गुरु तेग बहादुर के बलिदान की याद
शहीद दिवस एक ऐसा दिन है जब हम उन
वीरों को याद करते हैं जिन्होंने देश की आजादी और संप्रभुता के लिए अपने प्राणों
की आहुति दी। यह दिन हमें उनके बलिदान और त्याग की याद दिलाता है और हमें देश के
प्रति अपनी जिम्मेदारियों का एहसास कराता है। इस अवसर पर हम गुरु तेग बहादुर के
बलिदान को भी याद करते हैं,
जिन्होंने धर्म
और मानवता की रक्षा के लिए अपने प्राणों की कुर्बानी दी। इस सन्दर्भ में पशोरा सिंह का कथन, ’अगर गुरु अर्जुन की शहादत ने सिख पन्थ को एक साथ लाने में मदद की थी,
तो गुरु तेग बहादुर की शहादत ने मानवाधिकारों की सुरक्षा को सिख पहचान
बनाने में मदद की’। वास्तव में गुरुजी का बलिदान केवल धर्म पालन
के लिए नहीं अपितु समस्त मानवीय सांस्कृतिक विरासत की रक्षा के लिए था। धर्म व मानवता
के शाश्वत मूल्यों के लिए बलिदान सांस्कृतिक विरासत और इच्छित जीवन विधान के पक्ष में
परम साहसिक कृत्य था।
गुरु
तेग बहादुर का बलिदान केवल सिख धर्म के लिए
नहीं था, बलिदान सम्पूर्ण मानवता
के लिए था। उनके बलिदान के मूल में निम्नलिखित उद्देश्य माने जाते हैं-
१. धर्म की रक्षा: गुरु तेग बहादुर ने
औरंगजेब के इस्लाम धर्म अपनाने के दबाव को ठुकरा दिया और अपने धर्म की रक्षा के
लिए बलिदान दिया।
२. मानवता के रक्षक: उनका बलिदान मानवता के लिए था, न कि केवल सिख धर्म के लिए। अपनी इच्छानुसार धार्मिक विश्वास का पालन करने के मानव अधिकार की स्थापना के
पक्ष में बलिदान देकर, उन्होंने लोगों को प्रेम, एकता और भाईचारे का संदेश दिया।
३. निर्भय आचरण: गुरु तेग बहादुर ने औरंगजेब के अत्याचारों के सामने कभी
घुटने नहीं टेके और अपने कर्म के प्रति अडिग रहे।
४. आदर्श स्थापित: उनके बलिदान ने लोगों
को अपने धर्म और संस्कृति की रक्षा के लिए प्रेरित किया और एक आदर्श स्थापित किया।
आओ आज उनके बलिदान दिवस पर उनसे प्रेरणा लेकर अपने आचरण में समाहित करें। गुरु तेग बहादुर का बलिदान आज भी प्रासंगिक है। आज भी लोगों को प्रेरित करता है और उनके आदर्शों को अपनाने के लिए
प्रोत्साहित करता है ।
गुरु
तेग बहादुर का बलिदान सिख धर्म और मानवता के लिए एक महत्वपूर्ण घटना थी।
उन्होंने मुगल बादशाह औरंगजेब के अत्याचारों के खिलाफ आवाज उठाई और धर्म की रक्षा
के लिए अपने प्राणों की आहुति दी। उनका बलिदान मानवता के लिए था, न कि केवल सिख धर्म के लिए। उन्होंने
लोगों को प्रेम, एकता और भाईचारे का संदेश दिया।
शहीदी
दिवस हमें उन शहीदों की याद दिलाता है जिन्होंने देश की आजादी के लिए लड़ाई लड़ी
और अपने प्राणों की कुर्बानी दी। यह दिन हमें उनके बलिदान और त्याग की याद दिलाता
है और हमें देश के प्रति अपनी जिम्मेदारियों का एहसास कराता है। गुरु तेग बहादुर
का बलिदान भी इसी श्रृंखला में आता है, जिसने लोगों को अपने धर्म और संस्कृति की रक्षा के लिए प्रेरित किया।
शहीदी
दिवस पर हम शहीदों को श्रद्धांजलि दे सकते हैं और उनके बलिदान को याद कर सकते हैं। स्मरण रहे श्रद्धांजलि देने और बलिदान को याद रखने मात्र से हमारे कर्तव्य
की इतिश्री नहीं हो जाती। हम देश के लिए अपने कर्तव्यों का पालन करने का संकल्प ले सकते हैं
और देश की उन्नति और समृद्धि के लिए काम कर सकते हैं। हम गुरु तेग बहादुर के
आदर्शों को भी अपनाने का प्रयास कर सकते हैं और उनके दिखाए मार्ग पर चलने का
संकल्प ले सकते हैं। इस प्रकार संकल्प
लेकर अपने जीवन को समाज, देश और धर्म के
लिए समर्पित कर अपने आचरण का भाग बनाकर पल-पल जीवन के लिए जीने
की आवश्यकता है। हमें समझने की आवश्यकता है कि केवल देश व समाज के लिए मर जाना ही नहीं,
देश व समाज के लिए प्रति क्षण जीना भी महत्वपूर्ण होता है। देश के विकास
के लिए निजी हितों को परे रखते हुए सार्वजनिक हित के लिए जीने की प्रेरणा शहीद दिवस
से लेनी चाहिए।
शहीदी
दिवस एक ऐसा दिन है जब हम उन वीरों को याद करते हैं जिन्होंने देश की आजादी और
संप्रभुता के लिए अपने प्राणों की आहुति दी। यह दिन हमें उनके बलिदान और त्याग की
याद दिलाता है और हमें देश के प्रति अपनी जिम्मेदारियों का एहसास कराता है। आइए, हम शहीदों को श्रद्धांजलि दें और देश
के लिए अपने कर्तव्यों का पालन करने का संकल्प लें।
* प्राचार्य, जवाहर नवोदय विद्यालय,
ठाकुरद्वारा, मुरादाबाद&244601 (उत्तर प्रदेश),
चलवार्ता 09996388169 ई-मेल : santoshgaurrashtrapremi@gmail.com ,
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