मानव संसाधन प्रबंध बनाम सेविर्गीय प्रबंध
मानव संसाधन प्रबंध शब्द का प्रयोग विगत 30-35 वर्षों से होने लगा है। ``मानव संसाधन प्रबंध´´ व ``मानव संसाधन विकास´´ शब्दावली का प्रयोग दिनों-दिन बढ़ रहा है। यहां तक कि विभिन्न सरकारों ने अपने-अपने शिक्षा मन्त्रालयों का नाम मानव संसाधन विकास मन्त्रालय कर दिया है। कम्पनियों में मानव संसाधन प्रबंधक की नियुक्तियां होने लगीं हैं.
``मानव संसाधन प्रबंध´´ शब्द का प्रयोग सामान्यत: ``सेविवर्गीय प्रबंध´´ के समानार्थी के रूप में ही होता रहा है, किन्तु सेविवर्गीय प्रबंध की अपेक्षा मानव संसाधन प्रबंध अधिक व्यापक व गरिमापूर्ण प्रतीत होता है।
मानव संसाधन प्रबंध के अन्तर्गत विभिन्न पारिभाषिक शब्दों का प्रयोग स्वतन्त्र रूप से अथवा स्थानापन्न शब्द के रूप में किया जाता है, उदाहरणार्थ- सेविवर्गीय या स्टॉंफ प्रबंध, श्रम प्रबंध, कर्मचारी प्रबंध, जनशक्ति प्रबंध, औद्योगिक संबन्ध, सेविवर्गीय प्रशासन आदि। इसी प्रकार सेविवर्गीय प्रशासक को भी विभिन्न नामों से पुकारा जाता रहा है।
कैल्हुन का मत है कि सेविवर्गीय प्रशासन के मुख्य प्रशासक के लिए प्रारंभ में रोजगार प्रबंधक (Employment Manager) शब्द प्रचलित था, परन्तु ईस्वी सन् 1920 से 1930 के मध्य `ओद्योगिक संबन्ध और श्रम संबन्ध (Industrial relation or Labour Relation) का प्रयोग होने लगा। संघात्मक कार्यवाहियों और अन्य श्रमिक कार्यवाहियों, कार्यक्रमों में दिन-प्रतिदिन वृद्धि के कारण `औद्योगिक संबन्ध अधिकारी´, श्रम कल्याण अधिकारी, श्रम अधिकारी, कल्याण अधिकारी आदि की नियुक्तियां की जाने लगीं। सन् 1940 से 1950 तक कुछ कम्पनियों ने श्रम विभाग के निदेशक या प्रबंधक को मानवीय निदेशक या प्रबंधक कहना प्रारंभ कर दिया जो उस समय सभी प्रबंधकीय व्यवहारों के प्रति उत्तरदायित्व पूरा करने की भावना के अनुरूप था। 1960 और उसके उपरान्त मुख्य शब्द सेविवर्गीय प्रबंधक ही रहा है।
डेल योडर द्वारा `औद्योगिक संबन्ध´ शब्द का प्रयोग किया गया है। इसमें जनशक्ति प्रबंध के सभी कार्य सम्मिलित हैं। इसके दो मुख्य उपभाग हैं-
1.सेविवर्गीय प्रबंध, जिसमें नियोक्ता और कर्मचारियों के संबन्ध सम्मिलित किए जाते हैं;
2.श्रम संबन्ध, जिसमें नियोक्ता और कर्मचारियों के बीच विचारों का आदान-प्रदान, सामूहिक निर्णयों का प्रशासन तथा संविदा सम्मिलित किए जाते हैं।
सामान्यत: कहा जा सकता है, `सेविवर्गीय प्रबंध से आशय उन सभी प्रबंधकीय विधियों से है, जिनका प्रयोग कर्मचारियों की समस्याओं को व्यक्तिगत रूप से हल करने में किया जाता है, जबकि श्रम संबधों का निर्धारण नियोक्ता, कर्मचारी व सरकार के सामूहिक प्रयासों से होता है।
जैसा कि पहले ही कहा जा चुका है, मानव संसाधन प्रबंध तथा मानव संसाधन विकास शब्दावली का प्रयोग पिछले 30-35 वर्षों से ही प्रारंभ हुआ है तथा अभी तक मानव संसाधन प्रबंध को सेविवर्गीय प्रबंध के पर्यायवाची के रूप में ही जाना जाता है। वस्तुत: मानव संसाधन प्रबंध, मानव संसाधन विकास से अधिक व्यापक व प्रभावशाली है। विकास प्रबंध का ही एक भाग है। मानव संसाधन प्रबंध का अर्थ एक ऐसी प्रक्रिया से है, जिसके माध्यम से संगठन कार्मिकों की नियमित प्राप्ति तथा सतत् व नियोजित रूप से विकास योजनाएं संचालित करता है ताकि वे,
1. वर्तमान व भावी प्रत्याशित कार्यो के लिए निष्पादन योग्यता प्राप्त कर सकें,
2. एक व्यक्ति की हैसियत से उनकी सामान्य व छुपी हुई योग्यताओं का विकास करके उनका प्रयोग संगठन की विकास योजनाओं में किया जा सके,
3. संगठन में ऐसी कार्य-संस्कृति का विकास किया जा सकें जिसमें, पर्यवेक्षक-अधीनस्थ संबन्ध, समूह-भावना, कर्मचारियों के कल्याण, अभिप्रेरण व आत्मसम्मान का मार्ग प्रशस्त किया जा सके।
बुधवार, 23 जून 2010
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