नमक उद्योग के बढ़ते कदम
नमक शब्द का अंग्रेजी पर्याय `साल्ट´ लेटिन के सेल शब्द से बना माना जाता है। इससे ही `सेलरी´ शब्द की उत्पत्ति हुई। रोमन सैनिकों को नमक के रूप में वेतन का अंश दिया जाता था। एक समय वह भी था जब प्राचीन ग्रीक में नमक का प्रयोग मुद्रा के रूप में किया जाता था। इथियोपिया के चन्द सुदूर क्षेत्रों में नमक आज भी पैसे के रूप में चलन में है। भारत के गढ़वाल क्षेत्र के ऊँचे पहाड़ी क्षेत्रों में लड़की शादी के समय अपने मायके से नमक छिपाकर ले जाती थी, ताकि वह ससुराल में चुपके से नमक के साथ रोटी खा सके क्योंकि सामान्यत: बहुओं को नमक नहीं दिया जाता था।
२,२०० ईसा पूर्व चीन के राजा ह्युसुआ यू लिवीद ने सबसे पहले नमक पर कर लगाया। अब कर की बात चल पड़ी है तो यह भी बता दें कि अंग्रेजों ने भारत के नमक उद्योग को बर्बाद करने के उद्देश्य से ही नमक उत्पादन पर भारी-भरकम कर लगा दिया था। वह अंग्रेजों के जमाने की बात थी जब प्रेमचन्द की कहानी नमक का दारोगा लिखी गई थी। उस कहानी से ही स्पष्ट होता है कि नमक उन दिनों कितने नियंत्रणों के अधीन था। महात्मा गांधी ने इसी नमक को स्वतंत्रता संग्राम में सत्याग्रह के हथियार के रूप में प्रयोग किया। आज जबकि हम प्रथम स्वाधीनता संग्राम के १५० वर्ष पूरे होने का उत्सव मना रहे हैं। हमारे लिए बड़े हर्ष की बात है कि वर्ष २००५ में हमने अब तक का रिकॉर्ड १९९.२४ लाख टन उत्पादन करके ३२ देशों को नमक निर्यात किया है।
वर्तमान में हमारा नमक उद्योग उत्पादन के दृष्टिकोण से विश्व में तीसरे स्थान पर है। प्रथम स्थान पर संयुक्त राज्य अमरीका है तो दूसरे पर चीन। भारत ने १४६.४४ लाख टन की घरेलू आवश्यकताओं को पूरा करके ३८.०४ लाख टन का निर्यात भी किया है। भारत से लगभग २५ देशों को नमक निर्यात किया जाता रहा है। वर्ष २००५ में भारत से नमक आयात करने वाले ३२ देश हैं, अर्थात नए आयातक देशों तक हमारी पहुँच बढ़ी है। बांग्ला देश, भूटान, नेपाल, चीन, हांगकांग, इंडोनेशिया, जापान, कोरिया, कुवेत, लाइबेरिया, मालदीव, मलेशिया, मोरीशस, न्यू गुआना, फिलीपीन्स, कतर, सिंगापुर, सिरोलीयन(Sierraleone), श्री लंका, थाइलैण्ड, यू.ए.ई., वियतनाम, सेन्ट्रल अफ्रीका, मस्कट, दक्षिण अफ्रीका, ब्रूनी दारू सलम (Bruni Daru Saalam), केन्या, साइक्लस(Seychelus), आस्ट्रेलिया, इवोरी कॉस्ट(Ivory Coast), सऊदी अरब, उत्तरी कोरिया आदि देशों ने भारत से नमक का आयात किया।
वर्ष २००५ में अब तक का उच्च उत्पादन रहा है जो भारतीय नमक उद्योग के इतिहास में मील का पत्थर कहा जा सकता है। वर्ष २००५ में १९९.२४ लाख टन उत्पादन हुआ। नमक उपायुक्त श्री एस.सुन्दरेसन का मानना है कि उत्पादन २० मिलियन टन लक्ष्य बिन्दु को पार कर सकता था किन्तु २६ दिसम्बर २००४ को तमिलनाडु व आंध्रप्रदेश के तटीय इलाकों में सुनामी के कारण नमक क्षेत्रों में काफी क्षति हुई। दूसरी ओर राजस्थान में भी अनिश्चित मौसमी परिस्थितियों के कारण उत्पादन पर असर पड़ा। हमारी उदारीकरण व लाइसेन्स मुक्त करने की नीति का ही परिणाम है कि स्वतंत्रता के वर्ष १९४७ में नमक उत्पादन १९ .२९ लाख टन था जो साठ वर्षों में दस गुने से भी अधिक हो गया है। जो अभी तक का ऐतिहासिक उत्पादन स्तर है।
टिप्पणी- नमक विषय से जुडे सभी निबंध महर्षि सरस्वती विश्विद्यालय, अजमेर में पीएच.डी. की उपाधि के लिये प्रस्तुत शोध प्रबंध 'राजस्थान के नमक उद्योग में श्रमिकों की कार्यदशाएं-एक विश्लेषणात्मक अध्ययन' के आधार पर लिखे गये हैं.
1 टिप्पणी:
रोचक और महत्वपूर्ण जानकारी दी है आपने.
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