मानव संसाधन का जीवन
प्रत्येक संसाधन का एक उपयोगी जीवन काल होता है। हम प्रत्येक संसाधन की परिभाषा ही उसकी उपयोगिता के आधार पर कर रहे हैं। अतः प्रत्येक संसाधन के उपयोगी जीवन काल पर ध्यान देना होगा। यदि कोई वस्तु या व्यक्ति मानव समुदाय के लिए उपयोगी नहीं रहता तो वह संसाधन भी नहीं रहता। अतः मानव को संसाधन के रूप में देखते समय उसके उपयोगी जीवन काल पर विचार करना होगा। कहने का आशय यह है कि मनुष्य का उपयोगी जीवन काल ही संसाधन के रूप में माना जा सकता है अर्थात् मनुष्य को जो कार्य करने के लिए समय मिलता है; वह समय ही मानव के लिए संसाधन है। यदि किसी कारणवश मानव का समय समाज के लिए उपयोगी नहीं रह जाता तो वह संसाधन भी नहीं रह जाता। मानव संसाधन के संदर्भ में इसलिए कहा गया है कि समय ही जीवन है। जो व्यक्ति समय बर्बाद करता है वह जीवन बर्बाद करता है। इसे इस प्रकार भी कहा जाता है कि जो व्यक्ति टाइम पास करता है, वास्तव में टाइम उसके जीवन को पास कर देता है।
मानव अपने आप में एक संसाधन है, जो अन्य संसाधनों का उपयोग करता है। मानव संसाधन का अर्थ मानव के गुणवत्तापूर्ण समय के उपयोगी जीवन काल से है। मानव संसाधन की उपयोगिता उसकी सक्षमता, योग्यता व कौशल से निर्धारित होती है। जो व्यक्ति जितना अधिक सक्षम, योग्य व कुशल होगा उसका समाज में उतना ही महत्त्व होगा। ऐसे व्यक्तियों का एक-एक क्षण कीमती होता है। वास्तविक बात यह है कि समय ही सम्पूर्ण सृष्टि का आधार है। यदि हम धन को प्रगति का आधार मानते हैं तो समय ही है जो धन कमाने का आधारभूत संसाधन है। अतः वास्तव में समय ही सबसे बड़ा धन है। हम समय लगाकर धन कमा सकते हैं किंतु धन खर्च करके अपने समय में वृद्धि नहीं कर सकते। हाँ! धन के माध्यम से अन्य व्यक्तियों का समय खरीद सकते हैं। दूसरे व्यक्तियों के समय को खरीद कर उसका प्रयोग करना ही तो रोजगार या नौकरी देना कहलाता है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें