शुक्रवार, 15 अप्रैल 2022

संसाधनों के कुशलतम प्रयोग और प्रभावशाली तंत्र की आशा

नवोदय विद्यालयों के संदर्भ में राष्ट्रीय शिक्षा नीति की

विद्यालय समेकन परिकल्पना
                        
अर्थशास्त्र में चयन के सि़द्धांत का आधार होता है कि संसाधन सीमित होते हैं और उनका वैकल्पिक प्रयोग किया जा सकता है। सीमित संसाधनों का कुशलतम प्रयोग करके अधिकतम और प्रभावी परिणामों की प्राप्ति प्रबंधन के द्वारा ही संभव है। उसी प्रबंधन का नियोजन राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुच्छेद 7 के स्कूल कॉम्प्लेक्स/कलस्टर के विचार में दिखाई देता है।
शिक्षा के क्षेत्र में ससाधनों की सदैव ही कमी देखी गई हैं। संसाधनों की कमी के साथ ही संसाधनों का अनुपयोगी पड़े रहना भी एक बड़ी समस्या के रूप में उभरकर आया है। यह मानवीय व भौतिक दोनों प्रकार के संसाधनों में देखा जा रहा है। एक तरफ वि़द्यालयों में बड़ी मात्रा में अनुपयोगी भूमि व भवन देखे जा सकते हैं तो दूसरी और विद्यार्थियों के पास एक छत भी उपलब्ध नहीं होती। एक तरफ अध्यापक नियुक्त हैं किंतु विद्यार्थी नहीं हैं, तो दूसरी तरफ विद्यार्थियों हैं किंतु अध्यापक नहीं हैं। इस समस्या का समाधान विद्यालय समेकन करते हुए विद्यालय परिसर की स्थापना या शिक्षा संकुल बनाने की परिकल्पना में है।
जब आंगनवाड़ी, प्राथमिक विद्यालय, उच्च प्राथमिक विद्यालय, उच्च विद्यालय, उच्च माध्यमिक विद्यालय व व्यावसायिक विद्यालय एक ही परिसर में होंगे तो संसाधनों की सहभागिता के साथ ही संसाधनों का कुशलतम प्रयोग हो सकेगा। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में विद्यार्थियों के लिए विषयों की विविधता उपलब्ध करवाने के विचार को लिया गया है। विद्यार्थियों की रूचि के अनुसार विषय ही नहीं शैक्षणिक विषयों के साथ कौशल को बढ़ाने के लिए स्किल सब्जेक्टस देने पर जोर दिया गया है। इस विचार का क्रियान्वयन विद्यालय परिसरों के माध्यम से ही हो सकता है। एक ही परिसर में विद्यालयों का समूह होने पर वे न केवल अपने भौतिक संसाधनों में सहभागिता कर सकेंगे, वरन मानवीय संसाधनों का भी कुशलतम प्रयोग हो सकेगा।
विद्यालयों के समेकन या शिक्षा परिसरों का विचार जितना सुंदर प्रतीत होता है। उतना ही कठिन भी है। शिक्षा के सार्वभौमीकरण के विचार को लेकर चलने के कारण हम प्रत्येक बच्चे के निकट विद्यालय उपलब्ध करवाने की कोशिश कर रहे हैं। ऐसी स्थिति में विद्यालयों का समूहीकरण बड़े पैमाने पर नहीं किया जा सकता। हम आंगनवाड़ी और प्राथमिक विद्यालय को उच्च माध्यमिक विद्यालय के परिसर में ले जायेंगे तो वह बच्चों से दूर हो जायेंगे।इसी समस्या का आभास होने के कारण राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में ‘जहाँ तक संभव हो’ भाव का प्रयोग किया है।
जवाहर नवोदय विद्यालय इस विचार को मूर्त रूप देने में अग्रणी भूमिका निभा सकते हैं। नवोदय विद्यालयों की स्थापना मॉडल स्कूलों के रूप में हुई थी। ये संपूर्ण जिले में गतिनिर्धारक संस्था के रूप में कार्य करने के लिए एक प्रयास है। नवोदय विद्यालय प्रत्येक जिले खोलने के प्रयास रहते हैं। नवोदय विद्यालयों के पास सामान्यतः आधुनिकतम भौतिक संसाधन उपलब्ध हैं। जवाहर नवोदय विद्यालयों के आसपास स्थित विद्यालयों को नवोदय विद्यालय परिसर में स्थापित करके एक आदर्श विद्यालय परिसर की परिकल्पना को प्रस्तुत किया जा सकता है। नवोदय विद्यालय में उपलब्ध भौतिक संसाधनों का कुशलतम प्रयोग भी हो सकेगा। 

जवाहर नवोदय विद्यालयों के पास बड़े-बड़े क्रीड़ास्थल हैं। आधुनिकतम व स्मार्ट प्रयोगशालाएं हैं, समृद्ध पुस्तकालय हैं, कम्प्यूटर और स्मार्ट प्रयोगशालाओं की उपलब्धता है। इंटरनेट व वाई-फाई की सुविधा उपलब्ध है। विद्यालय परिसर की स्थापन से इन सुविधाओं का प्रयोग इन सुविधाओं से वंचित विद्यालय भी कर सकेंगे। यही नहीं अन्य विद्यालयों की नवोदय परिसर में स्थापना होने से विद्यालय प्रशासन की क्षमताओं का भी कुशलतम प्रयोग हो सकेगा। जवाहर नवोदय विद्यालय स्वायत्तशासी संस्थाएं हैं। अतः इन परिसरों में स्थापित संस्थाओं को सम्मिलित करते हुए सहयोगी और सहभागी स्वायत्त संस्थाओं का समूह विकसित होगा, जो संपूर्ण देश की शिक्षा प्रणाली के सामने एक आदर्श स्थापित करके देश की शिक्षा प्रणाली के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है।


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