रविवार, 20 जुलाई 2014

प्रयासों से उपलब्धियाँ मिलती हैं या अनुभवः


कोई भी प्रयास कभी भी पूर्ण रूप से असफल नहीं होता। हमारे प्रयास हमें उपलब्धि दिलातें हैं, किन्तु यदि प्रयास में किसी भी प्रकार की कमी के कारण या प्रबंधन में कमी के कारण हमें अपेक्षित उपलब्धियाँ न मिल पायें तो भी प्रयास कभी असफल नहीं होता। अगर गुच्छे की निन्यानवें चाबी ताला न खोल पाये तो निराश होने की आवश्यकता नहीं, सौंवी चाबी अवश्य ही ताला खोल देगी क्योंकि कोई भी ऐसा ताला नहीं बना जिसकी चाबी न बनी हो। प्रत्येक ताला बनाने वाला ताले के साथ ही चाबी भी अवश्य बनाता है। अतः आपके सामने कोई भी समस्या हो अवश्य ही उस समस्या का समाधान भी उपलब्ध है; आपको समाधान नहीं मिला है तो किए गये प्रयास हमें बहुमूल्य अनुभव प्रदान करते हैं। उन अनुभवों का प्रयोग करके हम अपने भावी प्रयासों को अधिक प्रभावशाली बना सकते हैं। 
          हम निरंतर विभिन्न प्रयास करते हैं। कार्य को पूर्णता भले ही किए गये प्रयास के साथ प्राप्त नहीं हो पाई हो किंतु वह प्रयास भावी प्रयासों के लिए मार्ग का निर्धारण अवश्य करता है। जिन प्रयासों को हम असफल कहते हैं। वास्तविक रूप में वे हमें अनुभव प्रदान करते हैं और बताते हैं कि हमारे प्रयासों में क्या कमी रह गई है? अनुभव हमें अपने प्रयासों का कार्य के सम्बन्ध में पुनरावलोकन करने का अवसर देता है। अनुभव से हमें मालुम होता है कि पुनः योजनाबद्ध ढंग से और भी अधिक प्रभावी प्रयास किए जाने की आवश्यकता है। जिन प्रयासों से हमें अनुभव जैसी मूल्यवान अमूर्त वस्तु प्राप्त हुई हो, उन प्रयासों को असफल कहना निःसन्देह उन प्रयासों व कर्ता का अपमान करना है। 
प्राप्त अनुभव सदैव महत्वपूर्ण होता है। प्रतिपुष्टि (Feedback) संचार की ही नहीं, कार्य की पूर्णता के लिए भी आवश्यक होती है। किए गये प्रयासों के अनुभव केवल हमारे लिए ही नहीं, आगामी पीढ़ियों के लिए भी उपयोगी होते हैं; तभी तो महादेवी वर्मा ने अपनी कविता ‘जाग तुझको दूर जाना’ में युवक-युवतियों को ललकारते हुए कहा है-

हार भी तेरी बनेगी मानिनी जय की पताका,
राख क्षणिक पतंग की है अमर दीपक की निशानी!
×××××
पर तुझे है नाश-पथ पर चिह्न अपने छोड़ आना!
                      जाग तुझको दूर जाना!


महादेवी की इस कविता से भी यही ध्वनि निकलती है कि पतंगा भले ही अपने लक्ष्य को प्राप्त न कर पाया हो किन्तु उसका जल जाना भी चिह्न छोड़ जाता है, उसकी राख भी दीपक की निशानी व भावी पीढ़ियों के लिए मार्गदर्शन का कार्य करती है। अनुभव हमारे लिए ही नहीं; हमारे अनुभव भावी पीढ़ियों के लिए भी लाभदायक होते हैं। कालान्तर में अनुभव वास्तव में एक बहुत बड़ी संपत्ति बन जाते हैं। इतिहास हमारे पूर्वजों के अनुभवों की कहानी ही तो है, जो हमें मार्गदर्शन प्रदान करती हैं। यद्यपि कवयित्री ने यह कविता स्वतंत्रता के लिए दीर्घकालिक संघर्ष करने वालों के सन्दर्भ में लिखी है, तथापि यह प्रत्येक कार्य में लागू होती है।

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