मंगलवार, 5 मई 2015

सफ़लता का राज- अन्तिम पोस्ट

जीवन का जश्न उसकी उपयोगिता में हैः


जीवन का जश्न जीवन के सदुपयोग करने में है। अपने कर्तव्यों के निर्वाह के लिए प्रयासरत रहने में है। यदि आपने प्रयास किये हैं तो जश्न मनाने के लिए परिणामों की प्रतीक्षा करने की आवश्यकता नहीं है। यदि आप अपने जीवन को बिना किसी का अभाव महसूस किए और बिना किसी के दबाब में जीते हो तो आपकी बराबर सफल व्यक्ति और कौन हो सकता है? और आप जश्न मनाने के इस अवसर को क्यों गंवा रहे हो?

ना किसी के अभाव में जीओ
ना किसी के प्रभाव में जीओ
टुकड़ों-टुकड़ों में क्या जीना?
समग्रता  से जीवन  जीओ।

स्पष्ट है कि जीवन की सफलता जीवन को बिना किसी के प्रभाव के आनंदपूर्वक जीने में है। अतः जीवन को टुकड़ों में मत बाँटो और जीवन के हर क्षण का आनंद उठाओ। जीवन का हर पल जश्न मनाते हुए बीते। आपके चेहरे पर हर समय प्रसिद्ध प्रबंध गुरू श्री कृष्ण के चेहरे की तरह मुस्कराहट आपके जश्न में डूबकर कार्य करने की प्रतीक के रूप में प्रकट होती रहे। आपकी मुस्कराहट न केवल आपको सदैव आगे बढ़ने को प्रेरित करती है, वरन् आपके पीछे अनुयायियों की संख्या में वृद्धि करके उनको भी सफलता की राह पर चलने को अभिप्रेरित करती है। अतः सफलता के राज़    को जानें; प्रबंधन को अपने जीवन में ढालें; सफलता हासिल करते हुए जश्न मनायें और जश्न मनाते हुए सफलता हासिल करते रहें।

1 टिप्पणी:

बेनामी ने कहा…

ये आपकी अपनी सोच है ओर विचारो की सराहना करता हू।फीर भी आज कि मानव प्रवृत्ती कूछ है।
हम जानते ईश्वर ने मानव समान रूप से एक बनाये।फीर भी क्या हम एक है।नही है कोई जाती को लेकर बटा है तो समाज को लेकर तो कोई धर्म।
भिन्न भिन्न प्रकार होने के साथ साथ सोचने समझने का भी नजरिया कूछ ओर हो गया है।
आपने जो लिखा उन बातो पर टिप्पणी करना उचित नही क्यूकी जो आप ने लिखा वो बिलकूल सही लिखा।
कुछ दिन रात मेहनतकश इंसान है।
तो कुछ भागदौड मे गुम है।
चलती है दुनिया अपने ही हीसाब से।
क्युकी आलसी लोगो की कोई कमी नही है।

दीपक वैष्णव
जिला महासचिव धार
मोरगांव
अभा वै ब्रा सेवा संघ मुम्बई।