शनिवार, 1 जून 2024

बंधन(महासमर) नरेन्द्र कोहली से कुछ महत्वपूर्ण सीख

 ‘‘शारीरिक आकर्षण में एक-दूसरे के साथ बँधे रहना और चाहकर भी संबन्ध विच्छेद न कर पाना तो यातना है।’’

‘‘सुख यदि कहीं मिलता है तो केवल प्रेम में मिलता है। प्रेम भी वह, जिसमें प्रतिदान की कामना न हो, केवल दान ही दान हो।’’

‘‘पिता और पति में भेद होता है। नारी मन कहीं पिता को समर्थन देकर और पति का उल्लंघन कर तुष्टि पाता है। पति ही उसका निकटतम् मित्र है और वही उसका घोरतम शत्रु। पति-विजयिनी नारी ही तो स्वयं को सारे नियमों से मुक्त पाती है।’’

‘‘स्वार्थ तो स्वार्थ ही है, चाहे भौतिक सुख की दृष्टि से हो या आध्यात्मिक उत्थान की दृष्टि से...’’

‘‘न्याय और सत्य का सिद्धांत यह कहता है कि यदि हम अपने धनात्मक कार्य के लिए पुरस्कार की अपेक्षा करते हैं, तो अपने ऋणात्मक कार्य के लिए दण्ड की अवज्ञा नहीं करनी चाहिए। कर्म सिद्धांत को काटकर आधा मत करो। फल तो प्रत्येक कर्म का होगा- ऋणात्मक कर्म का भी और धनात्मक कर्म का भी। तुम एक को पुरस्कार कहते हो और एक को दण्ड। तुम्हें एक की अपेक्षा है, दूसरे की नहीं। प्रकृति के नियम सार्वभौमिक हैं, वे आंषिक सत्य नहीं हैं।’’

‘‘मित्रता भावना से होती है, कर्म से नहीं; और नीति सदा ही शत्रुता  और मित्रता से निरपेक्ष होती है।’’

‘‘निम्न कोटि के लोग अपनी आजीविका से भयभीत रहते हैं, मध्यम कोटि के मृत्यु से; और उत्तम कोटि के लोग केवल अपयष से।’’

‘‘प्रेमी का प्रेम अस्थिर होता है, आवेशपूर्ण होता है, किसी पहाड़ी नदी के समान! और पति का प्रेम धीर, गम्भीर होता है, गहरा और मन्थर- गंगा के समान। उसमें आवेश और उफान चाहे न आये, किन्तु वह सदा भरा पूरा है। वह अकस्मात बहाकर चाहे न ले जाये, किन्तु पार अवश्य उतारता है।’’

‘‘आदर न धन से मिलता है, न ज्ञान से, न यष से, न कुल से- आदर केवल आचरण से मिलता है।’’

‘‘नीति कहती है-‘सत्य बोलो।’ तो इसलिए नहीं कि सत्य बोलने से आकाश से अमृत टपकने लगेगा। वह हम इसलिए कहते हैं कि यदि समाज में सत्य बोलेंगे तो उनका परस्पर विश्वास बना रहेगा, व्यवहार में सुविधा रहेगी, जीवन में संघर्ष सरलता से पार किए जा सकेंगे; किन्तु यदि एक व्यक्ति दूसरे से झूठ बोलेगा, किसी को किसी के शब्द पर विश्वास नहीं रहेगा, तो सामाजिक व्यवहार में असुविधाएँ बढ़ जाएँगी, और यह परस्पर का अविश्वास उस समाज को नष्ट कर देगा।’’

                                                          बंधन(महासमर) नरेन्द्र कोहली 


कोई टिप्पणी नहीं: