tag:blogger.com,1999:blog-7002171970243342250.post9035173349832191511..comments2023-06-18T17:21:27.233+05:30Comments on आओ खुद को संवारें - प्रबंधन करें: भारतीय नारी ही प्रबंधन की प्राचीनतम् जननीडा.संतोष गौड़ राष्ट्रप्रेमीhttp://www.blogger.com/profile/01543979454501911329noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-7002171970243342250.post-81961340381658680312009-06-30T21:28:32.819+05:302009-06-30T21:28:32.819+05:30ब्लोग पर आने व टिप्पणी देने के लिये बहुत-बहुत धन्य...ब्लोग पर आने व टिप्पणी देने के लिये बहुत-बहुत धन्यवाद!<br />आप जिस प्रबंधन की बात कर रहे हैं, वास्तव में वह प्रबंधन नहीं है और न ही व्यापार. व्यापारी भी समाज के प्रति उत्तरदायी होता है, अन्यथा उसे ठग ही कहा जा सकता है. प्रबंधन के लिये मानवीय चिन्तन की आवश्यकता है. वह आज की अधिकार पिपासु नारियों में भी नहीं है. प्रबंधन समाज के हित में व्यक्ति का विकास करता है.डा.संतोष गौड़ राष्ट्रप्रेमीhttps://www.blogger.com/profile/01543979454501911329noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7002171970243342250.post-34858705849175863832009-06-30T12:18:26.104+05:302009-06-30T12:18:26.104+05:30प्रबंधन के एक गुरु है शारू रांगणेकर, वे यही लिखते ...प्रबंधन के एक गुरु है शारू रांगणेकर, वे यही लिखते है कि यदि प्रबंधन सीखना हो तो अपनी पत्नी से सीखो। इसी विषय पर उनकी पुस्तक है। लेकिन आज का पश्चिमि प्रबंधन रोटी, कपड़े का प्रबंधन नहीं सिखाता, पूर्व में था कि जो हमारी आवश्यकता है उसका प्रबंधन। लेकिन अब है कि आवश्यकता उत्पन्न करो। अब व्यापार का प्रबंधन है। संतुष्ट मत बनो, जिद करो। जो कमीज 100 रू में आती है उसी पर किसी कम्पनी का टेग लगाकर 1500 कैसे वसूले जाते है इसका प्रबंधन। <br />विषय बहुत ही अच्छा उठाया है, इसके लिए बधाई।अजित गुप्ता का कोनाhttps://www.blogger.com/profile/02729879703297154634noreply@blogger.com