बुधवार, 22 फ़रवरी 2017

टकराने से है भला

टकराने से है भला, बदलो अपनी राह।

इच्छा पूरी न हो सके, बदलो अपनी चाह॥


वाद-विवाद में होत न, कभी किसी की जीत।

जीत-हार के ब्याज से, नष्ट होत है प्रीत॥


विवाद समय न नष्ट कर, जीवन लघु बहु काज।

अकेले ही प्रस्थान कर, राह मिलत हैं साज॥


दूर की चिन्ता छोड़ दे, निकट नजर तू डार।

सामने हैं वह काम कर, जीवन है दिन चार॥


पिछली चिन्ता छोड़ दे, आगे की ना सोच।

वर्तमान में जी सखे, सच्चा है यही कोच॥

1 टिप्पणी:

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