गुरुवार, 18 जून 2009

प्रबंधन के बिना

अंकुर


एक अंकुर

जिसको चाहिए था

प्रकाश मिट्टी व पानी,

और उसे थी,

अपनी खुशबू फैलानी,

समाज न दे पाया,

प्रबंधन के बिना

राष्ट्रप्रेमी,

न जमीं जड़,

न बना पौधा,

मारा सूरज ने कौंधा

और वह मुरझाया,

बिना जीवन जिये,

बिना कुछ किये।

बिखर गए संसाधन,

गुजर गई धूप,

बह गया पानी,

उड़ गयी मिट्टी,

मानव बन गया गिट्टी,

गुम हुई सिट्टी-पिट्टी।

कोई टिप्पणी नहीं: