मंगलवार, 24 अगस्त 2010

रक्षाबंधन की बहुत-बहुत शुभकामनाएं।

सम्बन्धों का प्रबंधन : रक्षा का बंधन




मानव जीवन का आधार उसका सामाजिक होना है। तभी तो कहा जाता है कि मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। ऐसा नहीं है कि मनुष्य ही एकमात्र सामाजिक प्राणी है, अन्य प्राणियों में भी सामूहिक रहन-सहन व सामाजीकरण के लक्षण देखे जाते हैं किन्तु बुद्धिमान होने के कारण मनुष्य की स्थिति विशेष हो जाती है। मनुष्य ज्ञान के आधार पर संबन्धों के महत्व को समझकर चिन्तन व मनन के आधार पर अपने व्यवहार को नियिन्त्रत व समाज के अनुकूल करता है। कहा गया है कि विद्या वही है, जिससे मनुष्य स्वयं को पहचाने। मनुष्य स्वयं को पहचान कर ही अपनों के साथ संबन्धों का स्थापन व निर्वहन करता है। यूरिपेडीज ने कहा है, ``प्रत्येक व्यक्ति सब बातों में निपुण नहीं हो सकता, प्रत्येक व्यक्ति की विशिष्ट उत्कृष्टता होती है।´´ सभी व्यक्तियों की उत्कृष्टता का प्रयोग करके ही समाज उत्कृष्ट बन सकता है। हमें इसी कार्य को करना है और यह कार्य हो सकता है सुप्रबंधन के द्वारा।


वाल्टर वियेरा के अनुसार, ``संसाधनों के प्रबंधन के साथ-साथ संबन्धों का प्रबंध भी आना चाहिए।´´ संबन्धों का यह प्रबंध सभी व्यक्तियों की उत्कृष्टता का प्रयोग करके समाज को उत्कृष्ट बनाने का कार्य कर सकता है। दिन-प्रतिदिन के कार्यों में हम सभी संबन्धों को ध्यान में नहीं रख पाते। अत: ऐसे संबन्धों के प्रबंधन के लिए जिनकी ओर दैनिक गतिविधियों में ध्यान नहीं दे पाते मानव से त्योहारों व उत्सवों का आयोजन किया जाता है। उत्सव संबन्धों के प्रबंधन में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं।


रक्षाबंधन उसी कड़ी में एक मजबूत बंधन है। रक्षाबंधन केवल भाई-बहन के बीच का बंधन ही नहीं है, वरन् प्राचीन काल से ही राजा-प्रजा, पुरोहित-यजमान आदि सभी के बीच का बंधन माना जाता रहा है। सीमा-प्रहरियों को रक्षा-सूत्र बांधने का भी विशेष रिवाज देखने को मिलता है। रक्षा का दायित्व केवल पुरूष वर्ग का ही नहीं है। वर्तमान समय में किसी भी क्षेत्र में नारी भी पीछे नहीं है। वर्तमान समय में ही क्यों प्राचीन काल से ही नारी पुरूष की संरक्षिका रही है। अत: आज हम सभी संबन्धों के प्रबंधन की ओर ध्यान देते हुए अपने-अपने कर्तव्यों और दायित्वों के अनुरूप एक-दूसरे की रक्षा का संकल्प करते हुए एक-दूसरे की उत्कृष्टता का प्रयोग करके समाज को उत्कृष्टता की ओर ले जाने का संकल्प करें। नर-नारी एक दूसरे के प्रतिस्पर्धी नहीं हैं, एक दूसरे के पूरक हैं। दोनों की अपनी-अपनी उत्कृष्टताएं हैं। अत: दोंनो की उत्कृष्टता का प्रयोग करते हुए परिवार व समाज को उत्कृष्टता की ओर ले जाया जा सकता है।


आओ रक्षाबंधन के इस पावन पर्व पर हम संकल्प करें कि हम एक दूसरे की मर्यादाओं का सम्मान करते हुए आपसी सम्बंधों का प्रबंधन करेंगे। यही नहीं एक-दूसरे के विकास का पूरा प्रयत्न करते हुए राष्ट्र व विश्व का विकास सुनिश्चित करेंगे और इसका सूत्र होगा - "प्रतिस्पर्धा नहीं, समन्वय;  संघर्ष नहीं, समपर्ण।"

इसी के साथ सभी को रक्षाबंधन की बहुत-बहुत शुभकामनाएं।

गुरुवार, 12 अगस्त 2010

कार्य वर्गीकरण

                       Job classification


कार्य वर्गीकरण वह क्रिया है जिसमें समान योग्यता एवं उत्तरदायित्वों वाले कार्य छांटकर अलग-अलग वर्ग में रखे जाते हैं। कार्य कई प्रकार के होते हैं तथा उनमें विभिन्न योग्यताओं वाले व्यक्तियों की आवश्यकता होती है। अत: प्रत्येक कार्य का पृथक वर्ग बनाया जा सकता है। कार्य वर्गीकरण से कर्मचारियों को कार्य आबंटन करने में सुविधा रहती है।

सोमवार, 9 अगस्त 2010

पद, व्यवसाय और कार्य

Position,Occupation And Job




घिसैली तथा ब्राउन ने पद (position),वृत्ति या व्यवसाय (Occupation) तथा कार्य (Job) को अग्रानुसार स्पष्ट किया है-

कर्मचारी पद से आशय औद्योगिक क्रियाओं के उस समूह से है जो एक कर्मचारी द्वारा की जाती हैं। किसी भी संगठन में यदि स्थान भर दिए जायं तो जितने कर्मचारी होंगे, उतनी ही स्थितियां अर्थात पद ( position) होंगी। उदाहरणार्थ, यदि लिपिक के चार स्थान हैं तो उनमें से प्रत्येक पर विभिन्न कर्मचारी नियुक्त किए जायेंगे। प्रत्येक कार्य की स्थिति भिन्न-भिन्न होगी। यह महत्वपूर्ण तथ्य है कि कार्य अव्यक्तिगत (Impersonal) तथा स्थिति व्यक्तिगत (personal) होती है।


व्यवसाय (Occupation)- से आशय समान कार्य वाले कई पदों एवं कार्यो के समूह से है, जैसे( लेखा कार्य, टंकण कार्य, पत्र निर्गमन कार्य, पत्र प्राप्ति, आलेख कार्य,भण्डारण कार्य आदि सभी लिपिकीय व्यवसाय (Clerical Occupation) हैं।


कार्य (Job) से आशय पदो के समूह से है। एक ही पद के विभिन्न स्तरों के समूहों को कार्य कहते हैं, जैसे, टंकण कर्ता के चार पद एक ही स्तर (टंकण) कार्य हैं। किसी संगठन में एक ही कार्य पर एक या अनेक व्यक्ति हो सकते हैं।


स्पष्ट है कि कार्य शब्द व्यवसाय तथा पद के समनुरूप नहीं है। सामान्यत: किसी भी रिक्त स्थान का विज्ञापन एक स्थिति के बारे में सूचना देता है। एक विशिष्ट स्थान पर लिया गया व्यक्ति या तो एक विशिष्ट कार्य करेगा या एक से अधिक कार्य भी कर सकता है।

सोमवार, 2 अगस्त 2010

कार्य से अर्थ

कार्य से अर्थ ( Meaning Of Job )




मानव संसाधन प्रबंध की मूलभूत समस्याओं के निवारण के लिए उपक्रम में किए जाने वाले समस्त कार्यों का विश्लेषण किया जाना आवश्यक होता है। कार्य विश्लेषण के आधार पर ही कर्मचारियों की भर्ती, चयन, प्रशिक्षण, पदोन्नति या पदावनति आदि कार्य संपन्न किए जाते हैं। कर्मचारियों के पदों की स्वीकृति व चयन का मूलाधार कार्य विश्लेषण ही होता है, क्योंकि जब तक कार्य के तत्वों के बारे में विस्तृत विवरण उपलब्ध नहीं होगा, कार्य के अनुरूप उपयुक्त कर्मचारी का चयन किस प्रकार सम्भव होगा? कहने का आशय यह है कि कर्मचारी चयन की प्रक्रिया प्रारंभ करने से पूर्व कार्य-विश्लेषण किया जाना आवश्यक है।

कार्य एक अत्यन्त महत्वपूर्ण घटक है। अत: इसकी अवधारणा को स्पष्ट कर लेना आवश्यक है। कार्य (Job) को समझने के लिए इसकी कुछ परिभा्षाओं का अध्ययन उपयोगी रहेगा-

1. डेल योडर के अनुसार, ``कार्य उन कार्यो, कर्तव्यों और दायित्वों का समूह है, जो एक व्यक्ति को सौंपे जाते हैं तथा जो अन्य कार्य से भिन्न होते हैं।´´

2. ओटिस एवं ल्यूकर्ट के अनुसार, ``कार्य, समान कौशल, समान ज्ञान, समान उत्तरदायित्व एवं समान कर्तव्यों की स्थितियों का समूह है।´´



उपर्युक्त परिभाषाओं के अध्ययन के आधार पर कहा जा सकता है कि कार्य का वर्गीकरण उत्पादन विशिष्टता के आधार पर किया जा सकता है। सामान्य अवस्था में जो उपकार्य ह, विशिष्टीकरण की मात्रा में वृद्धि होने पर वही कार्य की श्रेणी में आ सकता है। अत: कार्य का उल्लेख व उसके उपकार्यो का निर्धारण स्पष्ट रूप से होना चाहिए। उदाहरण के लिए- एक छोटे कारीगर के लिए तख्त बनाने का सम्पूर्ण कार्य एक कार्य है। उसके लिए लकड़ी काट कर लाना, उसे सुखाना, चीरना, तख्त के विभिन्न भाग तैयार करना, उन्हें चिकने बनाना, जोड़ना आदि सभी उपकार्य तख्त बनाने के कार्य के भाग हैं। किन्तु यदि विशिष्टीकरण की मात्रा बढ़ेगी तो इनमें से प्रत्येक उपकार्य कार्य का महत्व प्राप्त कर लेगा और ऐसी स्थिति में सभी कार्य अलग-अलग व्यक्तियों द्वारा संपन्न किए जायेंगे।


इस प्रकार प्रत्येक कार्य के कई स्तर होते हैं। कर्मचारी भी उन स्तरों के अनुसार कार्य करता है। स्तर कई गतिविधियों और उत्तरदायित्वों से बनता है, जो कर्मचारियों को सौंपे जाते हैं, जबकि कार्य विभिन्न स्तरों का समूह है, जो कार्य के प्रकार और स्तर के अनुकूल समूहीकरण से निर्मित हो सकता है।