दीर्घ जीवन नहीं, प्रभावी जीवन
निःसन्देह समय ही जीवन है अैेर उपलब्ध समय का सदुपयोग करना ही जिंदगी हैं अन्यथा यही कहा जाता है कि यह जिंदगी भी कोई जिंदगी है? जो व्यक्ति अपने जीवन में मिले समय का समाज हित में सकारात्मक प्रयोग करते हैं, उन्हें समाज में विशिष्ट स्थान प्राप्त होता है। महाभारत के उद्योग पर्व 131ः13 में लिखा है-
‘मुहूर्तमपि ज्वलितं श्रेयो न तु धूमायितं चिरम्’
अर्थात् ‘चिरकाल तक धूमायित रहने की अपेक्षा क्षणभर के लिए जल उठना कहीं अधिक श्रेयस्कर है।’ स्वामी विवेकानन्द 39 वर्ष 7 माह तथा शंकराचार्य केवल 32 वर्ष का उपयोगी जीवन जीकर अमर हो गये।
समय प्राकृतिक देन है। समय को कहीं से खरीदा नहीं जा सकता। समय कीमती ही नहीं दुर्लभतम व अमूल्य संसाधन है, जिसे संरक्षित नहीं किया जा सकता। हाँ! जिन गतिविधियों में अनावश्यक समय की बर्बादी हो रही है, वहाँ से बचाकर उपयोगी गतिविधियों में लगाया जा सकता है। इसलिए सफल जीवन के लिए आवश्यक है कि हमें न तो अपना और न ही दूसरों का समय कभी बर्बाद करना चाहिए।
सफलता का रहस्यः
सफलता का सबसे बड़ा रहस्य है कि पहले अपने आपको बेहतर बनाना होगा। आप कुछ भी बन सकते हैं, जो आप सचमुच बनना चाहते हैं। आप कोई भी लक्ष्य हासिल कर सकते हैं जो आपने निर्धारित किया हो, और जिसे पाने के लिए आप सचमुच अपने समय का उपयोग करते हैं। इसके लिए आपको स्वयं का प्रबंधन करना होगा, अपने कार्यो का समय के संदर्भ में प्रबंधन करना होगा और लगातार करते रहना होगा।
सामान्यतः लोग समय की उपयोगिता का निर्धारण पैसे से भी करते हैं। फ्रैंक्लिन के अनुसार, ‘समय ही पैसा है।’ निःसन्देह हम अपने समय का सदुपयोग करके ही सब कुछ प्राप्त कर सकते हैं, पैसा भी उन्हीं में से एक है। हमें ध्यान रखना होगा कि समय का प्रयोग करके हम पैसा कमा सकते हैं किंतु पैसा खर्च करके हम अपने लिए समय प्राप्त नहीं कर सकते।
जीवन के जिस भाग को अर्थात्् समय को आपने नष्ट कर दिया, उसे आप कितना भी पैसा खर्च करके पुनः प्राप्त नहीं कर सकते। अतः हमें हर क्षण यह स्मरण रखना होगा कि समय ही जीवन है और जीवन से अधिक कीमती कोई भी वस्तु इस संसार में नहीं है। कितनी भी विपत्तियाँ आयें, कुछ भी नष्ट हो जायें किंतु समय को नष्ट नहीं होने देना हैं। संसार के सभी संसाधन पुनः प्राप्त किए जा सकते हैं किंतु समय नहीं; अतः समय के पल-पल का उपयोग करके ही हम अपने जीवन को जी सकते हैं।
समय प्रतीक्षा नहीं करता
समय करता नहीं प्रतीक्षा,
यह है मेरी उससे शिक्षा।
श्रम करने से जो कतराते,
वही माँगते हैं बस भिक्षा।
उपरोक्त काव्य पंक्तियाँ मेरी किसी कविता का भाग हैं। इनमें भी काव्य के रूप में मेरे द्वारा यही संदेश दिया गया है कि समय किसी की प्रतीक्षा नहीं करता और जो अपने पास उपलब्ध समय में श्रम नहीं करते; केवल वही भिक्षा माँगने की स्थिति में पहुँच जाते हैं। समय ही जीवन है, और वह किसी की प्रतीक्षा नहीं करता। इस तथ्य को हम एक कहावत से भी समझ सकते हैं, ‘समय और ज्वार-भाटा कभी किसी की प्रतीक्षा नहीं करते।’
समय के मूल्य को समझना
यह धरती पर जीवन के अस्तित्व की तरह सत्य है। समय बिना किसी रूकावट के निरंतर चलता रहता है और वह किसी की प्रतीक्षा नहीं करता। यह तथ्य हमें ही नहीं अपनी भावी पीढ़ियों अर्थात्् अपने बच्चों को भी समझाना होगा। ताकि वे समय की महत्ता को समझ सकें और अनावश्यक गतिविधियों में अपना समय नष्ट करने की अपेक्षा समय का सकारात्मक ढंग से प्रयोग करने हेतु जागृत हो सकेें। हमें जीवन में वास्तविक सफलता प्राप्त करने के लिए समय के हर क्षण का उपयोग करना सीखना होगा। यदि हम समय को बर्बाद करेंगे तो हमारा जीवन बर्बाद हो जायेगा क्योंकि समय ही तो जीवन है और जीवन से महत्त्वपूर्ण कुछ भी नहीं है। अतः समय के मूल्य को समझना जीवन के मूल्य को समझना है।
प्रसिद्ध विचारक फील्ड के अनुसार, ‘सफलता और असफलता के बीच की सबसे बड़ी विभाजक रेखा को इन पाँच शब्दों में बताया जा सकता है, ‘मेरे पास समय नहीं है।’ निःसन्देह हम सभी के पास समय है। हमारी प्राथमिकताओं पर निर्भर करता है कि हम उपलब्ध समय का निवेश कहाँ करते हैं। हमें सदैव ध्यान रखना होगा कि हम अपने कार्यों के लिए समय का आवंटन इस प्रकार करें कि हमें कभी यह न कहना पड़े कि मेरे पास समय नहीं है। कभी भी हमारे सामने ऐसी स्थिति नहीं आनी चाहिए कि हमारे महत्त्वपूर्ण कार्यो के लिए समय न हो; क्योंकि यदि हमारे पास समय नहीं है तो जीवन भी नहीं है।
जिंदगी हर पल मिलती है
कई बार लोग कहते मिलेंगे कि जिंदगी एक बार मिलती है। वास्तव में यह सही नहीं है। वास्तविकता तो यह है कि जिंदगी तो बार-बार मिलती है। हाँ! मौत एक बार मिलती हैै। जिंदगी तो हर दिन मिलती है, हर घण्टे मिलती है, हर पल मिलती है। आपको जीना आना चाहिए। आप समय का सदुपयोग करके प्रति पल जिंदगी को जीकर यादगार बना सकते हैं। समय को जीना अर्थात उपयोग करना ही तो वास्तव में जिंदगी है और यह जिंदगी हर पल हमारे सामने खड़ी है।
केवल वर्तमान में ही जीना है
यह हमारे ऊपर निर्भर है कि हम अपने समय का उपयोग करके जिंदगी जीना चाहते हैं या टाइम पास करके मृत्यु की प्रतीक्षा करते हुए प्रतिपल मरना चाहते हैं? अगर हमें जिंदगी चाहिए तो ध्यान रखना पड़ेगा कि समय ही जीवन है। समय को संरक्षित नहीं किया जा सकता। अतः हमारे लिए भूत और भविष्य के स्थान पर वर्तमान ही सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण है। हमें केवल वर्तमान में ही जीना है। कल निकल चुका, वापस जाकर नहीं जी सकते। कल क्या होगा? किसी को नहीं मालूमकल हमें मिलेगा भी या नहीं? अतः बीते हुए या भावी समय के बारे में चिंता करके वर्तमान को खराब न करें।
वर्तमान समय के पल-पल को पूर्ण उत्साह और आनन्द के साथ जीकर ही हम जिंदा होने का प्रमाण दे सकते हैं अन्यथा बिना कुछ किए समय बर्बाद करने और अचेत मूर्छावस्था में पड़े हुए व्यक्ति या मृत व्यक्ति में तो कोई विशेष अन्तर नहीं रह जाता है। समय को पास करने के लिए हमें कुछ करने की आवश्यकता नहीं होती। टाइमपास बड़ा ही सामान्य शब्द है, जो सामान्य जन के लिए है। सफलता के पथिक के लिए तो समय के सन्दर्भ में कार्यो का नियोजन करना ही उसकी आदत बन चुकी होती है। उसके पास कभी समय की कमी नहीं होती। समय की कमी कहाँ से होगी? उसके पास तो समय की एजेंसी होती है।
समय सभी के लिए अनमोल है; प्रकृति ने यह सभी को निःशुल्क उपहार स्वरूप दिया है। हम प्राप्त समय का न तो संरक्षण कर सकते हैं और न ही इसका क्रय या विक्रय कर सकते हैं। कहा भी जाता है कि जो समय को बर्बाद करता है, समय ही उसे बर्बाद कर देता है। जो व्यक्ति समय को खो देता है, वह उसे कभी वापस प्राप्त नहीं कर सकता। एक फेसबुक पोस्ट के अनुसार, ‘सही समय का इंतजार करते-करते जिंदगी निकल जाएगी, अच्छा होगा कि समय को ही सही करने की कोशिश की जाए।’ समय को सही समय के पूर्ण सदुपयोग से ही किया जा सकता है। यदि हम समय पर भोजन नहीं करेंगे, समय पर विश्राम नहीं करेंगे या समय पर शरीर की देखभाल नहीं करेंगे, समय पर अपनी दवायें नहीं लेंगे तो समय हमारे स्वास्थ्य को नष्ट कर देगा, नहीं, हम स्वयं अपने स्वास्थ्य को नष्ट कर देंगे; क्योंकि समय तो तटस्थ यात्री है, जो सदैव चलता रहता है। समय कुछ करता नहीं, हमको ही समय के साथ चलते हुए करना होता है।
सामान्यतः हमें ध्येयनिष्ठ, सत्यनिष्ठ रहने की सीख दी जाती है किंतु इस सबके साथ आवश्यक यह भी है कि हम समयनिष्ठ भी रहें क्योंकि यदि हम समयनिष्ठ नहीं रहेंगे, तो जीवननिष्ठ भी नहीं रहेंगे। यदि जीवन ही नहीं होगा तो ध्येयनिष्ठ और सत्यनिष्ठ रहने का तो कोई मतलब ही नहीं रह जायेगा। समयनिष्ठ रहने से हमारा आशय हमें प्राप्त समय की प्रत्येक इकाई का सदुपयोग करने से है। हम समय की प्रत्येक इकाई को जिंदगी में परिवर्तित कर लें अर्थात् समय के प्रत्येक पल को सच्चाई के साथ अपने ध्येय की पूर्ति में लगायें। यह हमारे ऊपर निर्भर है कि हमें प्राप्त समय को शानदार और यादगार जिंदगी में परिवर्तित करते हैं या मृत्यु में? क्योंकि जिंदगी का विपरीतार्थक मृत्यु ही है। यदि आप जिंदगी नहीं जीते हैं तो निःसन्देह मृत्यु की ओर प्रस्थान कर रहे होते हैं। क्योंकि समय अबंधनीय है अर्थात् समय को बांधना संभव नहीं है। समय सीमा रहित है, समय की सीमा का निर्धारण करना हमारे लिए संभव नहीं है। हाँ! समय अवश्य ही हमारे लिए सीमारेखा होता है। हमारा जीवन समय की कठपुतली है। समय को हराना संभव नहीं है। समय संसार का सबसे शक्तिशाली उपादान है। समय अपने आप में निष्क्रिय संसाधन है। इसका प्रयोग हम अपनी सक्रियता से ही कर सकते हैं।
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