शुक्रवार, 3 अप्रैल 2015

तकनीक जीवन के लिये

तकनीक के पहलू पर शिक्षा में तकनीक के प्रयोग के महत्व को स्वीकार करते हुए भी हटचन चेतावनी देते हैं, ‘‘वास्तविक खतरा यह है कि हो सकता है शिक्षा की तकनीक स्वयं शिक्षा के तरीकों एवं उद्देश्यों का निर्धारण करने लगे।’’ हटचिन ने यह चेतावनी शिक्षा के सन्दर्भ में दी है क्योंकि जब उन्होंने यह लिखा है, वे शिक्षा के सन्दर्भ में काम कर रहे थे। हटचन की यह चेतावनी समग्र रूप से जीवन के सन्दर्भ में भी सटीक बैठती है। वास्तव में तकनीक नहीं, जीवन महत्वपूर्ण है। जीवन की सफलता को टुकड़ों-टुकड़ों में मापना संभव नहीं होता, किन्तु प्रत्येक टुकड़ा महत्वपूर्ण होता है। तकनीकी जीवन को समग्रता से जीने के लिए निश्चित रूप से उपयोगी और आवश्यक है किन्तु तकनीक जीवन के लिए है, न कि जीवन तकनीक के लिए।

       आज तकनीक का युग है। जीवन का प्रत्येक क्षेत्र तकनीक से प्रभावित हुआ है। हमारे अंतरंग कक्ष (Bed Room) से कार्य स्थल तक तकनीक प्रभावी हो रही है। तकनीक के इस युग को स्वचलन (Auto Mode) का युग कहा जाने लगा है। स्वचलन में बिना श्रमिकों के कारखाने, बिना मनुष्यों के मशीनें तथा बिना लिपिकों के कार्यालयों की कल्पना सरकार ने अवश्य की है, परंतु इसके सामाजिक परिणाम क्या होंगे, इसे जो ग्लेजर (Joe Glazer) ने अपने स्वचलन गीत ( ैSong of automation) में भली-भाँति व्यक्त किया है। स्वचलन प्रत्येक क्षेत्र में नहीं किया जा सकता और न ही ऐसा किया जाना चाहिए। प्रत्येक कार्य की अपनी सीमाएँ भी होती हैं। हमें उन सीमाओं को ध्यान में रखकर ही आगे बढ़ना चाहिए। स्वचलन की भी अपनी सीमाएँ हैं। उन सीमाओं को ध्यान में रखकर ही यंत्रीकरण व स्वचलन को अपनाना चाहिए। खतरनाक व मानव के लिए असुरक्षित क्रियाओं में ही संपूर्ण यंत्रीकरण व स्वचलन किया जाना उपयुक्त है। मानव हाथों को खाली रखने वाला यंत्रीकरण व्यक्ति व समाज के लिए घातक होता है। 
        अतः यंत्रीकरण व स्वचलन से पहले उन क्रियाओं का निर्धारण कर लेना चाहिए जिनमें स्वचलन आवश्यक है। अपने जीवन में तकनीक को निश्चित रूप से अपनायें किन्तु तकनीक के प्रयोग को निर्धारित करते समय हमें यह याद रखना होगा कि यंत्रीकरण इतना अधिक न हो जाय कि हमारा जीवन ही एक यंत्र बन जाय। मानवीयता के भाव सुविधाओं से अधिक आवश्यक हैं। जीवन मूल्यों को तकनीक के लिए नहीं छोड़ा जाना चाहिए। इस संबन्ध में ग्लेजर के स्वचलन गीत का हिन्दी अनुवाद दृष्टव्य है।

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