रविवार, 13 मार्च 2011

कार्य-प्राथमिकताओं का निर्धारण करें.

कार्य प्राथमिकता द्वारा समय प्रबंधन

समय प्रबंधन वर्तमान समय में प्रबंधन के क्षेत्र में सबसे अधिक प्रचलित तत्वों में से एक है. मानव संसाधन को मान्यता मिलने व दिन-प्रतिदिन महत्व बढ़ते जाने के कारण समय प्रबंधन का महत्व और भी अधिक हो गया है. 
           हम जब समय प्रबंधन की बात करते हैं, तब हमारा आशय  कार्य- प्रबंधन से ही होता है क्योंकि वास्तव में समय एक ऐसा संसाधन है जिसको बचाकर नहीं रखा जा सकता अर्थात इसे भण्डारित (store) नहीं किया जा सकता किन्तु इसे एक क्रिया में से बचाकर दूसरी में सदुपयोग किया जा सकता है. १९८९-९० में मथुरा में मेरे एक मित्र थे जिनका नाम याद नहीं, वे मजाक में कहा करते थे, यदि मुझे ईश्वर मिल जाय तो उससे समय की एजेन्सी मागूंगा और यदि एक बार समय की एजेन्सी मिल गई तो मैं विश्व का सबसे धनी आदमी बन जाऊंगा क्योंकि समय की मांग विश्व में सबसे अधिक है. मजाक में कही हुई बात भी एकदम सटीक है. जिस व्यक्ति से भी मिलो, वही समय की कमी का रोना रोता है, जबकि समय की उपलब्धता सभी के लिये बराबर है. सभी को दिन मैं २४ घण्टे ही उपलब्ध हैं, प्रबन्धन का कितना भी उपयोग करें इन्हें बढ़ाना संभव नहीं है.
         हां,  समयानुसार अपनी कार्य प्राथमिकताओं का निर्धारण कर कुशलता पूर्वक कार्य की पूर्णता सुनिश्चित कर सकते है. ध्यातव्य है जब हम कार्य- प्राथमिकताओं का निर्धारण करने बैठेंगे, मालुम चलेगा अनेक कार्य तो ऐसे हैं जिन्हें करने की आवश्यकता ही नहीं है या जिनको करना समय की बर्बादी मात्र है, अनेक कार्य ऐसे है जिन्हें दूसरों को सौंपा जा सकता है (Delegate). इसके बाद उन कार्यों की सूची बनाई जा सकती है जो अत्यन्त महत्वपूर्ण होने के कारण स्वयं ही किये जाने आवश्यक हैं. इसके बाद उनकी भी प्राथमिकता निर्धारित की जायं और प्राथमिकताओं के अनुसार कार्य को संपादित किया जाय. 


इस प्रकार कार्यों का प्रबंधन कर हम अपने समय का सदुपयोग  कर सकते हैं, इसी को समय प्रबंधन कहा जाता है. कार्य सौंपते (डेलीगेट करते) समय यह ध्यान रखना आवश्यक है जो चार काम कर सकता है वह पांचवे को भी पूर्ण कर लेगा किन्तु जो एक भी कार्य को पूर्ण नहीं करता, वह कोई काम नहीं कर सकता क्योंकि वह कार्य करना ही नहीं चाहता; उसे कार्य सौंपने से पूर्व अभिप्रेरेत कर कार्य-प्राथमिकता निर्धारित कर कार्य करने को तैयार करके ही कार्य सौंपा जाना चाहिये अन्यथा कार्य पूर्ण नहीं होगा.
         कार्य-प्रबन्धन केवल कार्यकारी अधिकारियों के लिये ही नहीं, स्टाफ़ अधिकारियों व सामान्य कर्मचारियों सहित प्रत्येक व्यक्ति के लिये महत्वपूर्ण है.  

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