शुक्रवार, 28 नवंबर 2014

कुशल प्रबन्धक के गुण-३

6. मानवीय संबधों का विशेषज्ञ:- वर्तमान समय में मानवीय संबन्धों की गुणवत्ता में ह्रास हो रहा है। व्यक्ति वैयक्तिक सफलता की चाह में मानवीय संबन्धों को नजर अन्दाज करने लगता है और अकेला पड़ता जाता है। ऐसा व्यक्ति भौतिक दृष्टि से कुछ उपलब्धियाँ हासिल कर भी ले तो भी वह जीवन में असफल ही होता है। जीवन में असफल हो जाने पर समस्त उपलब्धियाँ बोनी रह जाती हैं। मानसिक तनाव, अवसाद, नैतिक अपराध और आत्महत्याओं का कारण मानवीय संबन्धों पर पर्याप्त ध्यान न देना ही है। मनुष्य कोई मशीन नहीं है, जो बिना किसी आकंाक्षा के काम करता जायेगा। हाँ, निश्चित रूप से मनुष्य काम करता जायेगा किन्तु उसके लिए संबन्धों के प्रबंधन की आवश्यकता है। मानवीय संबन्धों पर ध्यान देने वाला और उनका सही ढंग से प्रबंधन करने वाला व्यक्ति ही श्रेष्ठ प्रबंधक सिद्ध हो सकता है। मधुर संबन्ध भी व्यक्ति के लिए अभिप्रेरक का कार्य करते हैं। 
           हम प्रबंधन के क्षेत्र में संबन्धों के प्रबंधन की आवश्यकता को इसी बात से समझ सकते हैं कि हमें खून के रिश्तों को भी सहेजना पड़ता है। संबन्धों के प्रबंधन की सफलता का राज़    है कि किसी से कुछ लेते हुए भी उसे यह अनुभव मत होने दो कि तुम उससे कुछ ले रहे हो वरन् उसे लगे कि तुम उसे कुछ दे रहे हो। अतः मानवीय संबन्धों में कुशलता प्राप्त करने व उस कौशल को सदैव प्रयुक्त करने का प्रयास सदैव करते रहें। मानवीय संबन्धों में कुशलता प्राप्त किए बिना कोई भी कुशल प्रबंधक नहीं बन सकता।
7. तकनीकी कौशल: वर्तमान समय को आई.सी.टी. अर्थात सूचना प्रौद्योगिकी का युग कहा जा रहा है। मानव जीवन को सुविधाजनक बनाने के लिए विज्ञान का प्रयोग ही तकनीक है। तकनीक मानवीय कार्यो में गति, शुद्धता व विश्वसनीयता में वृद्धि करती है। गति, शुद्धता व विश्वसनीयता ही प्रबंधक की कुशलता व प्रभावशीलता में वृद्धि करती है। अच्छा व सफल प्रबंधक सिद्ध होने के लिए व्यक्ति को न केवल तकनीक का ज्ञान होना चाहिए, वरन उसे तकनीक के उपयोग में कुशलता के साथ-साथ उसका नवीनीकरण व अद्यतन भी करते रहना चाहिए।
8. संचार कौशल में स्पष्टता: प्रबंधक को संचार कौशल में निपुण होना चाहिए। संचार प्रबंधन का आधार है। प्रबंधन संचार के द्वारा नेतृत्व, अभिप्रेरण, निर्देशन व नियंत्रण करता है। संचार कौशल में किसी भी प्रकार की कमी संचार में भ्रम को उत्पन्न करती है। भ्रम अच्छे से अच्छे प्रबंधक को भी उपलब्धियों से वंचित कर सकता है।
           प्रबंधक को निःसन्देह स्पष्टवादी होना चाहिये, ताकि उसके सहयोगियों को उसकी बात को समझने में किसी प्रकार का भ्रम न हो किंतु प्रबंधन ध्येय केन्द्रित होता है। उसे अपने ध्येय की प्राप्ति के लिए सपाटबयानी का खतरा भी नहीं उठाना चाहिए और उसे प्रबंधन के लिए अपेक्षित मात्रा में कूटनीति का प्रयोग करने में भी सिद्धहस्त होना चाहिए। बो बेनेट के अनुसार, ‘कूटनीति सिर्फ सही वक्त पर सही बातें बोलना नहीं है, बल्कि किसी भी समय प्रतिकूल बातें न बोलने की भी कला है।’ 
         संचार में कूटनीति का प्रयोग अस्पष्टता या छल-कपट से नहीं है। संचार में सदैव स्पष्टता होनी चाहिए क्योंकि अस्पष्टता का आशय संचार न होना ही है। हाँ, अपने अपेक्षित कार्य को संपन्न करवाने के लिए आवश्यक है कि संचार में मधुरता का सम्मिश्रण भी हो। वास्तव में संचार एक कला है। थियो हैमैन के अनुसार, ‘कला का अर्थ यह जानना है कि कोई काम किस प्रकार से किया जा सकता है और उसे वास्तव में उसी प्रकार से करना है।’’ संचार कौशल की सफलता संचार के उद्देश्यों की प्राप्ति में निहित होती है। जॉर्ज ने भी कहा है कि चातुर्य के द्वारा इच्छित परिणामों की प्राप्ति कला है। अतः प्रबंधक जिन उद्देश्यों को लेकर संचार करता है उनकी पूर्ति ही उसे संचार कौशल का कलाकार सि़द्ध कर सकती है और इसके लिए संचार में स्पष्टता आवश्यक है। 

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