रविवार, 17 जनवरी 2021

समय की एजेंसी-31

 

11. आवश्यकतानुसार लोचशीलताः कार्य प्रबंधन के अन्तर्गत हम प्रबंधन की तकनीक के अनुसार नियोजन से प्रारंभ करते हैं। योजना पूरी तरह से सोच विचार कर विभिन्न स्तरों पर सलाह-मशवरा और आवश्यक हो तो विशेषज्ञों की सलाह के बाद बनाई जाती है। इसके पश्चात् योजना को संगठन व सहयोगियों की सहायता से लागू किया जाता है। लागू करते समय योजना पर दृढ़ता से कार्य करना आवश्यक है। दृढ़ता से योजना पर काम नहीं किया गया तो योजना का लाभ नहीं मिल पायेगा। दृ़ढ़ता का आशय यह है कि जब तक परिस्थितियों में प्रभावशाली परिवर्तन न हो जाए; तब तक योजना में परिवर्तन नहीं करना चाहिए। हम योजना पर दृढ़ रह सकते हैं किंतु आवश्यक लोचशीलता का गुण भी उसमें होना आवश्यक है। यदि योजना बनाने के आधार में ही आधारभूत परिवर्तन हो जाते हैं, तो उसमें आवश्यक परिवर्तन कर सकने की व्यवस्था ही लोचशीलता कहलाती है।

      इसके पश्चात् भी कुशल प्रबंधन यह भी सुनिश्चित करता है कि तात्कालिक आवश्यकताओं के अनुसार योजना लोचशील भी रहे। क्योंकि समय के साथ-साथ कई बार अनेक ऐसी समस्याएँ भी आ सकती हैं, जिन पर नियोजन से पूर्व विचार नहीं हो सका था। अतः किसी भी योजना की सफलता के लिए लोचशीलता का गुण होना भी आवश्यक है। यह कार्य प्रबंधन के द्वारा ही आता है।

12. समय-समय पर योजना का पुनरावलोकनः कार्य प्रबंधन के अन्तर्गत प्रबंधन तकनीक के अनुसार नियोजन किया जाता है। योजना का संगठन, कर्मचारीकरण या सहयोगीकरण, निर्देशन व नियंत्रण के पश्चात् संपूर्ण प्रक्रिया का पुनरावलोकन करने की व्यवस्था भी होती है। पुनरावलोकन नियोजन करने की प्रक्रिया, उसे लागू करने की प्रक्रिया, लगे हुए समय और प्राप्त परिणामों व परिणामों की गुणवत्ता का पुनरावलोकन किया जाता है। पुनरावलोकन का उद्देश्य कमियाँ निकालना नहीं वरन भविष्य की योजनाओं में सुधार कर समय की गुणवत्ता व उत्पादकता में और अधिक वृद्धि करना रहता है। कार्य का समय-समय पर पुनरावलोकन व आवश्यक सुधारात्मक कार्यवाही की व्यवस्था कार्य प्रबंधन के अंतर्गत ही आती है।

13.   सफलता का राजमार्गः समय के सन्दर्भ में अपनी गतिविधियों का प्रबंधन करके हम अपने जीवन में उपलब्ध समय की प्रत्येक इकाई का पूर्ण कुशलता, गुणवत्ता और उत्पादकता के साथ प्रयोग कर पाते हैं। समय का पूर्ण गुणवत्ता, उत्पादकता और कुशलता के साथ प्रयोग करने से हम एक दिन में तीन दिन का कार्य करने में सफल हो सकते हैं। कम समय में अधिक व श्रेष्ठ गुणवत्ता का कार्य करना ही तो सफलता का राजमार्ग है। इस प्रकार कार्य प्रबंधन सफलता का राजमार्ग है, जिस पर चलकर व्यक्ति की सफलता के घोड़े सरपट दौड़ लगाते हैं। निःसन्देह समय के संदर्भ में कार्य प्रबंधन करके ही हम सफलता की सीढ़ियाँ चढ़ सकते हैं। सफलता की प्रक्रिया का प्रारंभ और अंत दोनों ही समय के संदर्भ में कार्य प्रबंधन से होता है।

      इस प्रकार हम कह सकते हैं कि उपरोक्त लाभों को प्राप्त करने के लिए हमें कार्य प्रबंधन को अपने जीवन में अपनाने की आवश्यकता है। कार्य प्रबंधन को अपनाए बिना हम अपने जीवन का सही से प्रयोग नहीं कर पाते। हम अपने समय अर्थात् जीवन के बहुत बड़े हिस्से को बर्बाद कर बैठते हैं। अतः अपने जीवन को संपूर्णता के साथ जीने के लिए हमें समय के सन्दर्भ में अपने कार्यों और संपूर्ण गतिविधियों का प्रबंधन करने की आवश्यकता है।

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