मंगलवार, 22 जून 2010

प्रबंध : अर्थ व परिभाषा

प्रबंध : अर्थ व परिभाषा
जब से मानव ने समूह में रहना प्रारंभ किया है, तब से किसी न किसी रूप में मानव की गतिविधियों में प्रबंध का अस्तित्व रहा है। प्रबंध एक सर्वव्यापक व अमूर्त अवधारणा है, जिसे देखा व छुआ नहीं जा सकता केवल महसूस किया जा सकता है। मेरे विचार में प्रबंध ईश्वर की तरह सर्वव्यापक है तथा विश्व का सबसे बड़ा प्रबंधक ईश्वर है, जो समस्त गतिविधियों का सुचारू प्रबंध करता है। जिस प्रकार ईश्वर व उसके कार्यो की व्याख्या सम्भव नहीं है; उसी प्रकार प्रबंध की व्याख्या भी सम्भव नहीं है। लोग अपने-अपने विचार व दृष्टी दृष्टिकोण के अनुसार जिस प्रकार ईश्वर की प्रतिमाएं व उसके बारे में विचारों का सृजन करते हैं; उसी प्रकार प्रबंध की परिभाषाएं  भी विभिन्न दृष्टिकोणों से भिन्न-भिन्न दी जाती रही हैं और दी जाती रहेंगी।



प्रबंध के सन्दर्भ में एक कहानी भी उद्धृत की जाती है- "एक बार कुछ अंधों को एक हाथी मिल गया। उन्होंने हाथी को छूकर, टटोल-टटोल कर महसूस किया और हाथी के बारे में अपनी अनुभूति बताई। हाथी की टांगों को पकड़ने वाले ने हाथी को किसी खम्भे या पेड़ के तने की भांति बताया, पूंछ पकड़ने वाले ने उसे रस्सी जैसा बताया, सूड़ पकड़ने वाले ने उसे सांप जैसा बताया, कान पकड़ने वाले ने हाथी को सूप जैसा बताया, दांत पकडने वाले ने भाले जैसा तो हाथी के पेट को छूने वाले ने हाथी को मशक या दीवार जैसा बताया।" स्पष्ट है कि हाथी के बारे में सही जानकारी किसी को भी न हो सकी। ठीक यही स्थिति प्रबंध के बारे में है। इसकी परिभाषाएं तो बहुतायत में हैं किन्तु एक सर्वमान्य परिभाषा का अभाव ही है। फिर भी अध्ययन के दृष्टिकोण से कुछ परिभाषाओं को ध्यान में रखना उपयोगी रहेगा।


प्रबंध की परिभाषाएं :-


1. वैज्ञानिक प्रबंध के प्रणेता श्री एफ.डब्ल्यू.टेलर के अनुसार, ´´प्रबंध यह जानने की कला है कि आप क्या करना चाहते हैं? तत्पश्चात यह सुनिश्चित करना कि वे (कर्मचारी) उस कार्य को सर्वात्तम व मितव्ययिता पूर्वक करें।´´


2. टेरी के अनुसार, ``प्रबंध एक अदृश्य शक्ति है। इसे देखा एवं छुआ नहीं जा सकता किन्तु इसके प्रयासों के परिणामों के आधार पर इसकी उपस्थिति का स्वत: अहसास हो जाता है।´´


3. प्रबंध के सिद्धान्तों के प्रणेता श्री हेनरी फेयोल के अनुसार, ``प्रबंध पूर्वानुमान एवं नियोजन करना, संगठित करना, निर्देश देना, समन्वय करना तथा नियन्त्रण करना है।´´


4. मेरी पार्कर फोलेट के अनुसार, ``प्रबंध अन्य लोगों के माध्यम से कार्य करवाने की कला है।´´


5. लारेंस एप्पले के अनुसार, ``अन्य व्यक्तियों के प्रयासों से परिणाम प्राप्त करना ही प्रबंध है।´´


6. कुंटज के अनुसार,`` औपचारिक रूप से संगठित लोगों के समूहों के साथ तथा उनके माध्यम से कार्य करवाने की कला ही प्रबंध है।´´


7. वीहरिच तथा कुण्टज के अनुसार, ``प्रबंध एक ऐसे वातावरण का निर्माण करने तथा उसे बनाये रखने की प्रक्रिया है, जिसमें लोग समूह में कार्य करते हुए चयनित उद्देश्यों को दक्षतापूर्वक प्राप्त करते हैं।´´


उपरोक्त परिभाषाओं के अध्ययन व प्रबंध के बारे में बनी अवधारणा के अनुरूप कहा जा सकता है कि ``प्रबंध मानव को अभिप्रेरित करके निर्धारित उद्देश्यों के अनुरूप कार्य कराने वाली एक अदृश्य शक्ति है, जिसमें नियोजन, संगठन, नियुक्तियां, निर्देशन व नियन्त्रण जैसी क्रिया-विधियों का प्रयोग किया जाता है।´´ सार रूप में लोकतन्त्र की भाषा में कहा जा सकता है, ``मानव द्वारा मानव के लिए मानव द्वारा कार्य कराना ही प्रबंध है।"

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