शुक्रवार, 14 नवंबर 2014

जीवन में प्रबंधन का प्रयोगः


वास्तविक बात यह है कि जीवन में प्रबंधन को अपनाने के लिए प्रबंधन के मूल तत्वों से परिचित होना ही पर्याप्त नहीं है, वरन् जीवन के प्रत्येक पल में प्रबंधन के सूत्रों का प्रयोग करना भी आवश्यक है। आज प्रबंधन की माँग केवल व्यावसायिक क्षेत्र में ही नहीं; व्यक्तिगत जीवन, परिवार, शिक्षा संस्थाएँ, चिकित्सा संस्थाएँ, औद्योगिक व वाणिज्यिक संस्थाएँ सभी के विकास को सुनिश्चित करने के लिए कुशल प्रबन्धकों की आवश्यकता दिनों दिन बढ़ती जा रही है। प्रबन्धन का प्रयोग व्यक्तिगत व पारिवारिक जीवन में भी किया जा सकता है। कुशल प्रबन्धन करने के लिए प्रबन्धन की शिक्षा अत्यन्त आवश्यक है। वस्तुतः प्रबन्ध सर्वव्यापक है। सभी प्रकार की क्रियाओं का कुशल संचालन कुशल प्रबनकों द्वारा ही किया जा सकता है। अतः कुशल प्रबन्धकों की माँग प्रत्येक क्षेत्र में है। हमें प्रत्येक व्यक्ति को प्रबंधन में प्रशिक्षित करना होगा, तभी व्यक्ति, परिवार, राष्ट्र व वैश्विक स्तर पर जीवन के प्रत्येक अंग व स्तर पर सफलता व विकास सुनिश्चित किया जाना संभव हो सकेगा।
       जीवन प्रबंधन के क्षेत्र में श्रेष्ठ पुस्तकों का अभाव ही देखने को मिलता है। वास्तव में इस प्रकार की पुस्तकों में सफलता की कहानियाँ प्रस्तुत की जाती हैं, जो प्रेरक अवश्य हो सकती हैं, किन्तु सफलता के लिए तो नियोजन, संगठन, नियुक्तिकरण, निर्देशन व नियंत्रण सहित सम्पूर्ण प्रबंधन प्रक्रिया को अपनाये जाने की आवश्यकता है, जो इन पुस्तकों में उपलब्ध नहीं होती। ये पुस्तकें पण्डितों द्वारा घरों में सुनाई जाने वाली ‘सत्यनारायण की कथा’ की तरह हैं, जिस कथा में कथा के सुनने से मिलने वाले लाभों को सुनाकर आकर्षित किया जाता है किन्तु सत्यनारायण व उनकी कथा क्या है? वह अन्त तक पता नहीं चलता। कथा सुनने-सुनाने से पण्डितों की आजीविका भली प्रकार चलती रहती है, किन्तु कथा कहीं नहीं मिलती; कथा नहीं मिलती तो उसके लाभ प्राप्त होने का तो प्रश्न ही नहीं उठता। इस संबन्ध में प्रसिद्ध चिंतक व दार्शनिक कार्ल मार्क्स का कथन मार्गदशन दे सकता है, ‘किसी के गुणों की प्रशंसा करने में अपना समय व्यर्थ मत करो; उसके गुणों को अपनाने का प्रयास करो।’ इसी प्रकार प्रबंधन की गुण गाथा से काम नहीं चलने वाला; प्रबंधन को समझकर इसे अपनाने से ही सफलता की प्राप्ति हो सकती है।

कोई टिप्पणी नहीं: