रविवार, 24 अगस्त 2014

सफलता का राज़: प्रबंधन


सफलता का राज़: प्रबंधन


आपके मस्तिष्क में पुस्तक के शीर्षक से ही एक प्रश्न होगा कि वास्तव में सफलता का राज़ है क्या? जी हाँ! मैं उसी प्रश्न का उत्तर देने जा रहा हूँ। आपने एक उक्ति अवश्य पढ़ी या सुनी होगी। सफल व्यक्ति कोई काम अलग नहीं करते वरन् उन्हीं कार्यो को अर्थात साधारण कार्यो को अलग ढंग से करते हैं। दूसरे शब्दों में सफल व्यक्ति साधारण कार्यो को असाधारण ढंग से करके असाधारण परिणाम देते हैं और सफल कहलाते हैं। यह साधारण कार्य को असाधारण तरीके से करना ही वास्तव में सफलता का राज़    है। इसका तकनीकी नाम है- प्रबंधन।
                 इस प्रकार सफलता का राज़    हैं- ‘प्रबंधन’। जी, हाँ! प्रबंधन ही सफलता का आधारभूत उपकरण हैं। अनादि काल से सफलता प्रयासों के कुशल प्रबंधन के माध्यम से ही प्राप्त होती रही है। वर्तमान में भी सफलता कुशल प्रबंधकों को ही प्राप्त हो रही है और भविष्य में भी प्रबंधन का अनुकरण करने वाले, नहीं, अनुकरण नहीं; प्रबंधन को आत्मसात करने वालों को, अपने कार्य में ढालने वालों को ही प्राप्त होगी। क्या आप इसके लिए तैयार है? क्या आप सफलता को वास्तव में कदम-कदम पर प्राप्त करना चाहते हैं। यदि हाँ, तो प्रबंधन को अपने आचरण का अभिन्न अंग बना लीजिए, सफलता भी आपके जीवन में स्थाई रूप से रच-बस जायेगी। आनन्द आपके जीवन को ढक लेगा। वास्तव में आपको सफलता चाहिए तो प्रबंधन को अपनाओ। प्रबंधन को अपनाओ- जीवन को सफल बनाओ। 
                सफलता की बातें तो सभी करते हैं किन्तु इसकी उपलब्धि बहुत कम लोग कर पाते हैं। इसका कारण है सफलता कामना से नहीं, प्रयासों से प्राप्त होती है। प्रयास भी सामान्य नहीं, प्रबंधन के साथ किए गए प्रयास ही हमें सफलता की ओर अग्रसर करते हैं। सफलता के लिए किसी दिव्य शक्ति की आवश्यकता है, तो वह है प्रबंधन। सफलता के लिए आवश्यकता है- ध्येय की, उद्देश्य की और तात्कालिक रूप से लक्ष्य की और फिर उस ध्येय, उद्देश्य व लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए सुप्रबंधित प्रयासों की। ध्येय, उद्देश्य और लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए दीर्घकालीन, मध्यमकालीन व तत्कालीन नियोजन व उसके क्रियान्वयन की। 

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