रविवार, 20 जून 2010

मानव संसाधन प्रबंध : अवधारणा - प्रथम भाग

मानव संसाधन प्रबंध : अवधारणा  - प्रथम भाग


किसी भी वस्तु, व्यक्ति, क्रिया या प्रक्रिया की बात आते ही हम उसके बारे में जानने का प्रयास करते हैं. उसे देखते है, उसके बारे में पूछताछ करते है, अध्ययन करते है और विभिन्न जानकारियों के फ़लस्वरूप हमारे मस्तिष्क में उसकी एक अमूर्त छवि बनती है, जिसे अवधारणा (CONCEPT) कहा जाता है. किसी भी विषय के अध्ययन के बाद उसकी एक अवधारणा बनती है, तभी कहा जा सकता है कि वह विषय हमारी समझ में आ गया है. जब तक हमारे मस्तिष्क में अवधारणा नहीं बनती उसके बारे में हमारी जानकारी केवल रटने पर आधारित होती है. अवधारणा स्थिर प्रत्यय या संकल्पना नहीं है. अध्ययन, अनुभव, अनुभूति व चिन्तन-मनन के साथ अवधारणा में परिवर्तन आ सकता है.

              आओ अवधारणा को और स्पष्ट समझने का प्रयास करते हैं-

बेबस्टर शब्दकोश के अनुसार, "अवधारणा वह अमूर्त या निराकार विचार है, जो विशिष्ट उदाहरणों या घटनाओं से सामान्यीकृत किया गया है."( "A concept is an abstract idea generalised from particular instance.")

डा.आर.एल.नौलखा के अनुसार, "प्रत्येक मानव के मस्तिष्क में किसी भी वस्तु, कार्य या व्यक्ति के सम्बंध में कुछ विचार या आकृतियां उभर सकती हैं, ये विचार या आकृतियां उनके भौतिक स्वरूप या विशेषताओं के आधार पर बनती हैं. अतः ऐसा विचार या आकृति ही उस वस्तु, कार्य या व्यक्ति के बारे में अवधारणा (CONCEPT) है."

              इस प्रकार हम कह सकते हैं कि किसी भी वस्तु, व्यक्ति,कार्य या विषय के बारे में हमारी अवधारणा तुरन्त नहीं बनती वरन हमारे अवलोकन, अध्ययन, चिन्तन-मनन के परिणाम स्वरूप उभरती है और विकसित होती रहती है.

             अतः मानव संसाधन प्रबंधन के बारे में कोई अवधारणा बनाने के लिये हमें न केवल इसका अर्थ, परिभाषा व इतिहास जानना होगा वरन इसके बारे में गहन चिन्तन-मनन भी करना होगा.

           कल के पोस्ट में इसके अर्थ पर विचार करेंगे.

कोई टिप्पणी नहीं: