधन की वह शाखा है, जो उपलब्ध मानवीय व अमानवीय संसाधनों जिनमें श्रम और प्रबंधन भी सम्मिलित है, के उपलब्ध समय का पूर्ण मितव्ययिता व उपयोगिता के साथ उपयोग कर अधिकतम कार्य संपादित करके सफलता सुनिश्चित करती है। 
                  समय के संदर्भ में कार्य प्रबंधन ही प्रबंधन का सार है। प्रत्येक संसाधन का एक निर्धारित उपलब्ध समय होता है और प्रत्येक संसाधन की कीमत उसके उपलब्ध समय को ध्यान में रखकर ही निर्धारित की जाती है। उन सभी संसाधनों का प्रतिफल भी उनके प्रयोग किए गए समय के आधार पर प्रदान किया जाता है। उत्पादन में वृद्धि व लागत में कमी करने पर अधिकतम लाभ प्राप्त करने पर जोर दिया जाता है। श्री टेलर का उद्देश्य अपने उत्पाद की लागत में कमी करने के लिए अपनी श्रम लागत को कम करना था और वे श्रमिकों के समय को और भी अधिक उत्पादक बनाना चाहते थे। यह कार्य उनकी प्रत्येक गतिविधियों में लगने वाले समय का वैज्ञानिक अध्ययन करके उनमें से अनावश्यक समय को निकालकर और अधिक उत्पादन में प्रयोग करके ही हो सकता था।
                 समय के सन्दर्भ में अपनी गतिविधियों का प्रबंधन केवल व्यावसायिक और औद्योगिक क्षेत्र के लिए ही नहीं, शैक्षणिक क्षेत्र के लिए भी अत्यन्त आवश्यक है। यही नहीं प्रत्येक व्यक्ति के जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में समय के सन्दर्भ में गतिविधियों का प्रबंधन आवश्यक है। विद्यार्थी, अध्यापक, चिकित्सक, इंजीनियर, वैज्ञानिक, नेता, अभिनेता, उद्योगपति, व्यवसायी, प्रबंधक, लिपिक, चैकीदार, चपरासी, बढ़ई, लुहार व श्रमिक आदि सभी के लिए ही नहीं, संसार में प्रत्येक व्यक्ति के लिए समय के सन्दर्भ में अपनी गतिविधियों के प्रबंधन की आवश्यकता रहती है। यहाँ तक कि जब स्त्री-पुरुष नितांत एकांतिक क्षणों में बिस्तर में होते हैं, वहाँ भी समय के सन्दर्भ में प्रत्येक गतिविधि का प्रबंधन आवश्यक होता है अन्यथा उन्हें कभी भी चरमोत्कर्ष प्राप्त नहीं होता और वे परम आनन्द की अनुभूति करने से वंचित ही नहीं रह जाते वरन्् उनका पूरा जीवन मनोवैज्ञानिक रूप से असंतुष्टि की भेंट चढ़ जाता है। यही नहीं वैवाहिक जीवन समाप्त होकर आत्महत्या, हत्या या तलाक की स्थिति तक पहुँच जाता है। इस प्रकार हमें समझना होगा कि कार्य प्रबंधन, गतिविधि प्रबंधन या कार्य प्रबंधन हम कुछ भी कहकर संबोधित कर लें, हमें समय के संदर्भ में अपनी गतिविधियों का प्रबंधन करना ही होगा अन्यथा हमारी आयु बीत तो जाएगी, किंतु हम जीवन जी नहीं पाएगें।
               स्पष्ट है कि जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में हमें समय के संदर्भ में कार्य प्रबंधन की आवश्यकता पड़ती है। आओ कार्य प्रबंधन के सन्दर्भ में या समय के सन्दर्भ में गतिविधियों के प्रबंधन के विभिन्न क्षेत्रों के बारे में कुछ चर्चा अगले अध्याय में करें।    

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