निर्णय लेना कला व विज्ञान दोनों है। निर्णय प्रबंधक व प्रशासक के लिए ही नहीं वैयक्तिक जीवन में व्यक्ति के लिए भी महत्वपूर्ण होते हैं। निर्णय किसी उद्योग, व्यवसाय, राष्ट्र को प्रभावित करते हैं। एक गलत निर्णय राष्ट्र, संस्था व व्यक्ति के जीवन को बर्बादी के कगार पर ले जा सकता है तो एक सही व सामयिक निर्णय समृद्धि के शिखर पर पहुँचा सकता है।
एक डेनिश कहावत है, ``उत्तर देने से पूर्व सुनिए कि व्यक्ति को क्या कहना है, और निर्णय के पूर्व कई लोगों को सुनिए।´´वेब्स्टर शब्दकोश के अनुसार, `निर्णयन से आशय अपने मस्तिष्क में किसी कार्यवाही करने के तरीके के निर्धारण से है।´
डॉ.आर.एस.डावर के मतानुसार, `एक प्रबंधक का जीवन एक सतत् निर्णयन प्रक्रिया है।´ मेरे विचार में प्रत्येक व्यक्ति का जीवन एक सतत् निर्णयन प्रक्रिया है। प्रबंधक व सामान्य व्यक्ति में अन्तर यह है कि व्यक्ति बिना निर्णयन प्रक्रिया का पालन किए निर्णय लेता है और प्रबंधक एक पेशेवर निर्णयकर्ता है जो निर्णयन प्रक्रिया का पालन करके निर्णय लेता है और अपने साथ-साथ अपने संगठन का भी विकास सुनिश्चित करता है। कुण्टज ओ` डोनेल के अनुसार निर्णयन एक क्रिया को करने के विभिन्न विकल्पों में से किसी एक का वास्तविक चयन है। यह नियोजन की आत्मा है।
निर्णयन कला व विज्ञान दोनों है। सामान्य व्यक्ति द्वारा लिए गये निर्णय सीमित ज्ञान व अनुमान पर आधारित होते हैं, जबकि कुशल प्रबंधक निम्न लिखित प्रक्रिया का पालन करते हुए निर्णय लेता है और संस्था व अपना विकास सुनिश्चित करता है-
1. समस्या को परिभाषित करना।
2. समस्या का विश्लेषण करना।
3. वैकल्पिक समाधानों को खोजना।
4. सीमित करने वाले घटको पर विचार करना।
5. सर्वश्रेष्ठ हल का चयन करना।
6. निर्णय को क्रियान्वित करना।
7. निर्णय का पुनरावलोकन कर सुधारात्मक कार्यवाही करना।
स्पष्ट है कि सामान्य व्यक्ति इस निर्णय प्रक्रिया का पालन नहीं करता और अधिकांशत: गलत निर्णय लेकर हानि उठाता है। कई बार देखने में आता है कि वह गलत निर्णय तो लेता ही है जिद पूर्वक उस पर टिका भी रहता है और हानि उठाता है, उदाहरणार्थ लगभग 1990-91 में विद्यार्थी जीवन में जब मैं एम.कॉम. का छात्र था, दहेज विरोध की भावना के प्रभाव में निर्णय किया कि मैं ऐसी किसी शादी में भाग नहीं लूँगा, जिसमें किसी भी प्रकार से दहेज का लेन-देन किया जा रहा हो। लगभग 21 वर्ष से इस निर्णय का अनुपालन भी किया और आज तक किसी भी शादी में भाग नहीं ले पाया। यहाँ तक कि अपने परिवार में भाई-बहनों की शादी में भी भाग नहीं लिया और एक प्रकार से परिवार से कट सा ही गया।
आज जबकि मैं निर्णयन और निर्णयन प्रक्रिया पर विचार कर रहा हूँ तो समझ में आता है कि उस समय निर्णय लेते समय निर्णय प्रक्रिया का पालन नहीं हुआ। अत: निर्णय प्रकिया के अन्तिम घटक निर्णय का पुनरावलोकन व सुधारात्मक कार्यवाही के अन्तर्गत अब लगता है मुझे उसका पुनरावलोकन करना चाहिए और इसके लिए अपने निर्णय को निर्णय प्रक्रिया में डाल देना चाहिए।
1 टिप्पणी:
निर्णय लेने में एक प्लान ऑफ एक्सन भी शामिल है ! ओर ये भी कि आपके पास कौन -२ से टूल उपलब्ध है ! ....कई बार इन टूल की जानकारी ना होना या उनके उपयोग में हिचकन हमारे भविष्य को बड़ा प्रभावित करती है .... लेख एक अच्छी दिशा रखता है !
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