दैनिक जागरण(१५-०५-२०११) झंकार के दो फ़ीचर जिंदगी लाइव-"खुश हैं साथ हम १०८" और जरा हट के- "भारत में दुनिया का सबसे बड़ा परिवार!" ने ध्यान आकर्षित किया और लगा प्रबन्धन के विद्यार्थियों के लिये प्रबंध कौशल के कितने अच्छे उदाहरण हैं. आओ दोनों पर चर्चा करें-
१.अमृतसर में एक ऐसा परिवार है जहां छोटे-बड़े मिलाकर १०८ लोग रहते हैं, जी हां यह है भाटिया परिवार. परिवार में सभी निर्णय बुजुर्गों की सहमति से होते हैं.
२. भारत ही नहीं दुनिया का सबसे बड़ा परिवार मिजोरम के बख्तवांग गांव में बसा है. इस परिवार के मुखिया डेड जिओना की ३९ पत्निया और ९४ बच्चे हैं. इनके अतिरिक्त १४ बहुएं और ३३ पोते-पोतिया भी हैं. यह परिवार चार मंजिला इमारत में १०० कमरों में रहता है. जिओना की आजीविका का साधन बढ़ईगीरी है. परिवार में पूरा अनुशासन है. पहली पत्नी जाथिआंगी सबको अलग-अलग काम सौंपती है और सभी उसी के अनुसार पूरा करते हैं.
इन उदाहरणों को देने का मेरा आशय यह कदापि नहीं है कि परिवार नियोजन की योजना को गलत कहना चाह रहा हूं, वरन मैं यहां केवल यह स्पष्ट करना चाहता हूं कि सामान्य परिवारों में आज जहां चार लोग ठीक से नहीं रह पाते. एकल परिवार में भी समस्याएं बढ़ रही हैं, अधिकारी १० अधीनस्थों से संतोषजनक काम कराने में असफ़ल रहते हैं, वहीं परिवार को एक जुट रखने में ये परिवार मार्गदर्शक सिद्ध हो सकते हैं. वस्तुतः संयुक्त परिवार प्रणाली में प्रबंधन के सूत्र छिपे हुए हैं. इन परिवारों में जो मूल तत्व है वह है- बड़ो के प्रति आदर व छोटों के प्रति प्रेम प्रबंध के मूल तत्व हैं. इनकी आवश्यकता न केवल परिवार में वरन संस्थाओं में भी पड़ती है. प्रबंधन के सिद्धांतों में इसे "मानसिक क्रान्ति" का नाम दिया जाता है.
१.अमृतसर में एक ऐसा परिवार है जहां छोटे-बड़े मिलाकर १०८ लोग रहते हैं, जी हां यह है भाटिया परिवार. परिवार में सभी निर्णय बुजुर्गों की सहमति से होते हैं.
२. भारत ही नहीं दुनिया का सबसे बड़ा परिवार मिजोरम के बख्तवांग गांव में बसा है. इस परिवार के मुखिया डेड जिओना की ३९ पत्निया और ९४ बच्चे हैं. इनके अतिरिक्त १४ बहुएं और ३३ पोते-पोतिया भी हैं. यह परिवार चार मंजिला इमारत में १०० कमरों में रहता है. जिओना की आजीविका का साधन बढ़ईगीरी है. परिवार में पूरा अनुशासन है. पहली पत्नी जाथिआंगी सबको अलग-अलग काम सौंपती है और सभी उसी के अनुसार पूरा करते हैं.
इन उदाहरणों को देने का मेरा आशय यह कदापि नहीं है कि परिवार नियोजन की योजना को गलत कहना चाह रहा हूं, वरन मैं यहां केवल यह स्पष्ट करना चाहता हूं कि सामान्य परिवारों में आज जहां चार लोग ठीक से नहीं रह पाते. एकल परिवार में भी समस्याएं बढ़ रही हैं, अधिकारी १० अधीनस्थों से संतोषजनक काम कराने में असफ़ल रहते हैं, वहीं परिवार को एक जुट रखने में ये परिवार मार्गदर्शक सिद्ध हो सकते हैं. वस्तुतः संयुक्त परिवार प्रणाली में प्रबंधन के सूत्र छिपे हुए हैं. इन परिवारों में जो मूल तत्व है वह है- बड़ो के प्रति आदर व छोटों के प्रति प्रेम प्रबंध के मूल तत्व हैं. इनकी आवश्यकता न केवल परिवार में वरन संस्थाओं में भी पड़ती है. प्रबंधन के सिद्धांतों में इसे "मानसिक क्रान्ति" का नाम दिया जाता है.
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