उन्हें स्कूल में कुछ सीखने को नहीं मिल रहा
वर्तमान में 13 जनवरी 2014 को संयुक्त राज्य अमेरिका की जनगणना ब्यूरो के अनुसार विश्व की जनसंख्या अनुमानित तौर पर 7.118 अरब है। अन्तर्जाल पर दिए गए एक मोटे आकलन के अनुसार विश्व की जनसंख्या में प्रत्येक पाँच व्यक्तियों में से एक व्यक्ति अनपढ़ है। भारत के सन्दर्भ में बात करें तो 2011 में हुई जनगणना के अनुसार भारत की जनसंख्या सवा अरब के आकड़े को छू चुकी है, जबकि संविधान लागू होने के 60 वर्ष के निरंतर प्रयासों से साक्षरता दर 18 प्रतिशत से 74 प्रतिशत तक ही पहुँची है। अभी भी 26 प्रतिशत जनसंख्या निरक्षर है। अन्तर्राष्ट्रीय व राष्ट्रीस स्तर पर सभी को साक्षर करने के लिए नियोजन की आवश्यकता है। शिक्षा के क्षेत्र के लिए अधिक संसाधन जुटाने की आवश्यकता है। केवल संसाधनों से ही काम नहीं चलने वाला संसाधनों का शिक्षा के लिए आबंटन करके उनके प्रयोग करने के कौशल के साथ-साथ दृढ़ इच्छाशक्ति भी चाहिए। अविरल कार्य में जुटे रहने के लिए अभिप्रेरण भी चाहिए।
यूनीसेफ की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में 8 मिलियन बच्चे कभी स्कूल नहीं गए और 80 मिलियन ने बिना बेसिक शिक्षा पूरी किए स्कूल छोड़ दिया। यूनीसेफ ने इस स्थिति को राष्ट्रीय आपातकाल का नाम देते हुए सरकार व समाज का आह्वान इस स्थिति में सुधार के लिए किया है ताकि शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 सही अर्थो में लागू किया जा सके। भारत में यूनीसेफ के प्रतिनिधि लुइस जार्ज अर्सेनाल्ट के अनुसार, ‘ शिक्षा के अधिकार अधिनियम के क्रियान्वयन से पिछले तीन वर्षो में सुधार तो आया है किन्तु बच्चे अभी भी स्कूल से बाहर है, वो भी कार्य के लिए नहीं वरन् इसलिए कि उन्हें स्कूल में कुछ सीखने को नहीं मिल रहा।’ (’There has been progress in implementation of
the act in the past three years but
children are still dropping out not for labour, but because they are not
learning anything in schools,’ Louis-Georges Arsenault. UNICEF
Representative in India.½ ) निश्चय ही यह स्थिति चिन्ताजनक है और पारंपरिक शिक्षा प्रणाली इसको सुधारने में असमर्थ जान पड़ती है। अतः शिक्षा प्रणाली में प्रबंधन के सिद्धान्तों को अपनाकर चलने की आवश्यकता है।
क्रमशः ...............................................................................................
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