(क)
व्यवसाय-
व्यवसाय का अग्रेजी शब्द ^Business* है जिसका अर्थ
व्यस्त रहने से लिया जाता है। इस प्रकार उदार अर्थ लेने से आजीविका और व्यवसाय में
कोई अन्तर नहीं रह जाता, किन्तु वास्तव में व्यवसाय का अर्थ उन आर्थिक गतिविधियों
से लिया जाता है, जिनके अन्तर्गत वस्तुओं या सेवाओं का उत्पादन करके या उनका
क्रय-विक्रय करके आजीविका कमाई जाती है।
व्यवसाय
के उदार अर्थ में प्रत्येक आर्थिक गतिविधि व्यवसाय के अन्तर्गत समाहित हो जाती है।
व्यवसाय का अर्थ ऐसे किसी भी धंधे से है, जिसमें लाभार्जन हेतु व्यक्ति विभिन्न
प्रकार की क्रियाओं में नियमित रूप से लगे रहते हैं। वे क्रियाएं अन्य लोगों की
आवश्यकताओं की संतुष्टि हेतु वस्तुओं के उत्पादन, क्रय-विक्रय या विनिमय और सेवाओं
की आपूर्ति से संबन्धित हो सकती हैं।
व्यवसाय
के अन्तर्गत उद्योग और वाणिज्य दोनों को ही सम्मिलित किया जाता है। इनका विस्तृत अध्ययन
इस पुस्तक में अपेक्षित नहीं है। संक्षेप में यह समझ लेना ही पर्याप्त होगा कि
वस्तुओं का उत्पादन उद्योग के अन्तर्गत आता है, तो उन वस्तुओं के क्रय-विक्रय के
द्वारा लाभ कमाना व्यापार कहलाता है। व्यापार और उसकी सहायक सेवाएं सम्मिलित रूप
से वाणिजय कही जाती हैं। उद्योग के अन्तर्गत निर्माण इकाइयाँ आती हैं। उद्योग में
सामान्यतः अधिक निवेश की अपेक्षा की जाती है। बहुराष्ट्रीय कम्पनियों में बहुत
अधिक मात्रा में निवेश होता है तो दूसरी ओर कुटीर उद्योग भी होते हैं
जिनमें कम पूँजी से ही काम चल जाता है। उद्योग द्वारा उत्पादित सामान को क्रय करके
उपभोक्ता को विक्रय करने का कार्य व्यापार द्वारा किया जाता है।
व्यवसाय
किसी भी देश के आर्थिक विकास का आधार होता है। अरबों रूपये लगाकर बड़़े-बड़े उद्योग
स्थापित करने वाले उद्योगपति भी व्यवसायी हैं और गली-गली घूम-घूम कर छोटी मोटी वस्तुएं
बेचने वाले भी व्यवसायी हैं। व्यवसाय और व्यापार में अंतर है। सामान्य व्यक्ति
व्यवसाय और व्यापार को समानार्थी समझ लेते हैं किंतु दोनों में जमीन आसमान का अंतर
है। व्यवसाय एक व्यापक शब्द है। व्यापार खरीदने और बेचने की क्रियाओं तक सीमित
होता है। प्रत्येक व्यापार व्यवसाय भी है किंतु प्रत्येक व्यवसाय व्यापार नहीं
होता।
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