मानव संसाधन प्रबंधक की भूमिका
(Role Of Human Resource Manager)
मानव संसाधन प्रबंधक अन्य प्रबंधकों की भांति मूलत: एक प्रबंधक है। प्रबंधक का कार्य प्रबंध करना है। प्रबंध एक बहुआयामी कार्य है, जिसके अन्तर्गत तीन प्रमुख कार्य सम्मिलित हैं :-
1. व्यवसाय का प्रबंध करना (Managing A Business)
2. प्रबंधकों का प्रबंध करना (Managing Managers)
3. कार्य तथा कार्यकर्ताओं का प्रबंध करना (Managing The Work And The Workers)
इनमें से अन्तिम दो कार्य मानव संसाधन प्रबंधक से संबधित हैं। इसी से स्पष्ट हो जाता है कि मानव संसाधन प्रबंधक की भूमिका कितनी महत्वपूर्ण है। मानव संसाधन प्रबंधक वास्तविक रूप से दोहरी भूमिका में होता है। अपने विभाग के लिए वह वास्तव में कार्यकारी अधिकारी होता है तो मानवीय संबन्धों के बारे में संस्था में प्रत्येक स्तर पर उसे विशेषज्ञ सेवाएं देनी होती हैं। तकनीकी रूप से वह लाइन अधिकारी न मानकर स्टॉफ अधिकारी माना जाता है अर्थात व कार्यकारी अधिकारी न होकर विशेषज्ञ अधिकारी है। एक विशेषज्ञ अधिकारी के रूप में मानव संसाधन प्रबंधक की भूमिका अत्यन्त महत्वपूर्ण हो जाती है।
प्रबंध की भूमिका को समझने हेतु दो प्रमुख विचारधाराएं प्रचलित हैं :-
1. क्रियात्मक विचारधारा के अनुसार यह माना जाता है कि एक प्रबंधक होने के नाते मानव संसाधन प्रबंधक को नियोजन, संगठन, कर्मचारीकरण (Staffing), निर्देशन व नियन्त्रण जैसे प्रबंधकीय कार्य संपन्न करने होते हैं।
2. द्वितीय विचारधारा प्रबंधकीय भूमिका विचार धारा है, जिसके अनुसार यह माना जाता है कि प्रत्येक प्रबंधक अपना कार्य करते समय कुछ भूमिकाओं का निर्वाह करता है। मानव संसाधन प्रबंधक को भी एक प्रबंधक होने के नाते उन्हीं भूमिकाओं का निर्वाह करना होता है। इस विचारधारा के विकास का श्रेय श्री हैनरी मिन्ज़बर्ग व उनके सहयोगियों को जाता है।
मिन्जबर्ग के अनुसार, प्रत्येक प्रबंधक संस्था द्वारा प्रदत्त औपचारिक अधिकार तथा अपनी स्थिति के अनुसार दस सम्बन्धित भूमिकाओं (Ten Related Roles) का निर्वाह करता है। उन्होंने इन भूमिकाओं को निम्नांकित तीन वर्गो में विभाजित किया है :-
I. आपसी या पारस्परिक भूमिकाएं : 1. अध्यक्षीय या मुखिया की भूमिका, 2. नायक या अगुआ की भूमिका, 3. सम्पर्क भूमिका।
II. सूचनात्मक भूमिकाएं : 1. मॉनीटर या स्नायु-केन्द्र की भूमिका, 2. प्रसारक या प्रचारक की भूमिका, 3. प्रवक्ता की भूमिका।
III. निर्णयात्मक भूमिकाएं : 1. साहसी भूमिका, 2. अशान्ति निवारक/संकटमोचक की भूमिका, 3. संसाधन आबंटन भूमिका, 4. वार्ताकार भूमिका।
इस प्रकार हम कह सकते हैं कि एक प्रबंध के नाते मानव संसाधन प्रबंधक को सामान्यत: आवश्यकतानुसार समय-समय पर उपरोक्त भूमिकाओं का निर्वाह करना होता है। इन भूमिकाओं के निर्वाह के ऊपर ही मानव संसाधन प्रबंधक की सफलता व असफलता निर्भर करती है। इन भूमिकाओं का विवेचन अगले पोस्टों में करने का प्रयास करेंगे।
शनिवार, 26 जून 2010
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