तकनीक का प्रयोग कर, बनें स्मार्ट प्रबंधक
आपने बड़े-बुजुर्गो को कहते सुना होगा। कलयुग आ गया भाई! निःसन्देह उनकी बात सही है। कलयुग अर्थात कल-कारखानों का युग तो है ही, यही नहीं आज तो हम कल-कारखानों के युग से भी आगे स्वचलन के युग में आ गये हैं। आज तकनीक ने इतना विकास कर लिया है कि आपके जीवन में शायद ही कोई हिस्सा हो, जो तकनीक से अछूता बचा हो।
आप ने आग के आविष्कार का इतिहास तो अवश्य ही पढ़ा होगा। पहिए का आविष्कार और उसके प्रयोग के बारे में भी पढ़ा होगा। क्या आज भी आप पत्थरों को रगड़ कर आग जलाना पसन्द करेंगे? या आप बिना आग के अपने जीवन की कल्पना कर सकते हैं? क्या आप बिना पहिए के जीवन को जी सकते हैं? नहीं ना! बिल्कुल सही बिना तकनीकी (ज्मबीदवसवहल) अर्थात प्रौद्योगिकी के बिना जीवन का निर्वाह कठिन ही नहीं वरन् लगभग असंभव प्रतीत होता है। वस्तुतः प्रौद्योगिकी, तकनीक या टेक्नोलॉजी इसे हम किसी भी नाम से जाने, यह किसी काम को करने का श्रेष्ठतम् तरीका है। किसी कार्य को ऐसे नवीनतम् तरीके से करना कि न्यूनतम् संसाधनों का प्रयोग करते हुए श्रेष्ठतम् परिणाम् प्राप्त किया जा सके वास्तव में तकनीक है। यही उद्देश्य प्रबंधन का भी होता है। अतः प्रबंधन को भी एक तकनीक कहा जा सकता है। वास्तव में प्रबंधन तकनीकों की तकनीक है।
आग का आविष्कार, पहिए का आविष्कार, कृषि क्रांति ही नहीं आज औद्योगिक युग भी पीछे छूट गया है। आज के समाज को उद्योग प्रधान समाज नहीं, वरन् ज्ञान-आधारित समाज कहा जाने लगा है। कम्प्यूटर और इंटरनेट को कृषि क्रांति व औद्योगिक क्रांति के बाद तीसरी क्रांति की संज्ञा दी जा सकती है। कभी हम देश में जनसंख्या के विस्फोट की बात करते थे, किन्तु आज ज्ञान के विस्फोट की चर्चाएँ होती हैं। आज आपको किसी भी प्रकार की सूचना के लिए अखबार की प्रतीक्षा करने की आवश्यकता नहीं है। दूरदर्शन पर हर क्षण की खबरें हाजिर हैं। जी हाँ! दूरदर्शन पर 24 घण्टे समाचार परोसने वाले चैनल चिल्ला-चिल्लाकर खबरें परोस रहे हैं। खबरें, ताजा खबरें, चटपटी खबरें, ब्रेकिंग न्यूज बनाकर प्रस्तुत की जाने वाली खबरें। अरे हाँ! इससे भी आगे की बात तो कहना ही भूल गया। आज तो प्रत्येक नागरिक जो तकनीकी से जुड़ा है। वह स्वयं ही खबरों का स्रोत व पत्रकार है। 3जी और 4जी सेवा का कमाल है कि आज आप स्वयं भी खबरें अपलोड करके दुनिया में छा सकते हैं। यही तो नागरिक पत्रकारिता का दौर है।
आप अपने घर से दूर हैं और आप अपने घर पर संदेश भेजने के लिए डाकघर जा रहे हैं। अरे! नहीं यह गलती न कीजिएगा। बच्चे आपका मजाक उड़ायेंगे। डाकघर का पत्र भेजने का कारोबार तो लगभग बन्द होने को है। वहाँ केवल सरकारी व संस्थागत आवश्यक डाक ही जाती है। जहाँ प्रमाणों की आवश्यकता होती है। पत्र की तो बात ही क्या? गत वर्ष तार विभाग तो बन्द ही कर दिया गया है। अब तार कौन भेजे? 162 साल पुरानी टेलीग्राम सेवा को 14 जुलाई 2013 रात से बन्द कर दिया गया है। आज संदेशों के आदान-प्रदान के लिए चलवार्ता यंत्र छा गये हैं। चलवार्ता यंत्र! अरे आप भ्रम में मत पड़िये। मैं तो मोबाइल की बात कर रहा हूँ। आपके पास कितने नम्बर हैं? आपका मोबाइल हैण्डसेट स्मार्टफोन है कि नहीं? यदि नहीं है तो ले आइये कम्पनी एक्सचेंज ऑफर में सस्ता ही दे रही है। स्मार्ट तकनीक का प्रयोग करके स्मार्ट नागरिक बनिए।
डाकघर से मनीआर्डर भेजने का काम भी चला-चले का मेला है। अब मनीआर्डर करना तो पिछड़ेपन की निशानी है। डाकघर 5 रुपये सेकड़ा के हिसाब से शुल्क वसूलता है। वह शुल्क तो लेता है किन्तु मनीआर्डर अपने गन्तव्य पर कब पहुँचेगा, यह तो शायद डाक विभाग को भी पता नहीं होता। तभी तो आजकल डाक विभाग भी स्मार्ट हो रहा है और उसने भी साधारण मनीआर्डर को पीछे छोड़ ई-मनीऑर्डर की सेवा प्रारंभ की है; किन्तु आपको ई-मनीआर्डर की भी आवश्यकता नहीं है। आपका बैंक में खाता नहीं है? यदि नहीं है तो तुरन्त खुलवाइये। सरकार भी चाहती है कि हर नागरिक का बैंक में अपना खाता हो। केरल इस मामले में भी बाजी मार ले गया। वहाँ प्रत्येक परिवार का बैंक में खाता है। बैंक के मल्टीसिटी चेक से आप देश में उस बैंक की किसी भी शाखा से अपने धन की निकासी कर सकते हैं। इसके लिए कोई शुल्क नहीं देना पड़ता। एटीएम तो और भी मजेदार है। इससे जब चाहो, जहाँ चाहो रुपया हाजिर है। यदि आप ई-बैंकिग प्रयोग करते हैं तो धन भेजने के लिए न तो प्रतीक्षा की आवश्यकता है और न ही कोई शुल्क चुकाने की आवश्यकता है। ई-बैंकिग को बढ़ावा देने के लिए रिजर्व बैंक के निर्देशानुसार अधिकांश बैंक 1 लाख तक के धन स्थानान्तरण पर कोई शुल्क नहीं लेते। धन भी तुरन्त वहाँ पहुँच जाता है, जहाँ आप भेजना चाहते हैं। ऐसी स्थिति में डाकघर जाकर मनीऑर्डर की बात करना पिछड़ेपन की निशानी नहीं कही जाय तो और क्या कही जायेगी? यदि आप इन्टरनेट का प्रयोग व्यक्तिगत रूप से कर पाने में झिझक महसूस करते हैं तो यह पिछड़ेपन की निशानी है। इसके बाबजूद आप जिस चैक बुक का प्रयोग कर रहे हैं वह मल्टीसिटी चैक बुक है। उसके द्वारा आप कहीं भी भुगतान कर सकते हैं, किसी भी शाखा से रकम निकाल सकते हैं। इसके लिए न तो किसी प्रकार का संग्रहण व्यय देना पड़ेगा और न ही कोई अतिरिक्त शुल्क चुकाना पड़ेगा। यह भी कम्प्यूटर और इन्टरनेट तकनीक का ही कमाल है।
आपको कहीं बाहर जाना है और रेलगाड़ी में आरक्षण कराना है। आपको रेलवे काउण्टर पर लंबी लाइन में खड़े होने में डर लग रहा है। सही बात है। आरक्षण के लिए लंबी लाइनों में घण्टों खड़ा रहना कितना मुश्किल काम है? यात्रा करने का उत्साह ही मर जाता है। किन्तु अब आपको चिन्तित होने की आवश्यकता नहीं है। तकनीकी हाजिर है। आखिर आप तकनीकी के युग में जी रहे हैं। रेलगाड़ी ही क्यो? अब बस व हवाई जहाज के टिकट के लिए भी आपको क्यू में लगने की आवश्यकता नहीं हैं। आप अपने कम्प्यूटर को ऑन कीजिए। इण्टरनेट कनेक्ट कीजिए और अपनी मनपसन्द यात्रा का टिकट हासिल कीजिए। भुगतान भी अपने बैंक एकाउंट से कर दीजिए। एक मजेदार बात और आपको रेल के टिकट का प्रिन्ट निकालने की भी आवश्यकता नहीं है। बेबसाइट द्वारा आपके मोबाइल पर भेजे गये एस.एम.एस. द्वारा ही टिकट का काम किया जायेगा।
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