बुधवार, 10 दिसंबर 2014

जीवन के आधार स्तंभ-१

प्राचीनकाल में जीवन प्रबंधन:


प्राचीन काल में जीवन प्रबंधन पर विशेष ध्यान दिया जाता था। सोलह संस्कार जीवन प्रबंधन का ही सुव्यवस्थित प्रयास था। भारतीय आश्रम व्यवस्था व संस्कार व्यवस्था प्राचीन काल में विश्व की सुन्दरतम् प्रबंधन व्यवस्था थी। संस्कारों की संख्या विभिन्न विद्वानों ने विभिन्न बताई है किन्हीं स्मृतिकारों ने 40 संस्कार माने हैं, किन्हीं ने 25 और कुछ ने सोलह, महर्षि गौतम ने 40 संस्कार माने हैं और महर्षि अंगिरा ने 25; अधिकांश विद्वान ने महर्षि वेदव्यास द्वारा बताये गये सोलह संस्कारों को मान्यता दी है। जो भी हो हमारा मंतव्य संस्कारों की चर्चा करना नहीं है। वर्तमान संदर्भ में वे लगभग अप्रचलित हो चुकें हैं और यही कारण है कि समाज में अनैतिक अपराधों की निरंतर वृद्धि हो रही है। हमने पुरानी प्रबंधन व्यवस्था को त्याग दिया और नयी व्यवस्था अपना नई पाये। सोलह संस्कार जन्म से पूर्व ही प्रारंभ प्रबंधन योजना का सुन्दर उदाहरण था।

            भारतीय आश्रम व्यवस्था (ब्रह्मचर्याश्रम, ग्रहस्थाश्रम, वानप्रस्थाश्रम व संन्यासाश्रम) व संस्कार केन्द्रित व्यवस्था जीवन प्रबंधन में प्रमुख भूमिका निभाते थे और जन्म से लेकर मृत्युपर्यन्त समुचित जीवन प्रबंधन के माध्यम से मानव जीवन के वैयक्तिक, पारिवारिक व सामाजिक जीवन को संतुलित, समन्वित व आदर्शवादी बनाते थे। वही व्यवस्था थी जो राम, लक्ष्मण, भरत जैसे भाई ही नहीं सीता व कैकेयी जैसी आदर्श पत्नी व माता के चरित्र का सृजन कर सके। 

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