इस प्रकार स्पष्ट है कि तकनीक निश्चित रूप से आवश्यक व अनिवार्य है किन्तु उसका उचित प्रयोग व्यक्ति की कुशलता के ऊपर निर्भर है। हमें सदैव यह याद रखना चाहिए कि कोई भी तरीका किसी कार्य को करने के लिए प्रयुक्त किया जाता है। कार्य महत्वपूर्ण है तरीका नहीं, कल को इस तरीके से भी भिन्न तरीके की खोज कर ली जाय तो हम उस तरीके से काम करने लगेंगे। यही तो तकनीक का नवीनीकरण या अपडेशन है।
तकनीक अपने आप में एक उपकरण मात्र है। उसका प्रयोग तो प्रयोगकर्ता के ऊपर निर्भर होता है। यह ठीक उसी प्रकार है कि हमारे पास एक चाकू है। चाकू एक उपकरण है किंतु चाकू का उपयोग हमारे हाथ में है। हम चाहें तो उससे सब्जी काट सकते हैं। सर्जरी के काम में लेकर किसी की जान बचा सकते हैं। यदि हम चाहे तो चाकू का प्रयोग किसी की जान लेने में भी कर सकते हैं। अब उस चाकू का प्रयोग कैसे भी करें, प्राप्त परिणाम का श्रेय हमें ही मिलेगा, चाकू को नहीं। ठीक यही स्थिति तकनीक के इस्तेमाल में है। हमें ध्यान रखना होगा कि तकनीक हमें अपनों से दूर न कर दे।
टेलीविजन व इन्टरनेट हमारे परिवार का स्थान नहीं ले सकते। हमें तकनीक का प्रयोग करना चाहिए किन्तु तकनीक के नशे में डूबने से बचना होगा। ऐसा न हो कि आप फेसबुक या ट्विटर पर लगे हों और आपकी पत्नी और बच्चे आपसे बातें करने के लिए तरश जायें। ऐसा न हो कि आप टेलीविजन देखते रहे और आपके परिवार का एक बुजुर्ग सदस्य पानी माँगता ही रह जायँ। ऐसा न हो कि आप टेलीविजन देखने में इतनी मशगूल हो जायँ कि काम से थके हारे आने वाले आपके पतिदेव आपकी मुस्काराहट भरे स्वागत से वंचित हो जायँ। तकनीकी के फेर में पड़ कर आप अपनी मुस्कराहट को मत भुला बैठिए।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें