सोमवार, 20 मई 2019

समय की एजेंसी-13

समय की बचत और निवेश


हम समय को प्राप्त नहीं कर सकते, वरन् प्राप्त समय का सदुपयोग कर सकते हैं। प्राप्त समय का उपयोग किस प्रकार करना है? यह हमारे ऊपर ही निर्भर है और इसी पर सफलता और असफलता की नींव भी टिकी है। समय को प्राप्त करना संभव नहीं है, ठीक उसी प्रकार समय की बचत करना भी संभव नहीं है। यहाँ पर बचत करने से मेरा आशय समय को बचाकर सुरक्षित रखने से है। समय को बचाकर नहीं रखा जा सकता। जिस प्रकार हम अन्य संसाधनों को बचाकर भविष्य के लिए सुरक्षित रख सकते हैं, उस प्रकार समय के साथ संभव नहीं हैं क्योंकि समय चक्र को रोकना किसी के वश की बात नहीं। सफल वही हो सकता है, जो समय चक्र को रोकने के व्यर्थ प्रयास करने के फेर में न पड़कर समय के साथ-साथ दौड़ लगाकर उसका सदुपयोग करने की क्षमता व विवेक रखता है और समय के सन्दर्भ में सही चयन कर सही गतिविधियों में समय का निवेश करता है।
             जी हाँ, समय को प्राप्त नहीं किया जा सकता, ठीक उसी प्रकार समय को बचाकर नहीं रखा जा सकता। हाँ! हम समय को एक कार्य से बचाकर दूसरे में लगा सकते हैं। यही चयन की समस्या या चयन करने का अधिकार है। समय एक ऐसा संसाधन है जिसका निवेश करने के लिए उसे बचाकर रखने की आवश्यकता नहीं होती, समय का तो सीधा निवेश किया जाता है। जो व्यक्ति सीधा निवेश करना जानता है, वही समय का सही प्रयोग करके सफलता के झण्डे गाड़ता है।

              समय के उपयोग के लिए यह समझना आवश्यक है कि हम किसी विशिष्ट कार्य से समय बचा सकते हैं किंतु उस समय को संरक्षित नहीं कर सकते। समय को सुरक्षित रखने का कोई भण्डारगृह आज तक नहीं बना है और इस प्रकार का भण्डारगृह बन सकने की भविष्य में भी कोई उम्मीद नहीं है। हाँ, एक गतिविधि से समय की बचत करके उसे दूसरी गतिविधि में प्रयोग कर सकते हैं। इस प्रकार एक गतिविधि से दूसरी गतिविधि में समय का निवेश करना ही व्यक्ति के प्रबंध कौशल का परिचायक है। जो व्यक्ति समय के सन्दर्भ में अपनी गतिविधियों को जितनी कुशलता के साथ प्रबंधन करना जानता है, वह व्यक्ति सफलता का उतना ही अधिक अधिकारी है।
पाठको! एडस् के बारे कहा जाता है कि बचाव ही उपचार है। इसी प्रकार समय के सन्दर्भ में समझना होगा कि प्रयोग ही निवेश है। हमारे जीवन का हर पल हमारे जीवन में नवीन अवसर लेकर आता है, किंतु सदैव स्मरण रखें, ‘मृत्यु और अवसर कभी प्रतीक्षा नहीं करते।’ समय के जिस पल का उपयोग हमने नहीं किया, उस पल को हमने खो दिया अर्थात् बर्बाद कर दिया। कहने की आवश्यकता नहीं कि समय का मतलब जीवन है अर्थात् समय बर्बाद करने का मतलब जीवन को बर्बाद करने से है क्योंकि अर्थपूर्ण उपयोगी समय ही तो जीवन है।
   अतः हमें इस बात को गांठ बांध लेना चाहिए कि हमारे जीवन का हर पल हमारे लिए अवसरों का भण्डार है, हमारे लिए प्रगति के अनेक रास्ते खोलता है किंतु प्रगति के उन रास्तों में से किसी एक का चुनाव हमें करना है। केवल चुनाव ही नहीं करना, चुनाव करने के बाद हमें अविरल आनन्द लेते हुए उस प्रगति पथ पर चलकर पूर्व-निर्धारित गंतव्य पर पहुँचना है। 
            मित्रों! हमें स्मरण रखना होगा कि इस गंतव्य का चुनाव हमने स्वयं ही किया है, उस गंतव्य पर पहुँचने का मतलब आपके चुनाव व प्रयासों की सफलता है। गंतव्य पर पहुँचने के बाद आपको पुनः नये रास्तों का विकल्प मिलेगा, जहाँ पुनः चुनाव का अवसर मिलेगा और फिर नये गंतव्य की ओर चलना है। यही तो जीवन यात्रा है और जीवन यात्रा के प्रत्येक पल और प्रत्येक कदम का आनन्द लेते हुए आगे बढ़ना है। आनन्द गंतव्य की प्राप्ति पर निर्भर नहीं, आनन्द गंतव्य की यात्रा में लगने वाले समय का सदुपयोग करने पर निर्भर है। किसी निर्धारित स्थल पर पहुँचने पर आनंदित होने का मतलब है कि केवल कुछ क्षणों का आनंद क्योंकि वहाँ से फिर एक नवीन यात्रा के लिए निकल जाना है। अतः जीवन का आनंद किसी विशेष स्थल पर नहीं, सदैव पथ पर पथिक बनकर चलते रहने में है। पथिक को गंतव्य की ओर चलना अवश्य है किंतु उसे यात्रा का आनंद लेना है; पथ में पर्यटन का आनंद लेते हुए चलना है क्योंकि हम जीवन भर चलने वाले पथिक हैं। पथिक का आनंद गंतव्य पर नहीं रखा है, वरन्् पथ में बिखरा पड़ा है जिसे प्रति पल अपने नयनों से निहारते चलना है। इसके लिए हमें केवल कार्य की सफलता पर ही नहीं, प्रक्रिया की सफलता पर भी आनंद लेने की प्रवृत्ति का विकास करना होगा। 

कोई टिप्पणी नहीं: