कैरियर या वृत्ति का चुनाव
वस्तुतः किसी आजीविका, वृत्ति या कैरियर का चुनाव
हमारे भविष्य का आधार होता है। किन्तु यह चुनाव हमारे भूतकालीन और वर्तमानकालीन
परिस्थितियों और भावी संभावनाओं पर भी निर्भर करता है। भूतकाल में हमने जो संसाधन
अर्जित किए हैं, जो संसाधन हमें विरासत में मिले हैं। हमने जो योग्यताएँ अर्जित की
हैं और वर्तमान में हमारे सामने क्या परिस्थितियाँ हैं? यही नहीं भविष्य में हमारी
संभावित परिस्थितियाँ हमारी व्यक्तिगत, पारिवारिक व सामाजिक उत्तरदायित्व भी हमारे
कैरियर के चुनाव संबन्धी निर्णय को प्रभावित करते हैं।
कैरियर के
चुनाव में परिवार की आकांक्षाएं और अपेक्षाएं भी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती हैं।
आवश्यक कौशल को प्राप्त करने के लिए, पहले लोग अपने अध्ययन को पूरा करते थे और
उसके बाद कैरियर या वृत्ति का चुनाव करते थे। वर्ण व्यवस्था में कैरियर थोपा जाने
लगा। वर्तमान में व्यक्ति अपने कैरियर का चुनाव स्वयं करता है तो कई बार परिवार के
साथ मिलकर भी वह कैरियर का चुनाव करता है। कई बार वह परिवार द्वारा चुने हुए
कैरियर को ही स्वीकार करके आगे बढ़ता है।
वर्ण व्यवस्था, परिवार और आजीविका
एक समय हमारी सामाजिक वर्ण व्यवस्था जन्म लेते ही
व्यक्ति की आजीविका का निर्धारण कर देती थी और व्यक्ति को उसके आजीविका के चयन के
अधिकार से वंचित कर दिया जाता था। वर्तमान समय में माता-पिता अपने बच्चे के सामने
कैरियर संबन्धी लक्ष्य रख देते हैं और उसे उसी की दिशा में शिक्षा व अन्य
योग्यताएँ अर्जित करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं या विद्यार्थी ही अपनी स्कूली
शिक्षा प्राप्त करते-करते अपने कैरियर का चुनाव कर लेते हैं और तदनुरूप कक्षा 10 व
11 में अपने विषयों का चुनाव कर आगे की शिक्षा प्राप्त करते हैं।
कैरियर का
चुनाव व्यक्ति की जीवन शैली, व्यक्तित्व और जीवन की दिशा को किसी अन्य घटना की
तुलना में सबसे अधिक प्रभावित करता है। हमारी आजीविका हमारे जीवन पर बहुआयामी
प्रभाव डालती है। हमारी वृत्ति हमारे विचार, दृष्टिकोण, प्रवृत्ति और मूल्यों को
प्रभावित करके हमारे व्यक्तित्व की रूपरेखा को ही गढ़ती है।
वर्तमान
गलाकाट प्रतिस्पर्धा के दौर में आजीविका या कैरियर का चुनाव करना व्यक्ति के जीवन
का सबसे महत्वपूर्ण निर्णय होता है। इतने महत्वपूर्ण निर्णय को लेने में व्यक्ति
की सहायता के लिए एक ऐसी प्रक्रिया की आवश्यकता है, जो व्यक्ति को जीवन के विभिन्न
कैरियर क्षेत्रों से अवगत कराये। इसी प्रक्रिया में यह व्यवस्था भी होनी चाहिए कि
व्यक्ति अपनी योग्यताओं व क्षमताओं का आकलन अपने कैरियर के सन्दर्भ में कर सके।
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