बुधवार, 10 मार्च 2021

कठिन काम है- खुद को संवारना

 आज अपने ही ब्लाग के नामकरण पर ध्यान गया। खुद को संवारे-प्रबन्धन करें। यह वाक्य लिखने में जितना सरल है, व्यवहार में उतना ही कठिन। वास्तविकता यह है कि हम खुद को संवारने का प्रयत्न ही कहां करते हैं? हमें अपने कपड़ों की चिन्ता रहती है, क्योंकि हमें दूसरों की नजरों में अच्छा दिखना है। हम सोच-समझ कर बोलते हैं, नियन्त्रित होकर बोलते हैं, भय रहता है, सच बात मुंह से निकल गयी तो लोग क्या कहेंगे? आप होटल में बैठे है तो आपको अपने आपको वहां के वातावरण के अनुसार ही दिखाना है, वरना लोग क्या कहेंगे?

    हम अपने कपड़ों पर ध्यान देते हैं, अपने रहन-सहन पर ध्यान देते हैं, हम अपने आस-पास रहने वाले सभी निकट और दूर के जो भी हों ध्यान देते हैं, सभी के साथ रिश्तों का प्रबन्धन करने के प्रयत्न करते हैं। अपने और अपने लोगों की वस्तुओं को सवांरते है, अपने काम-काज को सवांरते है, अपने घर और कार्यालय का प्रबन्धन करते है। हम अपने पड़ोसियों के बारे में सोचते हैं, अपने बच्चों के बारे में सोचते हैं, अपनी पत्नी के बारे में सोचते हैं। सबका मूल्यांकन करते हैं। सबकी चिन्ता करते हैं। किन्तु ईमानदारी से विचार करें, अपने लिये केवल अपने प्रबन्धन के लिये, केवल अपने विकास के लिये कितना समय लगाते हैं? अपने आप को सवांरने और अपना प्रबन्धन करने के बारे में हम विचार भी नहीं करते। आओ! अपने बारे में विचार करना प्रारंभ करें। अपने आपको संवारने का प्रयत्न करें। अपने आपका प्रबन्धन करने का प्रयत्न करें।

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