शुक्रवार, 18 जून 2010

तथ्यों का संकलन व अध्ययन

प्रबन्धन मानव की एक विशेषता है. मानव बिना प्रबन्धन के नहीं रह सकता. मानव की विचार करने की क्षमता ही उसे प्रबन्धन करने को अभिप्रेरित करती है. वास्तविकता यह है कि व्यक्ति के कार्य सुप्रबन्धित व कुप्रबन्धित हो सकते हैं, किन्तु प्रबन्धन के बिना कोई भी कृत्य मानव द्वारा किया जाना, सम्भव ही नहीं है. प्रबन्ध गुरू के रूप में विख्यात प्रबन्ध विद्वान पीटर ड्रकर के अनुसार, "किसी भी देश के सामाजिक विकास में प्रबन्ध निर्णायक तत्व है............ प्रबन्ध आर्थिक व सामाजिक विकास का जन्मदाता  है...............विकासशील राष्ट्र अविकसित नहीं बल्कि कुप्रबन्धित हैं." श्री ड्रकर का कथन राष्ट्र के सम्बन्ध में ही नही, व्यकि के सन्दर्भ में भी सही है. 
                    जब व्यक्ति यह स्वीकार कर लेता है कि  उसके आसपास या उसके जीवन में कोई समस्या है, तो वह आगे विचार करता है कि समस्या क्यों है और क्या इसका निराकरण संभव है? वास्तविकता को स्वीकार करना और उसका निराकरण करने का मार्ग खोजना ही प्रबन्धन का आधार है. उदाहरण के लिये, मेरे सामने समस्या यह है कि मैं इस ब्लोग पर नियमित नहीं लिख पा रहा. मेरे द्वारा यह स्वीकारोक्ति ही कि मैं नियमित नहीं लिख पा रहा, जबकि मुझे ऐसा करना चाहिये. मुझे यह विचार करने का मार्ग सुझाती है कि मैं नियमित क्यों नहीं लिख पा रहा? अब आवश्यकता इस बात की है कि मैं विचार करूं कि मैं नियमित क्यों नहीं लिख पा रहा? इस पर विचार करने पर अनेक कारण सामने आ सकते हैं, मसलन व्यवस्थित इन्टरनेट संयोजन का न होना, लिखने के लिये समय की कमी, लिखने के लिये ब्लोग के लिये पूर्व-निर्धारित विषय से सम्बन्धित शीर्षकों का निर्धारण न कर पाना आदि अनेक कारण हो सकते हैं, जिन्हें तथ्य कहा जा सकता है. समस्या के समाधान व निराकरण के लिये इस प्रकार के तथ्यों का संकलन, व्यवस्थितीकरण, विश्लेषण व अध्ययन करके समाधान के लिये एक योजना बनाना आवश्यक है. इस प्रकार की योजना बनाने के कार्य को ही प्रबन्धन की भाषा में नियोजन कहते हैं.
             जब मैंने स्वीकार कर लिया कि मैं ब्लोग पर नियमित नहीं लिख पा रहा, तो तथ्यों का संकलन व अध्ययन किया कि समय की कमी, इन्टरनेट संयोजन की अनुपलब्धता व उप-शीर्षक निर्धारित कर पाने में कठिनाई के कारण ब्लोग की निरन्तरता में बाधा आती है, तो मैंने नियोजन किया. इन्टरनेट से नियमित जुड़ाव के लिये मोबाइल इन्टरनेट के प्रयोग, समय क्रय नहीं क्या जा सकता. अतः कार्यों का समय के साथ उचित प्रबन्धन तथा उप-शीर्षकों के लिये विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, नई दिल्ली द्वारा राष्ट्रीयता पात्रता परीक्षा (NET) के लिये निर्धारित वाणिज्य (COMMERCE) विषय के लिये निर्धारित पाठयक्रम के तृतीय प्रश्नपत्र के ऐच्छिक विकल्प तीन- "मानव संसाधन प्रबन्ध"  के निर्धारित उप-शीर्षकों पर नियमित लिखने का नियोजन किया. इसके लिये यू.जी.सी. की बेबसाइट पर जाकर पाठयक्रम डाउनलोड किया जिसे अगले पोस्ट में दिया जायेगा.

1 टिप्पणी:

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